सीएम मनोहर के प्रयासों से सिरसा में मजबूत हो रही भाजपा, अपने कार्यकाल में जिले पर रखी विशेष नजर

Edited By Saurabh Pal, Updated: 27 Sep, 2023 08:28 PM

bjp is getting stronger in sirsa due to the efforts of cm manohar

हरियाणा में पहली बार पूर्ण बहुमत से और दूसरे प्लान में जेजेपी व निर्दलीयों के सहयोग से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मन में सिरसा की चाहत देखते ही बनती है। भाजपा के लिए सदा ‘बंजर जमीन’ रही सिरसा की सियासी धरती को मुख्यमंत्री भजपा के लिए...

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा में पहली बार पूर्ण बहुमत से और दूसरे प्लान में जेजेपी व निर्दलीयों के सहयोग से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मन में सिरसा की चाहत देखते ही बनती है। भाजपा के लिए सदा ‘बंजर जमीन’ रही सिरसा की सियासी धरती को मुख्यमंत्री भजपा के लिए उपजाऊ बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। यही वजह है कि सिरसा में उनके दौरे लगातार चलते रहते हैं। मुख्यमंत्री सिरसा आने की इच्छा सबसे अधिक रखते हैं। सिरसा ऐसा जिला है जहां से हर प्लान में मंत्री बनते रहे। लछमन दास अरोड़ा और गोपाल कांडा उद्योग मंत्री रहे, लेकिन उद्योग के लिहाज से सिरसा बहुत पिछड़ा रहा। यहां एग्रो बेस्ड इंडस्ट्री की संभावना बहुत है मगर उस पर काम नहीं हुआ। मुख्यमंत्री रहते ओमप्रकाश चौटाला ने पन्नीवाला मोटा में शूगर मिल और रोहिड़ांवाली में जूट मिल लगाई मगर वे सफल नहीं हो सकीं।

बीजेपी के लिए उम्मीदें गढ़ीं

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सत्ता प्राप्ति के बाद अपनी पार्टी के लिए सिरसा जिला में संभावनाएं मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सबसे पहले उन्होंने यहां से भाजपा नेता जगदीश चोपड़ा को अपना राजनीतिक सलाहकार बनाया। उसके बाद रेणु शर्मा महिला एवं बाल विकास विभाग की चेयरपर्सन बनाई गईं। फिर गुरदेव सिंह राही को माटी कला बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया और आदित्य चौटाला को हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड का चेयरमैन लगाया गया। बीजेपी की टिकट पर चुनाव लडक़र हारे पवन बेनीवाल को भी हरियाणा बीज विकास निगम का चेयरमैन बनाया गया। राजनीतिक सलाहकार के तौर पर कामयाब न होने के बावजूद जगदीश चोपड़ा को हरियाणा पर्यटन बोर्ड का चेयरमैन बनाकर मुख्यमंत्री ने सिरसा को सत्ता का हिस्सेदार बनाए रखा।

हर जरूरत का रखा लिहाज

मुख्यमंत्री ने सिरसा की डबवाली मंडी क्षेत्र में नशे की अधिकता के चलते पुलिस जिला बनाने की मांग पूरी की। डबवाली में बेशक कांग्रेस का विधायक है। उन्हीं की मांग पर डबवाली को पुलिस जिला बनाया गया। इसी प्रकार कालांवाली को उपमंडल बनाया गया। सिरसा में मेडिकल कॉलेज की घोषणा की गई और स्वयं महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से इसका शिलान्यास करवाया। अनेक बार सीएम यहां जनसंवाद कार्यक्रम करने आए। अभी हाल ही में साइक्लोथॉन कार्यक्रम में भी वे दो दिन सिरसा में रहे। पहले भी अपने दौरों के दौरान मुख्यमंत्री दो-दो दिन तक सिरसा में रह चुके हैं। इतना ही नहीं वे सिरसा के हर हलके में दौरा करके अपनी पार्टी की जड़ों को मजबूत करने के प्रयास कर चुके हैं।

सिरसा की रेल सुविधा बढ़ाई

सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल के प्रयासों और मुख्यमंत्री की रहनुमाई के चलते सिरसा को रेल क्षेत्र में काफी आगे बढ़ाया गया है। कई ट्रेनों के विस्तार करके सिरसा वासियों को राहत दी गई है। कनेक्टिविटी बढऩे का फायदा यहां के व्यापारियों को मिलने लगा है। वहीं हरियाणा पंजाब की आपसी रिश्तेदारियों में भी लोगों का आवागमन सुगम हुआ है। सिरसा रेलवे स्टेशन पर तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं।

चौटाला का गढ़ रहा है सिरसा

सिरसा जिला पूर्व मुख्यमंत्री का गृहजिला और गढ़ रहा है। यहां से चौ. देवीलाल  की पार्टी से चौ. हेतराम सांसद रहे। डॉ. सुशील इंदौरा दो बार सांसद और एक बार विधायक बने। चौटाला अपने भाषण के दौरान यह टीस सार्वजनिक करते थे कि सिरसा जिला से वे चार सीटें जीतते हैं। यह उनकी रीझ थी कि सभी पांचों विधानसभा क्षेत्रों से उनकी पार्टी के एमएलए बनें और सिरसा जिला ने इस उम्मीद को पुख्ता भी किया। एक समय में सिरसा से मक्खन सिंगला, रानियां से रामचंद्र कंबोज, डबवाली से नैना चौटाला, कालांवाली से बलकौर सिंह और ऐलनाबाद से अभय सिंह चौटाला इनेलो के विधायक बने थे। बेशक सरकार बीजेपी की ही थी। अभय सिंह चौटाला के बेटे कर्ण चौटाला सिरसा जिला परिषद के चेयरमैन हैं तो अजय सिंह चौटाला के बेटे सरकार के हिस्सेदार हैं और डिप्टी सीएम के पद पर विराजमान हैं।

प्रो. गणेशीलाल को बनाया गवर्नर

बीजेपी ने सिरसा को पार्टी की सियासत के तौर पर मजबूत करने के लिए यहां से पार्टी की अनुशासन समिति का राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. गणेशीलाल को बनाया। इतना ही नहीं प्रो. गणेशीलाल को उड़ीसा के राज्यपाल के पद से सुशोभित करके बहुत बड़ा पुरस्कार दिया गया। ये वही प्रो. गणेशीलाल थे जो कभी सिरसा के राजकीय नेशनल कॉलेज में गणित के प्राध्यापक हुआ करते थे। वहां से त्यागपत्र देकर चुनाव लड़ा लेकिन नहीं जीत सके। दूसरे प्लान में फिर विधायक भी बने और तब की बंसीलाल सरकार में मद्यनिषेध मंत्री रहे। उन्हें भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष और झारखंड प्रदेश का सह प्रभारी भी लगाया गया।

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