‘अग्निपथ’ पर बड़ा खुलासा, 1983 में भी अग्निपथ जैसी योजना लागू करने की थी सिफारिश

Edited By Vivek Rai, Updated: 21 Jun, 2022 09:26 PM

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1983 में भी अग्निपथ जैसी योजना को लागू करने की सिफारिशें की गई थी, लेकिन सेना के विरोध पर ऐसा नहीं हो पाया था। आर्मी में लंबे समय तक सेवाएं देने वाले पूर्व कैप्टन पोसवाल ने अग्निपथ को देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है।

पलवल(दिनेश): केंद्र सरकार द्वारा सेना में भर्ती को लेकर लागू की गई अग्निपथ योजना को लेकर कई तरह की राय सामने आ रही है। सेना से रिटायर्ड कैप्टन बी एस पोसवाल ने कहा कि इससे पहले 1983 में भी अग्निपथ जैसी योजना को लागू करने की सिफारिशें की गई थी, लेकिन सेना के विरोध पर ऐसा नहीं हो पाया था। आर्मी में लंबे समय तक सेवाएं देने वाले पूर्व कैप्टन पोसवाल ने अग्निपथ को देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है। उनका मानना है कि भले ही इससे युवाओं को रोजगार मिले लेकिन देश की सुरक्षा के लिए यह सही कदम नहीं है।

4 साल में तैयार नहीं हो सकता फौजी, देश की सुरक्षा पर बनेगा खतरा

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बीएस पोसवाल ने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए अग्निपथ योजना लागू करना सही नहीं है, क्योंकि इतने कम समय में भर्ती हुई जवान सही प्रकार से विभिन्न प्रकार की सैन्य प्रशिक्षण योग्यता पर खरा नहीं उतर पाएंगे। जिसके चलते देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। रिटायर्ड कैप्टन पोसवाल लंबे समय तक युद्ध क्षेत्र में रह चुके हैं और ऐसे में उनका मानना है कि 4 साल के कार्यकाल में एक ऐसा फौजी तैयार नहीं हो सकता जो किसी भी युद्ध क्षेत्र में लोहा ले सकता है। उन्होंने बताया कि 4 साल के कार्यकाल में केवल कुछ ही सैन्य प्रशिक्षण हासिल किया जा सकता है। एक फौजी को पूरी तरह से तैयार होने के लिए करीब 5 से 6 वर्ष का समय लग जाता है, जिसमें वह विभिन्न प्रकार के सैन्य प्रशिक्षण सीखता है। इसके बाद ही वह मोर्चा संभालने के लिए तैयार होता है। लेकिन अग्निपथ योजना में केवल 4 साल का ही वक्त है तो ऐसे में यह देश की सुरक्षा के लिए बड़ा सवाल हो सकता है।

1983 में 7 साल के लिए सेना में भर्ती करने की थी सिफारिश

साथ ही उन्होंने चेताया कि 4 साल में जो अग्निवीर तैयार होगा वह उस फौजी का मुकाबला नहीं कर सकता जो लंबे समय तक फौज में रहेगा। इसलिए वह मानते हैं कि 4 साल की यह अग्निपथ योजना देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है। 4 साल के लिए सेना में भर्ती होने वाले युवा ना तो युद्ध क्षेत्र में लोहा ले पाएगा और ना ही फौज में देश के प्रति निष्ठावान बन पाएगा। सैन्य प्रशिक्षण की भारी कमी उसकी सबसे बड़ी कमी रहेगी। उन्होंने बताया कि 1983 में भी इसी तरह की योजना को फौज में लागू करने के लिए सिफारिश की गई थी। इतना अंतर था कि आज 4 साल का समय दिया गया है, जबकि उस समय 7 साल का समय दिया गया था। लेकिन सेना ने इस सिफारिश को मानने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद से इस योजना को सेना में लागू नहीं किया गया। अब इस योजना को सेना भर्ती में लागू किया गया है। निश्चित तौर  से इसके दूरगामी परिणाम खतरनाक होंगे। 

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