अनुराग ढांडा ने प्रदूषण और पराली प्रबंधन को लेकर सरकार पर साधा निशाना, बोले - पिछले वर्ष ग्रीन जोन के गांव येलो जोन के कैसे आए?

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 08 Nov, 2023 06:02 PM

anurag dhanda targeted the govt regarding pollution and stubble management

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय से प्रेस वार्ता की...

चंडीगढ़ : आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने बुधवार को चंडीगढ़ स्थित पार्टी के प्रदेश कार्यालय से प्रेस वार्ता की। उनके साथ पंचकूला जिला अध्यक्ष रंजीत उप्पल और प्रदेश संयुक्त सचिव पुरुषोत्तम सरपंच भी मौजूद रहे।अनुराग ढांडा ने कहा कि हरियाणा सरकार प्रदूषण की समस्या पर आंख मूंदे हुए है। हरियाणा के अंदर सरकार की नाकामी सरेआम नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि ये प्रत्येक गांव और खेत में पराली के प्रबंधन से स्पष्ट हो रहा कि हरियाणा सरकार पूर्णत फेल साबित हुई है। वहीं किसान पराली प्रबंधन के मामले में दोषी नहीं, बल्कि पीड़ित है, वहीं सरकार ने 600 किसानों पर लाखों रुपए जुर्माना लगाने का काम किया। उन्होंने मुख्यमंत्री खट्टर से सवाल पूछते हुए कहा कि वे बताएं कि पिछले वर्ष ग्रीन जोन के गांव इस बार येलो जोन में कैसे आए?

उन्होंने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे गांव जो पिछले वर्ष ग्रीन जोन में थे, उनमें पराली जलाने के केस मिले हैं। उन्होंने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि कैथल जिले के गांव चौशाला, सांच, दुसेरपुर और खेड़ी शेरू समेत 11 ऐसे गांव हैं जो पिछले वर्ष ग्रीन जोन में थे, वहीं इस वर्ष इनमें किसानों ने पराली जलाई है। वहीं उन्होंने सिरसा का उदहारण देते हुए कहा कि यहां के गांव मलारी, दादू, दादरी, देशू मलकाना समेत कुल मिलाकर 15 ऐसे गांव थे जो ग्रीन जोन में थे।

वहीं उन्होंने जिला फतेहाबाद के गांव का जिक्र करते हुए कहा कि यहां के गांव हमजापुर, तेलीवाडा, बिसला और खजूरी समेत 13 गांव ऐसे हैं, जो ग्रीन जोन में थे, लेकिन इस बार पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं। कुल मिलाकर लगभग हर जिले में पराली जलाने की सैंकड़ों घटनाएं दर्ज की गई हैं। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार की अनदेखी की वजह से किसान पराली जलाने को मजबूर हैं। 

उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से किसानों को न तो कोई मशीनरी और न ही कोई संसाधन मुहैया करवाया गया। इस वजह से ग्रीन जोन के किसान भी पराली जलाने को मजबूर हैं। पिछले वर्ष सोसाइटी बनाकर 80 फीसदी एससी किसानों को पराली निस्तारण यंत्र की सब्सिडी दी गई थी, लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं किया गया। इस बार किसानों ने सोसाइटी बनाकर सब्सिडी के लिए अप्लाई तो किया, लेकिन कोई भी सब्सिडी नहीं दी गई। इससे भी बड़ी बात इस बार कृषि बजट में सब्सिडी देने का कोई प्रावधान ही नहीं किया गया था।

उन्होंने खट्टर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 50 फीसदी सब्सिडी वितरण में उच्चाधिकारियों ने मिलकर महाघोटाला किया। साथ की खट्टर सरकार के 5 लाख एकड़ कृषि भूमि में बायो डिकंपोजर के प्रयोग के दावे भी झूठे निकले। 31 अक्तूबर 2023 तक भी कृषि विभाग किसी भी जिले में एक भी किसान ऐसा चिन्हित नहीं कर सका, जो डाइकंपोजर की डिमांड करता हो। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि सरकार की नीतियां ही क्रियान्वित नहीं हुई हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार भुवन एप के डेटा के माध्यम से पराली जलाने के कम घटनाएं होने का दावा कर रही है, जबकि इसकी सच्चाई ये है कि सैटेलाइट सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड करता है। इसलिए कृषि अधिकारी और प्रशासन किसानों को दोपहर तीन बजे तक पराली में आग लगाने से रोक रहा है, जबकि रात में ऐसी घटनाएं में वृद्धि दिखी है। इससे पता चलता है कि सरकार टाइम मैनेजमेंट से हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं को कम दिखा रही है, जबकि हरियाणा में हजारों ऐसे पराली जलाने के मामले हैं।

उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार की प्रदूषण को रोकने में आखिरी नाकामी प्रदेश में ग्रीन कवर में बढ़ोतरी नहीं होना है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में देश का सबसे कम साढ़े 3 प्रतिशत ग्रीन कवर है, जबकि दिल्ली में ग्रीन कवर 23 फीसदी है। उन्होंने कहा हर साल खट्टर सरकार घोषणा करती है कि 20 लाख पेड़ लगाए जायेंगे, 40 लाख पेड़ लगाए जायेंगे। जोकि सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गई है।

उन्होंने कहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकार किसान विरोधी है। डीएपी खाद के वितरण में भी पूरे प्रदेश के किसानों के साथ धोखा किया जा रहा है। अक्तूबर के महीने में हरियाणा को 1 लाख 10 हजार 450 मीट्रिक टन डीएपी के आवंटन की घोषणा की गई, जबकि 6 नवंबर तक 11 हजार 973 मीट्रिक टन डीएपी मिला है और अगले तीन दिन यानी 9 नवंबर तक कुल 19,773 मीट्रिक टन डीएपी हमें मिल जाएगा। वहीं किसान डीएपी का प्रयोग केवल 15 नवंबर तक कर सकते हैं। इससे प्रतीत होता है कि हरियाणा सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है। किसानों के खिलाफ काम कर रही है। डीएपी की उपलब्धता को भी सुनिश्चित नहीं करवा पा रही है।

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