खबर का असर: मामला मीडिया में उठने के बाद मंदबुद्धि बच्चों को मिला स्कूल

Edited By Shivam, Updated: 07 Dec, 2018 11:06 PM

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करनाल में एक संस्था में रहे करीब तीन दर्जन मंदबुद्धि बच्चों को उनका स्कूल दोबारा मिला है। यह संभव तब हुआ जब मीडिया ने उनके आशियाने के छिनने के मामले को प्राथमिकता से उठाते हुए प्रशासन तक पहुंचाई गई। उसके बाद पुलिस की सहायता...

करनाल(केसी आर्या): करनाल में एक संस्था में रहे करीब तीन दर्जन मंदबुद्धि बच्चों को उनका स्कूल दोबारा मिला है। यह संभव तब हुआ जब मीडिया ने उनके आशियाने के छिनने के मामले को प्राथमिकता से उठाते हुए प्रशासन तक पहुंचाई गई। उसके बाद पुलिस की सहायता से बच्चों के स्कूल पर लगा ताला खुलवाकर उनके सिर पर छत मुकम्मल की।

दरअसल, पिछले सप्ताह शुक्रवार को सैक्टर-14 स्थित अर्बन स्टेट में श्री चिंतामणि जैन स्वाध्याय संस्था के गेट पर जैन साध्वियों ने ताला लगा दिया था, जिससे वहां पढऩे वाले मंदबुद्धि बच्चे सड़क पर आ गए। गत शनिवार को पूरा दिन करीब 25 मंदबुद्धि बच्चे सड़क पर मिट्टी में ही बैठे रहे। जिसे लेकर संस्था के संचालक व अध्यापकों में रोष व्याप्त हो गया। मंदबुद्धि विकलांग संस्था के संचालक व अध्यापक ने इसकी शिकायत एसपी को भी दी।

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मंदबुद्धि विकलांग संस्था के संचालक अनिल बंधु ने बताया था कि वह 15 साल से श्री चिंतामणि जैन स्वाध्याय संस्था की बिल्डिंग में मंदबुद्धि विकलांग संस्था के माध्यम से मंदबुद्धि बच्चों को पढ़ाते हैं। करीब 30 बच्चे उनके पास शिक्षा ग्रहण करते हैं और इन बच्चों को पढ़ाने के लिए पूरा स्टाफ है। जिस बिल्डिंग में वह इन बच्चों को पढ़ाते हैं उस बिल्डिंग को उसके पिता पदम प्रकाश जैन ने जैन संस्था को दान में दी थी। यहां पिछले कई साल से 2 साध्वी रह रही हैं। आरोप है कि साध्वियां उन्हें इस बिल्डिंग से निकालना चाहती हैं।

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इस बिल्डिंग में उनके पास 6 कमरे और एक हॉल है उसका वे हर महीने किराया भी देते हैं, लेकिन फिर भी इन बच्चों को वहां पढ़ाने नहीं दिया जा रहा था। वहीं मुख्य गेट का ताला लगाने की शिकायत पुलिस व डीसी को की हुई है। शनिवार को जब सुबह ये बच्चे पढऩे आए तो सुबह गेट ही नहीं खोला, इस कारण बच्चे आज सड़क पर आ गए।  जब मामले बारे डी.सी. व प्रशासनिक अधिकारियों से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

दो संस्थाओं के झगड़े में पिसे मंदबुद्धि बच्चे, कोठी से बाहर निकाल जड़ा ताला

वहीं जब मामला मीडिया में आया तो खबर प्राथमिकता से दिखाई गई, जिसके बाद पुलिस की मदद से कोठी का गेट खुलवाकर बच्चों को दोबारा उनको कमरों में बैठने की इजाजत मिली है। अब सभी बच्चे व टीचर खुश हैं और मीडिया का धन्यवाद कर रहे हैं।

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