बॉक्सर विजेंद्र बेनिवाल का दिल्ली से टूटा मोह, बोले- अच्छा है अपना गांव

Edited By vinod kumar, Updated: 08 Nov, 2020 07:14 PM

world winner boxer vijender beniwal left delhi and reached his village

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी के साथ बढ़ते पर्यावरण ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। इसी का कारण है कि ओलंपिक व विश्व विजेता रहे बॉक्सर विजेन्द्र बेनिवाल कुछ दिनों के लिए दिल्ली छोड़ अपने गांव पहुंच गए हैं। यहां वो अपने बगीचे में कस्सी...

भिवानी (अशोक): देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी के साथ बढ़ते पर्यावरण ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। इसी का कारण है कि ओलंपिक व विश्व विजेता रहे बॉक्सर विजेंद्र बेनिवाल कुछ दिनों के लिए दिल्ली छोड़ अपने गांव पहुंच गए हैं। यहां वो अपने बगीचे में कस्सी चलाने के साथ राजनीतिक वार पलटवार में जुटे हैं।

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कहते हैं जान है तो जहान है। इसी के चलते विश्व विजेता बॉक्सर विजेंद्र बेनिवाल अपने बच्चों के साथ कुछ दिनों के लिए अपने पैत्रिक गांव कालुवास में आए हैं। यहां पर वह रोजाना अपने बच्चों के साथ खेलते हैं, दोस्तों से मिलते हैं और अपने बगीचे में कस्सी से काम करते हुए ताजी हवा और हरियाली का मजा ले रहे हैं। बॉक्सर विजेंद्र सिंह का मानना है कि इस समय दिल्ली से कहीं अच्छा उनका अपना गाँव है। यहां का भाईचारा व पर्यावरण दोनों ही दिल्ली से अच्छे हैं।

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दिल्ली की आबो हवा के साथ बॉक्सर विजेंद्र सिंह ने हरियाणा के सोनीपत व पानीपत में जहरीली शराब से हुई दर्जनों मौतों पर कहा कि नशे को केवल खेलों को बढ़ावा देकर खत्म किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि खेलों को बढ़ावा मिलने पर एक वर्ग ही नहीं पूरे समाज में सुधार आता है। इसके साथ ही विजेन्द्र सिंह ने हरियाणा सरकार पर कटाक्ष किया और कहा कि हरियाणा सरकार खेलों को बढ़ावा देने की बजाय दो साल पहले खेले कोटे से ग्रुप जी में भर्ती हुए खिलाड़ियों की नौकरी ही छिन ली। 

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वहीं विजेंद्र ने हरियाणा सरकार द्वारा निजी क्षेत्र में 75 फ़ीसदी नौकरी अपने प्रदेश के युवाओं के लिए आरक्षित करने का कानून बनाने पर चुटकी ली और कहा कि पहले मुझे भी ये फैसला अच्छा लगा, लेकिन पता करने पर मालूम हुआ कि हरियाणा में तो पहले ही निजी क्षेत्र में 75 फीसदी से ज्यादा नौकरी हरियाणा के ही लोग कर कहे हैं। विजेंद्र ने तीनों कृषि कानूनों को किसान विरोधी बताया और कहा कि ये कानून किसानों के हक में होते तो किसान रोज सड़कों पर नहीं बैठते। उन्होंने कहा कि कृषि क़ानूनों का असर धीरे धीरे दिखेगा और आने वासी पीढ़ी को ये कानून खत्म कर देंगे। 

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इसके अलावा विजेंद्र बेनिवाल ने कहा कि कोरोना महामारी का खेल, खिलाड़ी व खेल प्रतियोगिताओं पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है। कोरोना महामारी ना आती तो उनकी दो फाइट हो चुकी होती। अब तो अगले साल पर ही उम्मीद है।

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