Edited By Deepak Kumar, Updated: 26 May, 2025 08:09 PM

जींद के सफीदों तहसील के खातला गांव की बेटी गरीमा सहरावत ने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में आयोजित ASBC यूथ वुमन एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया। यह प्रतियोगिता 10 मई से 24 मई 2025 तक आयोजित की गई...
जींद (अमनदीप पिलानिया) : जिले के सफीदों तहसील के खातला गांव की बेटी गरीमा सहरावत ने श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में आयोजित ASBC यूथ वुमन एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया। यह प्रतियोगिता 10 मई से 24 मई 2025 तक आयोजित की गई थी। गरीमा की इस उपलब्धि ने न केवल उनके गांव और जिले, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।
मेडल जीतने के बाद पहली बार जींद के अर्जुन स्टेडियम पहुंची गरीमा का कोच, परिजनों, और स्थानीय खिलाड़ियों ने फूल-मालाओं के साथ जोरदार स्वागत किया। स्टेडियम में मौजूद छोटे बच्चों ने तालियां बजाकर गरीमा का उत्साह बढ़ाया। यह नजारा बेहद भावुक और गर्व से भरा हुआ था।
गरीमा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच की मेहनत, परिवार के अटूट समर्थन और विशेष रूप से अपने पिता की कड़ी मेहनत को दिया। उन्होंने कहा कि मैं रोजाना गांव से स्टेडियम तक आने-जाने के लिए अपने पिता पर निर्भर थी। उनके बिना यह संभव नहीं था। मेडल जीतने के पीछे मेरे कोच, माता-पिता और परिवार की मेहनत है। गरीमा ने बताया कि उन्होंने 2019 में बॉक्सिंग की शुरुआत की थी और यह उनका पहला अंतरराष्ट्रीय मेडल है। अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने दृढ़ विश्वास के साथ कहा कि यह सिल्वर मेडल मेरा पहला मेडल है, लेकिन मैं इसका रंग बदलूंगी और अगली बार गोल्ड मेडल जीतूंगी। मैंने बॉक्सिंग में किसी को अपना आइडल नहीं माना। मैं खुद दूसरों के लिए आइडल बनना चाहती हूं।
गरीमा के कोच ने की मेहनत और अनुशासन की तारीफ
गरीमा के कोच आशीष अहलावत ने उनकी मेहनत और अनुशासन की तारीफ की। उन्होंने कहा कि गरीमा सफीदों के खातला गांव से सुबह-शाम बस से स्टेडियम आती थी। उनके पिता उन्हें नियमित रूप से लाते-ले जाते थे। गरीमा ने एक भी दिन की छुट्टी नहीं ली। वह नियमों की पक्की है और मुझे शुरू से ही विश्वास था कि यह लड़की बहुत आगे जाएगी।
जब बेटी ने मेडल जीता, हम इसे लाइव देख रहे थेः पिता
गरीमा के पिता जगबीर सहरावत ने भावुक होते हुए कहा कि जब बेटी ने मेडल जीता, हम इसे लाइव देख रहे थे। सिल्वर मेडल हमारे लिए गोल्ड से कम नहीं है। गांव और आसपास के क्षेत्र में खुशी का माहौल है। हमें गर्व है कि हमारी बेटी ने न केवल हमारा, बल्कि गांव, जिला और देश का नाम रोशन किया।
गरीमा की उपलब्धि से गांव में जश्न
गरीमा की इस उपलब्धि से खातला गांव और आसपास के क्षेत्रों में उत्साह और गर्व की लहर दौड़ गई है। स्थानीय लोग उनकी मेहनत और लगन की तारीफ कर रहे हैं। गरीमा की इस जीत ने युवाओं, खासकर लड़कियों के लिए एक नई प्रेरणा दी है कि मेहनत और समर्पण से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है। गरीमा का अगला लक्ष्य गोल्ड मेडल जीतकर अपने देश का नाम और ऊंचा करना है। उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि छोटे से गांव से निकलकर भी बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं। जींद की इस बेटी की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ रहा है।
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