सरकारी मैडीकल कॉलेजों की फीस बढ़ने से गरीब छात्रों का डॉक्टर बनने का सपना रहेगा अधूरा : पंवार

Edited By Manisha rana, Updated: 09 Nov, 2020 04:19 PM

poor students  dream of becoming a doctor will be incomplete

अखिल भारतीय खटीक समाज हरियाणा प्रदेश के अध्यक्ष एवं पूर्व डीसीपी पूरन चंद पंवार ने हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी मैडीकल कॉलेजों की फीस 53000 रुपए से बढा़कर 10 लाख रुपए तक करने के प्रस्ताव की कड़े शब्दों में निंदा की...

फरीदाबाद (ब्यूरो) : अखिल भारतीय खटीक समाज हरियाणा प्रदेश के अध्यक्ष एवं पूर्व डीसीपी पूरन चंद पंवार ने हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी मैडीकल कॉलेजों की फीस 53000 रुपए से बढा़कर 10 लाख रुपए तक करने के प्रस्ताव की कड़े शब्दों में निंदा की है। साथ ही इसे स्वास्थ्य, छात्र, शिक्षा और युवा जो इस क्षेत्र में आना चाहते हैं उनके प्रति सरकार का विरोधी कदम बताया है।

पंवार ने कहा है कि सरकार लगातार मैडीकल कालेजों सहित उच्च शिक्षण संस्थानों की फीस को बढ़ाकर निजी कॉलेजों की फीस के बराबर करने की जो कोशिश कर रही है उससे गरीब छात्रों का भला नहीं हो सकता वह गरीब बच्चे जो निजी स्कूलों में इतनी फीस नहीं दे सकते योग्यता के बावजूद भी वे अपनी योग्यता का प्रदर्शन नहीं कर सकते। मैडीकल कॉलेजों में 10 लाख रुपए करने से गरीब छात्र-छात्राएं तथा आम आदमी डाक्टर बनने का सपना तक भी नहीं देख सकेंगे।

डॉक्टरी का यह पेशा अमीर घर के छात्र-छात्राओं तक ही सीमित रहेगा और यह स्वास्थ्य सेवाएं कुछ सीमित लोगों तक ही समिट कर रह जाएगी। उन्होंने कहा कि महंगी फीस देकर जो छात्र डॉक्टर बनेगा उसका मु य उद्देश्य मरीज को बेहतर इलाज देने की बजाय पैसा कमाना हो जाएगा जिससे डॉक्टरी जैसी महान पेशे में भारी गिरावट आएगी। आम आदमी अपनी इलाज के लिए फिर दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर होगा।

प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि डॉक्टर बनना किसी व्यक्ति का सिर्फ व्यक्तिगत मामला नहीं होता बल्कि वह देश, समाज को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाना, देश की ब्रहत योजनाओं का हिस्सा होता है। डॉक्टर की पढ़ाई करने के लिए सरकार ऋण देने की बात कह रही है इसका मतलब है कि सरकार छात्रों को सस्ती व नि:शुल्क शिक्षा देने की अपनी नैतिक जिम्मेदारी से पीछे हटना चाहती है। मैडीकल शिक्षा महंगी करने से जनता को बेहतर, सस्ता और नि:शुल्क इलाज नहीं मिल पाएगा। उन्होंने पुरजोर मांग की है कि मैडीकल क्षेत्र की शिक्षा के इस प्रस्ताव को सरकार वापिस ले ताकि गरीब योग्य छात्र-छात्राएं स्वास्थ्य क्षेत्र में आकर समाज की भलाई हेतू कार्य कर सके।

 

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