Jind News: कंडेला कांड के शहीद राजेश शर्मा की मूर्ति का अनावरण, किसानों ने दी श्रद्धांजलि

Edited By Deepak Kumar, Updated: 26 May, 2025 01:47 PM

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25 मई 2025 को जींद के कंडेला गांव में वर्ष 2002 के कंडेला कांड में शहीद हुए राजेश शर्मा की मूर्ति का उनके खेत में भव्य अनावरण किया गया। इस अवसर पर हरियाणा भर से सैकड़ों किसानों और विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने एकत्रित होकर राजेश शर्मा के...

जींद (अमनदीप पिलानिया) : 25 मई 2025 को जींद जिले के कंडेला गांव में वर्ष 2002 के कंडेला कांड में शहीद हुए राजेश शर्मा की मूर्ति का उनके खेत में भव्य अनावरण किया गया। इस अवसर पर हरियाणा भर से सैकड़ों किसानों और विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने एकत्रित होकर राजेश शर्मा के बलिदान को याद किया और उनके साहस को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह मूर्ति न केवल राजेश शर्मा की स्मृति को अमर रखने का प्रतीक है, बल्कि किसानों के अधिकारों और उनके संघर्ष की भावना को भी दर्शाती है।

कंडेला कांड का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

वर्ष 2002 में हरियाणा में तत्कालीन मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की सरकार के खिलाफ बिजली बिलों और बिजली कटौती के मुद्दे पर किसानों ने भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेतृत्व में व्यापक आंदोलन शुरू किया था। यह आंदोलन बिजली बिलों की माफी और नियमित बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर था। कंडेला कांड के दौरान पुलिस के लाठीचार्ज में नौ किसानों की जान चली गई थी, जिनमें सबसे कम उम्र के शहीद राजेश शर्मा भी शामिल थे। उस समय राजेश मात्र 15 वर्ष के थे और नौवीं कक्षा में पढ़ते थे।

राजेश शर्मा के पिता की जुबानी: एक नन्हा योद्धा

स्वर्गीय राजेश शर्मा के पिता ईश्वर शर्मा ने बताया कि राजेश एक होनहार और जागरूक छात्र था। वह गांव के बुजुर्गों और किसान नेताओं की बातों को ध्यान से सुनता था। किसान नेता घासी राम नैन, जो उनके पिता के मित्र थे, के साथ राजेश ने कंडेला से नगूरां गांव तक आंदोलन में हिस्सा लिया। नगूरां में पुलिस के लाठीचार्ज में राजेश को गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद इलाज के दौरान 25 मई 2002 को उनकी मृत्यु हो गई। ईश्वर शर्मा ने भावुक होते हुए कहा, “मेरा बेटा पढ़ाई में बहुत अच्छा था। वह किसानों के हक के लिए लड़ा और अपनी जान दे दी। हमें उस पर गर्व है।”

राजेश शर्मा की बड़ी बहन ने कहा कि हमें अपने भाई पर गर्व है। ऐसा भाई और बेटा हर परिवार को मिले।” वहीं, उनकी माता बिसनो देवी ने बताया कि वर्ष 2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके परिवार को सम्मान के रूप में 1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और हरियाणा रोडवेज विभाग में नौकरी प्रदान की गई। यह सहायता उनके लिए एक बड़ा संबल थी।

मूर्ति अनावरण समारोह में कंडेला गांव और आसपास के क्षेत्रों से आए किसानों ने एकजुटता का परिचय दिया। समारोह में उपस्थित लोगों ने राजेश शर्मा के बलिदान को याद करते हुए किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि यह मूर्ति किसानों की एकता और उनके हक की लड़ाई का प्रतीक है। समारोह में किसानों ने तत्कालीन चौटाला सरकार की कथित क्रूरता की भी निंदा की, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा देखी गई।

2002 का बिजली बिल आंदोलन हरियाणा के किसान आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उस समय बिजली बिलों में बढ़ोतरी और अनियमित बिजली आपूर्ति ने किसानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया था। कंडेला कांड में पुलिस कार्रवाई के दौरान हुई हिंसा ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया था। इस घटना ने किसानों के बीच एकता और संगठन की भावना को और मजबूत किया। कुछ विजवल 25 मई 2025 के हैं जिस दिन मूर्ति का अनावरण हुआ हैं।

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