Edited By Shivam, Updated: 19 Aug, 2019 05:22 PM
गांव में कई फुट पानी चढ़ गया है, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। हालांकि प्रशासन का दावा है किसी भी प्रकार की हानि नहीं होने दी जाएगी। बाढ़ को लेकर होने वाले किसी भी खतरे से निपटने के लिए प्रशासन तैयार है।
डेस्क/ब्यूरो: पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही बारिश से हथिनीकुंड बैराज पर आठ लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी का जमा होने पर यमुना नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है, जिसे तटवर्तीय इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन चुकी है। वहीं बाढ़ में फंसे ग्रामीणों को प्रशासन से भी कोई राहत नहीं मिल पा रही है, जिस कारण ग्रामीणों को काफी निराश होना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कई फुट पानी चढ़ गया है, लेकिन प्रशासन की ओर से अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। हालांकि प्रशासन का दावा है किसी भी प्रकार की हानि नहीं होने दी जाएगी। बाढ़ को लेकर होने वाले किसी भी खतरे से निपटने के लिए प्रशासन तैयार है।
अपडेट्स-
- सोनीपत में लगे चेतावनी के बोर्ड
सोनीपत में अलर्ट जारी कर दिया गया है। यमुना नदी के आसपास चेतावनी बोर्ड लगा दिए गए हैं। वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि है अधिकारी अपनी ड्यूटी पूरी निभाने में कोताही बरत रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अकेल सोनीपत जिले में 15 से 16 गांव यमुना नदी के चपेट में आ सकते हैं। केवल चेतावनी बोर्ड लगाने से पानी नहीं रुकेगा। (यहां पढ़ें पूरी खबर)
- अंबाला के मुलाना में मारकंडा नदी के पानी का बहाव ज्यादा होने के कारण नेशनल हाईवे एनएच 344 बंद कर दिया गया है। यहां नदी का पानी नेशनल हाइवे के डिवाइड से पार हो चुका है। वहीं इस रुट से आने वाले वाहनों को शाहबाद मार्ग की ओर से भेजा जा रहा है।
- यमुनानगर के गांव टापू कमालपुर में फंसे परिवार के लिए एयरफोर्स देवदूत साबित हुई है। यहां बाढ़ में फंसे परिवार के नौ लोगों को रात तीन बजे ही एयरफोर्स की मदद से एयरलिफ्टिंग कर रेस्क्यू किया गया है। पूरी खबर यहां पढ़ें
- इंद्री के दर्जनों गांव में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया है। बाढ़ के संभावित खतरे को देखते हुए जहां प्रशासन सतर्क हो गया है, वहीं जनता भयभीत हुए हैं, लोग यमुना नदी में आ रहे जबरदस्त लहरों वाले उफान को देखकर डरे हुए हैं। (यहां पढ़ें पूरी खबर)
- बरसात के दौरान पुलिया टूटी, हाइवे से कटा कई गांव का सम्पर्क
रविवार को भारी बरसात के दौरान गांव दामला और खुर्दी को जोडऩे वाली पुलिया भी टूटकर बिखर गई। यह पुलिया दामला को खुर्दी गांव से जोड़ती है और इस पर मार्ग पर करीब बीस गांव पड़ते हैं। पुलिया के टूट जाने से इन गांव का सम्पर्क दामला गांव में पडऩे वाले हाइवे मार्ग से कट गया है। जिससे दामला गाँव में जरूरत का सामान लाने के लिए पंहुचने वाले ग्रामीणों को समस्या का समाना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि हरियाणा के यमुनानगर में हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी तबाही का इशारा कर रहा है। इस पानी से यमुना नदी के साथ लगते हरियाणा के तमाम जिलों के साथ राजधानी दिल्ली के यमुना तटीय इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। हथिनीकुंड बैराज के जलस्तर ने पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पिछले साल जुलाई महीने में हथिनी कुंड बैराज पर यमुना नदी का जलस्तर 605000 क्यूसिक के आसपास था। इस साल अगस्त माह में यमुना नदी पर बने हथिनी कुंड बैराज पर 8 लाख 28 हजार क्यूसिक पानी मापा गया है।
एक दशक में यमुना का जलस्तर में हुए उतार-चढ़ाव
हथनीकुंड बैराज पर 18 गेट बने हुए है, जिनमें हर एक गेट की लंबाई 18 मीटर है। बैराज की क्षमता 9,95,900 क्यूसेक पानी की है। हरियाणा में बाढ़ की स्थिति वर्ष 1978 में बनी थी, जब यमुना में पानी का जलस्तर बढ़कर 7.10 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया था। उसके बाद 1988 में 5,75,332 क्यूसिक, 1995 में 5,36,388, 1998 में 5,41,700, 2008 में 4,09,876, 2009 में 4,20454, 2010 में 6,41,462 व इस में वर्ष यमुना का जलस्तर अब तक का सर्वाधिक 8,06,464 क्यूसेक रहा है।
2010 में जल बहाव 8लाख 44 हजार क्यूसेक तक दर्ज किया गया और ताजेवाला हैडवर्कस के खडे हुए स्ट्रेक्चर को भी बहा ले गया। वर्ष 2002 में ताजेवाला की जगह हथनीकुंड बैराज अस्तित्व में आ गया। वर्ष 2003 से 2009 तक जल बहाव की हालत 5 से 6 लाख क्यूसेक के आसपास रही। वर्ष 2010 व 2011 में तो यमुना नदी ने हथनीकुड बैराज को अपने होने का अहसास करा दिया। 2010 में जल बहाव 8लाख 44 हजार क्यूसेक दर्ज किया गया था।