सुभाषिनी अली सहगल ने देशभर में हो रहे महिला उत्पीड़न के मामलों पर रखे विचार, किए कई चौंकाने वाले खुलासे

Edited By Manisha rana, Updated: 30 Jun, 2025 12:50 PM

subhashini ali sahgal expressed her views on cases of women harassment

जींद के एक निजी होटल में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति का 12वां राज्य सम्मेलन आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ जय हिंद फौज में काम कर चुकीं लक्ष्मी सहगल की पुत्री, पूर्व सांसद और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली सहगल...

जींद (अमनदीप पिलानिया) : जींद के एक निजी होटल में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति का 12वां राज्य सम्मेलन आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ जय हिंद फौज में काम कर चुकीं लक्ष्मी सहगल की पुत्री, पूर्व सांसद और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली सहगल ने शिरकत की।

पंजाब केसरी से विशेष बातचीत में सुभाषिनी अली सहगल ने देशभर में हो रहे महिला उत्पीड़न के मामलों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, "हमारा संगठन कोई एनजीओ नहीं है। हमारी सदस्यता प्रतिवर्ष नवीनीकृत होती है। हमारा संगठन हमेशा आंदोलनों में सक्रिय रहता है। हरियाणा के विभिन्न आंदोलनों में हमारी महिला समिति ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। उदाहरण के लिए, पहलवानों के आंदोलन में हमने दिल्ली के जंतर-मंतर पर महिला पहलवानों की आवाज़ बुलंद की। हरियाणा में पूर्व खेल मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ भी हमने आवाज़ उठाई। महिला की शिकायत के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उस खेल मंत्री को हटाया नहीं, न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की। खट्टर के हटने के बाद नायब सैनी मुख्यमंत्री बने, लेकिन उन्होंने भी संदीप सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बस उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया।" सुभाषिनी ने कहा, "हरियाणा में हमें अधिक आंदोलन करने पड़ते हैं क्योंकि यहाँ भाजपा की सरकार है और जो लोग अपराधी हैं, उन्हें भाजपा संरक्षण देती है। इसका बड़ा उदाहरण राम रहीम है। वह हत्या और बलात्कार के मामलों में सजा काट रहा है, फिर भी उसे बार-बार पैरोल दी जाती है। भाजपा के नेता उसके पास जाते हैं, उसके पैर छूते हैं और कहते हैं कि चुनाव में उनकी मदद करे।"

किसान आंदोलन और दलित उत्पीड़न

सुभाषिनी ने बताया कि किसान आंदोलन में भी हमारी महिला समिति सक्रिय थी। हमने किसानों के साथ टोल पर धरना दिया और उनके लिए भोजन की व्यवस्था में मदद की। दलित उत्पीड़न के मामलों में भी हमने हिस्सा लिया है। जैसे, जब किसी दलित लड़की की गैर-दलित से शादी होती है, तो उनके खिलाफ बहुत कुछ होता है। खाप पंचायतें भी उनके खिलाफ फैसले लेती हैं।

खाप पंचायतों और सामाजिक रूढ़ियों पर

खाप पंचायतों द्वारा समगोत्र विवाह, लिव-इन रिलेशनशिप और एक ही गाँव में शादी पर प्रतिबंध के मुद्दे पर सुभाषिनी ने कहा कि हरियाणा के कई गाँवों में दूसरे राज्यों से लड़कियाँ खरीदकर शादी की जाती हैं। अगर कोई लड़का अपनी पसंद से शादी करता है, तो इससे भाईचारे पर कोई असर नहीं पड़ता, न ही गाँव में कोई गड़बड़ होती है। हरियाणा में बंगाल, त्रिपुरा जैसी जगहों से गरीब लड़कियाँ लाई जाती हैं, जिनकी जाति या पारिवारिक पृष्ठभूमि की जानकारी किसी को नहीं होती। हरियाणा में लिंगानुपात असंतुलित है; लड़कों की संख्या लड़कियों से अधिक है। जिनके पास ज़मीन नहीं है, उनकी शादी यहाँ आसानी से नहीं होती। इसलिए यहाँ के लड़के दूसरे राज्यों से लड़कियाँ लाकर शादी करते हैं। केरल की नर्सें, जो पढ़ी-लिखी हैं, उनका उत्पीड़न नहीं होता। ऐसी शादियों से भाईचारे पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

उन्होंने आगे कहा, "हमारे पास कई मामले हैं और इस पर शोध भी हुआ है कि हरियाणा में एक लड़की को तीन-चार भाई आपस में बाँट लेते हैं। जब उसका काम खत्म हो जाता है, तो उसे दूसरे भाई के पास भेज दिया जाता है। ऐसी महिलाओं के बच्चों को परिवारवाले अपना नहीं मानते और उन्हें ज़मीन में हिस्सा भी नहीं दिया जाता। लेकिन खाप पंचायतें, जो पुरुष प्रधान हैं, इसे गलत नहीं मानतीं। वहीं, जब कोई महिला आगे बढ़ना चाहती है, तो उसे या उसके परिवार को मार देना यहाँ आम बात हो गई है।

समगोत्र और लिव-इन रिलेशनशिप पर

समगोत्र और एक गाँव में शादी के मुद्दे पर सुभाषिनी ने कहा, "मैं संविधान को मानती हूँ। संविधान कहता है कि 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति को अपनी शादी का फैसला लेने का पूरा अधिकार है। यह हमारा मूलभूत अधिकार है, और मैं इसके साथ खिलवाड़ के पक्ष में नहीं हूँ।" लिव-इन रिलेशनशिप में हत्याओं के मामलों पर उन्होंने कहा, "पिछले साल कितनी महिलाओं ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की? लेकिन यह देखें कि कितनी महिलाओं को उनके पति और ससुराल वालों ने मारा। मीडिया में यह खबरें आती हैं कि पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति को मारा, लेकिन ससुर द्वारा बहू के साथ बलात्कार या उसकी हत्या की खबरें कम ही सामने आती हैं। महिला उत्पीड़न के मामले पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक हैं। एनसीआरबी के आँकड़ों के अनुसार, पिछले पाँच साल में 600 पतियों की हत्या हुई, लेकिन सभी हत्याएँ पत्नियों ने नहीं कीं। वहीं, हर साल 1,000 से अधिक महिलाओं की हत्या होती है। लोग कहते हैं कि अब महिला उत्पीड़न खत्म हो गया और महिलाएँ ही उत्पीड़न कर रही हैं, लेकिन समाज में जो वर्चस्व रखता है, उसकी बात सुनी जाती है। आज भी महिला उत्पीड़न अधिक प्रबल है। हरियाणा में 75% महिला उत्पीड़न के मामले दर्ज ही नहीं होते। यहाँ लिंगानुपात फिर से बिगड़ रहा है।"

महिला पहलवानों और खेलों पर प्रभाव

सुभाषिनी ने कहा, "महिला पहलवानों के साथ हुई घटनाओं के बाद हरियाणा में कई लोग अपनी बेटियों को खेलों में भेजने से डर रहे हैं।"

किसान आंदोलन में एकता

उन्होंने जींद सुगर मिल के सामने हुए किसान आंदोलन का ज़िक्र करते हुए कहा, "वहाँ भंडारा चला, जिसमें गाँव के हर घर से रोटी आई। किसी ने नहीं पूछा कि रोटी किस जाति ने बनाई। मैंने भी वहाँ खाना खाया। किसान आंदोलन में सभी ने जात-पात भुला दी थी। लेकिन आंदोलन खत्म होने के बाद हम फिर से जात-पात में बँट जाते हैं। समाज में फैलाई जाने वाली नफरत का हम जल्दी शिकार हो जाते हैं।"

घरेलू हिंसा और सामाजिक मुद्दे

सुभाषिनी ने बताया कि 1990 में जब वह महिला आयोग की सदस्य थीं, तब घरेलू हिंसा, अंतरजातीय विवाह, दंगों में अल्पसंख्यक महिलाओं पर हमले, और वन विभाग द्वारा आदिवासी महिलाओं के उत्पीड़न के मामले सामने आते थे। उन्होंने कहा, "उस समय भी ताकतवर लोगों की मदद होती थी।"

भाजपा सांसद पर आरोप

भाजपा के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों में पॉक्सो धारा हटने पर सुभाषिनी ने कहा, "आज के समय में कोई केस लड़ना ही बहुत बड़ी बात है। लंबे केस में आवाज़ को दबा दिया जाता है।"

दहेज और सामाजिक बदलाव

दहेज पर सुभाषिनी ने कहा, "दहेज लिया और दिया जाता है। घरेलू हिंसा के मामले अक्सर दहेज से जुड़ जाते हैं क्योंकि धारा 498ए के तहत केस दर्ज करने से मामला मजबूत होता है। पहले दलित और किसान परिवार कम खर्च में शादी करते थे, लेकिन टीवी और विज्ञापनों के युग में दहेज की माँग बढ़ गई है। बाज़ार लोगों के दिमाग में यह भर रहा है कि अगर बेटी को गाड़ी या सामान नहीं दिया, तो उसका सम्मान नहीं होगा। लोग कहते हैं कि उन्होंने दहेज नहीं माँगा, वह अपने आप मिला, लेकिन बाद में उनकी माँगें बढ़ती जाती हैं।"

मोबाइल और सोशल मीडिया

मोबाइल और सोशल मीडिया पर महिलाओं द्वारा आपत्तिजनक वीडियो बनाने के सवाल पर सुभाषिनी ने कहा, "90% पुरुष भी मोबाइल पर पोर्न वीडियो देखते हैं। गैंग रेप के मामलों में शराब और पोर्न बड़े कारक हैं। लड़कियाँ क्या कर रही हैं, यह पूछने की बजाय यह पूछें कि लड़के क्या कर रहे हैं और पोर्न देखने के बाद क्या करते हैं।"

बलात्कार के कारण

उन्होंने कहा, "बलात्कार बॉलीवुड की लड़कियों या छोटे कपड़े पहनने वालियों के साथ नहीं, बल्कि गाँव की उन लड़कियों के साथ अधिक होता है जो पर्दे में रहती हैं। बलात्कार छोटे कपड़ों की वजह से नहीं, बल्कि हवस की वजह से होता है।"

बंगाल में बलात्कार की घटना

बंगाल में लॉ की छात्रा के साथ बलात्कार की घटना पर सुभाषिनी ने कहा, "2011 से पहले जब बंगाल में लेफ्ट की सरकार थी, तब कोलकाता को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर माना जाता था। पहले भी हादसे होते थे, लेकिन अब तो स्थिति बहुत खराब हो गई है। सरकार का रवैया अपराधियों के प्रति नरम हो तो अपराधियों के हौसले और बुलंद हो जाते हैं।"

महिलाओं का राजनीतिक डर

उन्होंने कहा, "जो महिलाएँ किसी पार्टी पर निर्भर होकर विधायक, सांसद या मंत्री बनती हैं, वे महिला उत्पीड़न के खिलाफ बोलने से डरती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कहीं उनका टिकट न कट जाए या उनका राजनीतिक भविष्य खराब न हो जाए।"

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