हरियाणा का वो गांव, जहां नहीं फहराया जाता तिरंगा, इतिहास जान रूह कांप जाएगी

Edited By Yakeen Kumar, Updated: 01 Aug, 2025 08:44 PM

the village of haryana where the tricolor is not hoisted

हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां आजादी के 71 साल बाद राष्ट्रीय ध्वज लहराया गया। इसके पीछे की कहानी गौरवशाली है तो वहीं दुखभरी है। आजादी के 71 साल बाद 23 मार्च 2018 को पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस गांव में जाकर ध्वजारोहण किया।

हरियाणा डेस्क (यकीन कुमार) : हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां आजादी के 71 साल बाद राष्ट्रीय ध्वज लहराया गया। इसके पीछे की कहानी गौरवशाली है तो वहीं दुखभरी है। आजादी के 71 साल बाद 23 मार्च 2018 को पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस गांव में जाकर ध्वजारोहण किया। दरअसल इस गांव की रूह कंपाने वाली कहानी सन 1887 की है, जब इस गांव के लोगों को अंग्रेजी हूकूमत ने बड़ी बर्बरता के साथ मौत के घाट उतार दिया। जानिए गांव का गौरवशाली इतिहास...

यह गांव भिवानी जिले का रोहनात है। इस गांव के लोगों ने 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों से जमकर लोहा लिया। जिसके चलते अंग्रेजों ने भी यहां के ग्रामीणों पर भारी जुल्म ढहाए और गांव कों तोप से उड़ा दिया। इसके साथ-साथ बचे ग्रामीणों को अंग्रेजों ने गांव से उठाकर हांसी स्थित एक सड़क पर ले जाकर रोड रोलर से कुचल लिया। यह सड़क आज भी "लाल सड़क" के नाम से जानी जाती है।

12 अंग्रेज अधिकारियों को उतारा मौत के घाट

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1887 की क्रांति में हरियाणा के इस गांव ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी। इस क्रांति की लपटें जब हिसार तक पहुंची तो डिप्टी कमीशनर बैडर बर्न को विद्रोहियों ने मार डाला। वहीं अंग्रेज तहसीलदार के उसके चपरासी ने ही मौत के घाट उतार दिया। इसी तरह रोहनात के ग्रामीणों ने 12 अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला। ब्रिटिश सरकार की नींव हरियाणा के लोगों ने हिला डाली। रोहनात गांव के साथ-साथ मंगाली, हाजमपुर, ओड्डा और छतरिया गांव के लोगों ने मिलकर अंग्रेजों नींव हिला डाली। अंग्रेजों की इन मौतों से ब्रिटिश सरकार बौखला गई। इसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने इस हिसार के आसपास खून-खराबा शुरु किया।

जेली-गंडासियों से किया अंग्रेजों का मुकाबला

अंग्रेजी हूकूमत द्वारा कई गई ये बर्बरतापूर्ण घटना 29 मई 1857 की है। जब रोहनात गांव में ब्रिटिश सैनिकों ने इस दिन बर्बर खूनखराबा किया था। लेकिन रोहनात गांव के लोगों ने अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया। ग्रामीणों ने देसी औजारों जैसे- जेली, लाठी और गंडासियों से अंग्रेजी हुकूमत का सामना किया। लेकिन उनके हथियारों और तोपों के सामने गांव वालों की चल न सकी। अंग्रेजों ने गांव को तोपों से उड़ा दिया और कई ग्रामीणों को रोड रोलर से कुचल दिया। ब्रिटिश सैनिकों ने गांव वालों को पीने का पानी भी नहीं लेने दिया और कुंए के मुंह को मिट्टी से ढक दिया। उसके बाद लोगों को फांसी पर लटका दिया था। 

इज्जत बचाने के लिए कुंए में कूदी महिलाएं 

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इस हमले के बाद अंग्रेजों ने भी गांव पुठी मंगल क्षेत्र में तोपों से हमला करना शुरू कर दिया। गांव रोहनात के सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं गांव के बिरड़ दास बैरागी को तोप पर बांध कर उनके शरीर को चीथड़ों की तरह उड़ा दिया। गांव की कई महिलाओं ने उस दौरान अपनी इज्जत बचाने के लिए गांव के कुंए में कूद कर अपनी जान गवा दी।

ग्रामीणों ने नहीं मांगी माफी

अंग्रेजों से लोहा लेने की सजा आज भी ग्रामीण भुगत रहे हैं क्योंकि अंग्रेजों ने यहां के ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि नीलाम कर दी थी, लेकिन अभी तक ग्रामीणों के नाम पर यह जमीन नहीं हो पाई है। भूमि नीलाम होने के बाद अंग्रेजों ने गांव में अधिकारी भेजे और उनसे इस बारे में माफी मांगने के लिए कहा, लेकिन ग्रामीणों ने माफी नहीं मांगी। इसके चलते उनकी जमीन पूरी तरह से नीलाम कर दी गई। उन्होंने बताया कि इसी के चलते आज तक ग्रामीणों के नाम जमीन नहीं हो पाई है। 

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जमीन न मिलने से नहीं फहराया तिरंगा

आजादी मिलने के बाद ग्रामीणों को अपनी जमीन मिलने की उम्मीद थी। लेकिन आजादी के 71 साल बाद भी जमीन नहीं मिली। इसी वजह से इस गांव में तिरंगा नहीं फहराया जाता था। गांव के लोगों की मांग थी की आजादी के 70 साल उन्हें मूलभूल सुविधाएं नहीं मिली थी। इसी के विरोध में उन्होंने 71 सालों तक गांव में तिरंगा नहीं फहराया था। 

2018 में फहराया पहली बार तिरंगा

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आजादी के 71 साल बाद 2018 में तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर ने रोहनात गांव पहुंचकर तिरंगा फहराया। उस समय हरियाणा सरकार ने गांव की वेबसाइट, लाइब्रेरी, व्यायामशाला, गांव गौरव पट्ट का निर्माण करवाया। सरकार ने ग्रामीणों की जमीन भी वापस दिलाने का भरोसा दिलाया। इसके बाद से ही गांव में तिरंगा लहराया जाने लगा।

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