Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 19 Jun, 2025 05:52 PM

महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग हो रहा है। महिला अपराधों के गुड़गांव पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामलों में 43 प्रतिशत मामले झूठे साबित हुए हैं।
गुड़गांव, (पवन कुमार सेठी): महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग हो रहा है। महिला अपराधों के गुड़गांव पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामलों में 43 प्रतिशत मामले झूठे साबित हुए हैं। यह बात हम नहीं बल्कि गुड़गांव पुलिस द्वारा दिए गए आरटीआई के जवाब से सामने आया है।
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एकम न्याय फाउंडेशन की कार्यकर्ता दीपिका नारायण भारद्वाज ने बताया कि उनके द्वारा गुड़गांव पुलिस को आरटीआई लगाकर साल 2020 से 2024 के बीच महिला अपराधों के केसों का ब्यौरा मांगा था। इसमें खास तौर पर रेप के मामलों का ब्यौरा मांगा गया था। आरटीआई का जब जवाब उन्हें मिला तो पाया कि ज्यादातर महिलाओं द्वारा आईपीसी की धारा 376 का दुरुपयोग किया जा रहा है। मामलों में पाया गया कि सहमति से बनाए गए संबंधों को ब्रेकअप या विवाद के बाद बलात्कार में बदल दिया गया।
दीपिका ने बताया कि गुड़गांव पुलिस के आरटीआई से मिले जवाब में कहा गया है कि 1 जनवरी, 2020 से 31 दिसंबर, 2024 तक कुल 955 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। इनमें से 417 मामले विशेष रूप से “शादी के झूठे वादे” के आधार पर थे। आरटीआई जवाब में आगे पता चला कि कुल मामलों में से 236 को रद्द कर दिया गया, क्योंकि जांच के दौरान आरोप निराधार पाए गए। हालांकि, केवल 96 झूठे मामलों में कानूनी कार्रवाई शुरू की गई।
दीपिका नारायण भारद्वाज ने महिला कानून के दुरुपयोग के पैटर्न पर कहा कि हम एक ऐसा पैटर्न देख रहे हैं, जिसमें सहमति से बनाए गए रिश्ते बाद में खराब हो जाते हैं और उन्हें शादी के झूठे वादे के तहत बलात्कार के आरोपों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह न केवल कानून का दुरुपयोग है, बल्कि वास्तविक पीड़ितों को भी नुकसान पहुंचा रहा है और न्याय प्रणाली पर बोझ बढ़ा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस पर संज्ञान लेते हुए हरियाणा के डीजीपी ने 19 जून, 2024 को राज्य भर के सभी पुलिस आयुक्तों और एसपी को निर्देश जारी किए थे। निर्देश में बार-बार झूठे बलात्कार के आरोपों के पैटर्न को स्वीकार किया गया और अधिकारियों से "उन शिकायतकर्ताओं के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने का कहा गया, जिन्होंने कई झूठे बलात्कार के मामले दर्ज किए हैं।
दीपिका ने कहा कि उन्होंने पहले गुड़गांव में एक महिला को उजागर किया था, जिसने एक साल में 9 अलग-अलग पुरुषों के खिलाफ शादी का झूठा वादा करके 9 बलात्कार की शिकायतें दर्ज कराई थीं। इसके अलावा एक हनीट्रैप गिरोह का भी भंडाफोड़ किया जिसमें एक पुलिस अधिकारी शामिल था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
उन्होंने बताया कि साबित हुए झूठे मामलों में से बमुश्किल 40 प्रतिशत में ही आईपीसी की धारा 182 (नुकसान पहुंचाने के लिए झूठी जानकारी देना) के तहत मुकदमा चलाया जाता है, जो आगे के दुरुपयोग को बढ़ावा देता है।