हरियाणा CET Group-C: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला,  13 लाख 48 हजार अभ्यर्थियों को राहत

Edited By Isha, Updated: 28 Sep, 2025 02:15 PM

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हरियाणा में ग्रुप-सी भर्ती प्रक्रिया को लेकर दायर याचिकाओं को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। न्यायालय ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) द्वारा सीईटी (कॉमन पात्रता परीक्षा)

डेस्क:  हरियाणा में ग्रुप-सी भर्ती प्रक्रिया को लेकर दायर याचिकाओं को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। न्यायालय ने हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (एचएसएससी) द्वारा सीईटी (कॉमन पात्रता परीक्षा) 2025 के नतीजों में अपनाए गए नॉर्मलाइजेशन फार्मूले को पूरी तरह वैध और न्यायसंगत ठहराया है।

साथ ही, अपील संख्या एलपीए-2890-2025 (राहुल डागर एवं अन्य बनाम एचएसएससी एवं अन्य) को खारिज कर दिया। यहां बता दें कि ग्रुप-सी पदों के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने सीईटी (कॉमन पात्रता परीक्षा) ली थी। यह परीक्षा विभिन्न विभागों में आने वाली भर्ती प्रक्रिया में स्तर सुनिश्चित करने का आधार बनेगी।

 नॉर्मलाइजेशन फार्मूला इसीलिए जरूरी माना गया ताकि अलग-अलग शिफ्टों या पेपर वेरिएंट्स में कठिनाई अंतर को संतुलित किया जा सके। इस पद्धति पर पहले भी विवाद हुए थे, लेकिन कोर्ट इस पद्धति को कई बार वैध माना गया है। सीईटी का आयोजन 26 एवं 27 जुलाई को दो दिन में चार शिफ्टों में हुआ था। 13 लाख 48 हजार से अधिक अभ्यर्थियों ने इसके लिए आवेदन किया था और नब्बे प्रतिशत से अधिक ने एग्जाम में भाग लिया।

अब अभ्यर्थी बेसब्री से नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। चूंकि नतीजे घोषित होने के बाद ही ग्रुप-सी पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी, और युवाओं के लिए रोजगार की राह खुलेगी। आयोग ने यह संकेत भी दिया है कि जैसे ही परिणाम घोषित होंगे, आगे की कट-ऑफ, दस्तावेज सत्यापन और नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र आरंभ की जाएगी।

 सुनवाई में यह सामने आया कि कुछ लोग ‘मामला मैनेज कराने’ के नाम पर हाईकोर्ट के एक कर्मचारी या अन्य माध्यम से क्यूआर कोड द्वारा धन संग्रह करने की कोशिश कर रहे थे। न्यायालय ने इसे न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप बताते हुए सभी संबंधित दस्तावेज सीलबंद करने का आदेश दिया। मामला हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल को आगे की कार्रवाई और जांच हेतु सौंपा गया। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि ऐसी याचिकाएं न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया को लटकाने की चेष्टा हैं, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ भी हैं। भविष्य में यदि कोई इसी तरह की याचिका दायर कर भर्ती प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयत्न करेगा, तो उस पर कड़ी कानूनी कार्रवाई और जुर्माने का दायित्व हो सकता है।

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