ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दीपेंद्र हुड्डा का सरकार पर हमला, बोले - पीओके पर बोलने वाले अब क्यों चुप हैं?

Edited By Deepak Kumar, Updated: 28 Jul, 2025 08:37 PM

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कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने ऑपरेशन सिंदूर की टाइमिंग और सीजफायर के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि 9 तारीख को भारत सामरिक रूप से एडवांटेज में था, लेकिन 10 तारीख को अचानक सीजफायर हो गया। हुड्डा ने कहा, “आप बार-बार पीओके की बात करते थे,...

डेस्क: लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच जोरदार बहस देखने को मिली। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने केंद्र सरकार की विदेश नीति और निर्णयों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश की सेना का पराक्रम राजनीति का विषय नहीं है, लेकिन सरकार की रणनीतिक चूक पर सवाल जरूर उठने चाहिए। हुड्डा ने कहा, “भारत की फौज दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फौज में से एक है। विपक्ष ने पूरा समर्थन दिया, कहा कि हम साथ हैं। आपने क्या किया?”

“पीओके की बात करने वालों ने सीजफायर क्यों किया?”

कांग्रेस सांसद ने ऑपरेशन सिंदूर की टाइमिंग और सीजफायर के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि 9 तारीख को भारत सामरिक रूप से एडवांटेज में था, लेकिन 10 तारीख को अचानक सीजफायर हो गया। हुड्डा ने कहा, “आप बार-बार पीओके की बात करते थे, अब किस मुंह से देश के सामने यह मुद्दा उठाएंगे? अगर पाकिस्तान वाकई घुटनों पर था, तो सीजफायर क्यों किया गया?” उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति के सीजफायर से पहले आए ट्वीट का भी उल्लेख किया और उसे भारत की रणनीतिक स्थिति पर असर डालने वाला बताया।

“विदेश नीति की असलियत सांसदों के दौरे से सामने आई”

हुड्डा ने विदेश मंत्री की पाकिस्तान को की गई फोन कॉल पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह रणनीतिक चूक थी। उन्होंने कहा, “आप खुद कहते हैं कि पाकिस्तान की सेना और आतंकी एक ही हैं, फिर उनसे बात क्यों की?” उन्होंने आगे कहा कि विदेश मंत्रालय का काम दुनियाभर में समर्थन जुटाना होता है, लेकिन इस मुद्दे पर भारत के साथ कौन खड़ा हुआ? उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के साथ चीन, तुर्की और अजरबैजान जैसे देश खड़े दिखाई दिए, जबकि भारत को विश्व मंच पर अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। उन्होंने कहा कि विदेश नीति का सच तब सामने आया, जब आपको सांसदों के प्रतिनिधिमंडल भेजने पड़े।

“डोनाल्ड का मुंह बंद कराओ या मैकडोनाल्ड को बंद करो”

हुड्डा ने अमेरिका के प्रति सरकार की नीति पर भी कटाक्ष करते हुए कहा, “आप तय नहीं कर पा रहे हैं कि अमेरिका से आंख दिखानी है या हाथ मिलाना है। या तो डोनाल्ड का मुंह बंद कराओ या मैकडोनाल्ड को बंद कराओ।” उन्होंने कहा कि जब तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया, तो प्रधानमंत्री साइप्रस गए – यह अच्छा संदेश था। लेकिन असली चुनौती चीन है, और उसका जवाब देने के लिए ताइवान जाना बेहतर होता।

“सेना के आधुनिकीकरण और बजट में कटौती पर भी उठाए सवाल”

दीपेंद्र हुड्डा ने अग्निवीर योजना और सेना के बजट में कटौती का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के समय 41 स्क्वॉड्रन की मंजूरी दी गई थी, लेकिन आज केवल 31 स्क्वॉड्रन ही ऑपरेशनल हैं। हुड्डा ने कहा, “तीन मोर्चों पर युद्ध की आशंका के बीच सेना को आधुनिक और सशक्त बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए। बजट बढ़ाइए, हथियार और संसाधन दीजिए, ताकि सेना हर चुनौती के लिए तैयार रहे।”

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