अस्पताल में नवजात का हाथ काटा, हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने तलब की रिपोर्ट... जानिए पूरा मामला

Edited By Isha, Updated: 06 Aug, 2025 10:29 AM

newborn s hand chopped off in hospital

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने मांडीखेड़ा (जिला नूंह) स्थित नागरिक अस्पताल में एक नवजात शिशु के हाथ के प्रसव के दौरान पूरी तरह कट जाने की हृदयविदारक घटना पर स्वतः संज्ञान लिया है। यह अमानवीय व क्रूर मामला

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी ): हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने मांडीखेड़ा (जिला नूंह) स्थित नागरिक अस्पताल में एक नवजात शिशु के हाथ के प्रसव के दौरान पूरी तरह कट जाने की हृदयविदारक घटना पर स्वतः संज्ञान लिया है। यह अमानवीय व क्रूर मामला 1 अगस्त 2025 को एक प्रमुख समाचार पत्र में प्रकाशित खबर से प्रकाश में आया, जिसमें 30 जुलाई 2025 को घटित इस घटना का विस्तार से 
उल्लेख किया गया था।

एक प्रमुख समाचार पत्र में छपे समाचार हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया| समाचार के अनुसार, श्रीमती सरजीना (पत्नी श्री शकील) को प्रसव हेतु नागरिक अस्पताल, मांडीखेड़ा में भर्ती किया गया था। आरोप है कि डॉक्टरों की घोर लापरवाही के कारण प्रसव के दौरान नवजात शिशु का हाथ शरीर से पूरी तरह अलग हो गया। यह भी सामने आया है कि जब परिवार ने सवाल उठाए तो अस्पताल स्टाफ ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया और पीड़ित परिवार को वार्ड से बाहर निकाल दिया। बाद में नवजात शिशु को नल्हड़ अस्पताल रेफर कर दिया गया।

अध्यक्ष श्री न्यायमूर्ति ललित बत्रा और सदस्यों श्री कुलदीप जैन एवं श्री दीप भाटिया को मिलकर बने पूर्ण आयोग ने पाया कि इस घटना को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार का घोर उल्लंघन मानते हुए कहा है कि यह मामला सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवाओं की गिरती स्थिति और मानवीय संवेदनाओं के अभाव की गंभीर तस्वीर पेश करता है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि यह घटना संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (UNCRC) के अनुच्छेद 6 और 19 के सीधे उल्लंघन के अंतर्गत आती है।

न्यायमूर्ति ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग ने यह टिप्पणी की कि एक मासूम शिशु का जीवन आरंभ होते ही इस प्रकार की अपूरणीय क्षति, न केवल चिकित्सा लापरवाही का गंभीर उदाहरण है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की जवाबदेही पर भी गहरे प्रश्नचिह्न लगाता है। अस्पताल स्टाफ द्वारा परिवार से दुर्व्यवहार, अपमानजनक भाषा का प्रयोग और उन्हें वार्ड से बाहर निकालना, स्थिति को और भी गंभीर बनाता है।

हरियाणा मानव अधिकार आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार सिविल  सर्जन, नूंह को आदेश की प्राप्ति से 15 दिनों के भीतर निम्न बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी:
1. प्रसव की सटीक परिस्थितियाँ तथा शामिल डॉक्टरों / नर्सिंग स्टाफ के नाम और पदनाम।
2. नवजात शिशु का अंग कटने के कारणों की स्पष्ट जानकारी।
3. बच्चे के इलाज और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदम।
4. यदि कोई विभागीय या आंतरिक जांच की गई है तो उसका विवरण।
5. पीड़ित परिवार के साथ कथित दुर्व्यवहार का स्पष्टीकरण।


प्रोटोकॉल, सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने जानकारी दी कि पूर्ण आयोग के आदेश, अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, मेडिकल एजुकेशन एवं रिसर्च और आयुष, हरियाणा; महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, हरियाणा, पंचकूला तथा नागरिक सर्जन, नूंह को भेजा गया है, ताकि आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। आयोग ने अगली सुनवाई की तिथि 26 अगस्त 2025 निर्धारित की है। हरियाणा मानव अधिकार आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक नागरिक, विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे, राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली से सम्मानपूर्वक, सुरक्षित और उत्तरदायी सेवा प्राप्त करें।  

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