28 साल पहले भी हरियाणा में बाढ़ ने मचाई थी भारी तबाही, 16.55 लाख एकड़ फसल हो गई थी बर्बाद

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 10 Jul, 2023 09:37 PM

28 years ago flood had caused huge devastation in many districts of haryana

मानसून के प्रभावी होने के बाद पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में बरसात का सिलसिला लगातार जारी है। हरियाणा में टांगरी, मारकंडा व घग्गर नदियां उफान पर आ गई हैं। यमुना नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान के पास पहुंच गया है...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : मानसून के प्रभावी होने के बाद पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में बरसात का सिलसिला लगातार जारी है। हरियाणा में टांगरी, मारकंडा व घग्गर नदियां उफान पर आ गई हैं। यमुना नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान के पास पहुंच गया है। पहाड़ों पर हो रही जोरदार बरसात के बाद नदियों में बाढ़ की हालत बनी हुई है तो अनेक शहरों में हो रही औसत से अधिक बरसात के चलते शहरों एवं गांवों में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। अंबाला, यमुनानगर, पंचकूला में स्थिति काफी चिंताजनक है। हरियाणा में आज से 28 साल पहले भी इसी तरह से साल 1995 में हरियाणा में बाढ़ ने भयंकर तबाही मचाई थी। उस समय भिवानी, रोहतक, रेवाड़ी में बाढ़ ने लोगों को घरों से बेघर कर दिया था। प्रदेश के तमाम 16 जिलों में बाढ़ ने कहर बरपाया और बाढ़ ने लोगों को बंजारा बना दिया था। इसी तरह से 1988, 1993, 1995 और 2010 में घग्गर नदी ने सिरसा, फतेहाबाद व कैथल में भारी तबाही मचाई थी। 1993 में तो सिरसा में गांव झोंपडा के पास घग्गर नदी पर बांध के टूट जाने से सिरसा शहर में भी पानी प्रवेश कर गया था और आधे से अधिक शहर के घरों व दुकानों में बाढ़ का पानी घुस जाने से लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर शरण लेनी पड़ी थी।

गौरतलब है कि तेज बरसात के चलते हरियाणा के कई शहरों में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। मानसून अभी भी पूरी तरह से प्रभावी बना हुआ है और भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ ने अगले 24 घंटे के लिए पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर में तेज बरसात की संभावना जताते हुए रेड अलर्ट, जबकि कुरुक्षेत्र, कैथल और करनाल के लिए ऑरैंज अलर्ट जारी किया है। वहीं हरियाणा में लगातार बारिश के कारण करनाल में यमुना नदी ओवर फ्लो हो गई है। यमुना का पानी 10 से 12 गांवों में भर गया है। पंचकूला में इस समय घग्गर दी में 65 हजार क्यूसेक पानी चल रहा है तो गुहला चीका में 48 हजार क्यूसेक से अधिक पानी प्रवाहित हो रहा है। सोम्ब नदी में 14200 क्यूसेक पानी बह रहा है। उल्लेखनीय है कि प्री-मानसून में 1 जून से लेकर  30 जून तक औसत से काफी कम 5.4 मिलीमीटर बरसात हुई, लेकिन मानसून के सक्रिय होने के बाद पिछले 6 दिनों से औसत से अधिक बरसात ने कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा कर दी है। भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ के अनुसार 1 से 6 जुलाई तक ही प्रदेश में 92.5 मिलीमीटर बरसात हुई है। इस अवधि के दौरान सोनीपत में 188, रोहतक में 112, अंबाला में 77.2, दादरी में 134, करनाल में 148, कुरुक्षेत्र में 127, महेंद्रगढ़ में 109.6, मेवात में 125.2, पानीपत में 173.7 एवं सिरसा में 71.6 मिलीमीटर बरसात हुई है। बरसात की वजह से कई इलाकों में लोग फंसे हुए हैं। अंबाला शहर व आसपास के कई क्षेत्रों के निचले इलाकों में जलभराव हो गया है।

बाढ़ के चलते सरकारी कामकाज हुआ प्रभावित

भारी बारिश के चलते हरियाणा सरकार ने आम जनता के लिए एडवाइजरी जारी की है, तो इसके कारण सराकारी कामकाज भी प्रभावित हो गया है। बाढ़ की संभावना के चलते ही हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की ओर से 12 जुलाई से 27 जुलाई तक पंचकूला में प्रस्तावित गु्रप सी. की शारीरिक माप परीक्षण को भी रद्द कर दिया गया है। इसी प्रकार से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने भी जुलाई माह में होने वाली सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है। इसी तरह से बरसात के कारण ही गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर, फतेहाबाद, रेवाड़ी, सोनीपत व रेवाड़ी में स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है। मौसम विभाग ने बुधवार तक भारी बारिश की संभावना जताई है। संभावित बाढ़ को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी सोमवार को अधिकारियों के साथ बैठक की और प्रदेश के सभी उपायुक्तों से वीडियो कांफ्रैंसिंग के जरिए मीटिंग करते हुए उन्हें संभावित भारी बारिश से पैदा होने वाली स्थिति से निपटने को लेकर दिशा-निर्देश दिए। सरकार ने लोगों से अपील की है कि अगर जरूरत ना हो तो घर से बाहर न निकलें। बारिश के चलते जरूरत पडऩे पर स्कूलों को बंद करने के भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए एन.डी.आर.एफ. एवं एस.डी.आर.एफ. को बुलाया गया है। बारिश के चलते प्रभावित लोगों के खाने और पीने के सरकार ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। आम जनता किसी भी तरह की समस्या के लिए सरकार की ओर से बाढ़ हेल्पलाइन नंबर 1070, 1077, 112, 0172-2545938 जारी किए गए हैं। बरसात के चलते पंचकूला में अमरावती एन्कलेव के पास नैशनल हाइवे धंस गया। यह मुख्य मार्ग पंचकूला को शिमला से जोड़ता है। पंचकूला में श्री माता मनसा देवी मंदिर रोड भी पानी में बह गया। अंबाला में भी स्थिति काफी चिंताजनक है। इसी के चलते अंबाला में एन.डी.आर.एफ. और एस.डी.आर.एफ. की टीमों को बुलाया गया है। अंबाला में खराब हालत को देखते हुए अंबाला-हिसार नेशनल हाइवे 152 को बंद कर दिया गया है। पिंजौर में एक पहाड़ का मलबा गिरने से दो लोगों की मौत हो गई तो अंबाला में हिमाचल परिवहन निगम की बस पानी में फंस गई, रेस्कयू ऑप्रेशन चलाते हुए एन.डी.आर.एफ. की टीम ने बस में सवार 27 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। पंचकूला में घग्गर नदी के बढ़ते हुए जलस्तर के बाद जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक दिन पहले कौशल्या डैम का अवलोकन किया तो अंबाला में गृह मंत्री अनिल विज ने घग्गर नदी में बढ़ रहे जलस्तर को लेकर अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया। इसी तरह से आम आदमी पार्टी की कैंपेन कमेटी के चेयरमैन डा. अशोक तंवर ने पंचकूला में घग्गर नदी के बढ़ते हुए जलस्तर को लेकर जायजा लिया और लगातार बढ़ रहे जलस्तर को लेकर अपनी चिंता जाहिर की।

1995 में बाढ़ से 2840 गांवों में 28.87 लाख आबादी हुई थी प्रभावित

इससे पहले साल 1995 में भी प्रदेश के कई हिस्सों में 1 सितंबर से 4 सितंबर तक लगातार बरसात होने से बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी और 1995 में आई बाढ़ ने हरियाणा में तबाही मचा दी थी। 16 जिलों में 20 लाख 35 हजार एकड़ फसल प्रभावित हुई थी और 2840 गांवों और हरियाणा के अनेक शहरों की 28 लाख 87 हजार आबादी पर बाढ़ का असर पड़ा था। इसके अलावा 16 लाख 55 हजार एकड़ में तो फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी जबकि 2 लाख 2578 मकान क्षतिग्रस्त हुए थे और बाढ़ की इस भारी तबाही के चलते प्रदेश में 168 लोग मारे गए एवं 3157 मवेशियों की जान चली गई थीं। रोहतक के तो हाल-बेहाल थे। इसके अलावा समालखा के करीब 20 गांव, कुरुक्षेत्र के 30, मेवात के 15 गांवों में बाढ़ ने तबाही मचाई। जींद के पोली गांव में 16 किलोमीटर लंबी पानी की शीट बन गई थी। कलायत में नाव का सहारा लेना पड़ा। सोनपीत, रेवाड़ी, कैथल, गुडग़ांव, करनाल, यमुनानगर, जींद, पानीपत और फरीदाबाद में सबसे ज्यादा हालात चिंताजनक थे। उस समय रोहतक की भौगोलिक स्थिति कटोरे की तरह थी। सितंबर के पहले सप्ताह में रिकॉर्डतोड़ बरसात ने कटोरानुमा रोहतक शहर को पानी से लबालब कर दिया। काम धंधे चौपट हो गए थे। मकानों-दुकानों में पानी जमा होने के साथ शहरों का गांवों से संपर्क कट गया था और कई दिनों तक बिजली आपूर्ति बाधित रही थी। 1995 में आई बाढ़ के बाद अकेले रोहतक में 2 हजार करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ। रोहतक में 343 गांव में बाढ़ का असर रहा और। सात लाख आबादी प्रभावित हुई। 55,918 मकान क्षतिग्रस्त हुए। 2 लाख 14 हजार हेक्टेयर में फसलें तबाह हो गई। बाढ़ के दौरान रोहतक में सरकारी मदद महज 56 करोड़ की हो पाई। रोहतक के बाद सबसे अधिक असर भिवानी जिला में नजर आया। भिवानी में तमाम सरकारी ऑफिसों से लेकर गली-मोहल्लों में 4 से 7 फुट जलभराव हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के घर के अलावा भिवानी के लघुसचिवालय, राजकीय सीनियर सैकेंडरी स्कूल, वैश्य सीनियर सैकेंडरी स्कूल, पंचायत घर, अस्पताल में पानी भर गया। हरियाणा में हजारों करोड़ का नुक्सान बाढ़ के चलते हुआ। खास बात यह है कि भिवानी, रोहतक जैसे इलाकों में मई से अगस्त तक मामूली बरसात हुई थी और सूखे का आलम था। एकाएक सितंबर के पहले सप्ताह में बरसात ने कहर मचा दिया। 1 सितंबर से 4 सितंबर 1995 तक भिवानी, रोहतक, दादरी शहर के अलावा 500 से अधिक गांवों में जलभराव हो गया था।

चौ. बंसीलाल के मकान में भी प्रवेश कर गया था पानी

1995 में आई बाढ़ के चलते भिवानी की मुख्य सडक़ों से लेकर शहर और गांवों को जोडऩे वाली सडक़ों पर 3 से 6 फुट पानी जमा हो गया। आमतौर पर हरियाणा में औसत 438 मिलीमीटर, रोहतक में 502 और भिवानी में 304 मिलीमीटर बरसात होती है, मगर 1995 में हुई बरसात ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। 1 से 4 सितंबर तक आंकड़ा 400 मिलीमीटर को पार कर गया। वैसे हरियाणा आपदा प्रबंधन की रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले भी हरियाणा 1977, 1978, 1980, 1983 और 1993 में बरसात से हुई तबाही का मंजर झेल चुका है। इससे हटकर हरियाणा से गुजरने वाली घग्गर नदी भी आजादी के बाद करीब 14 बार तबाही का मंजर ला चुकी है। रोहतक भिवानी के अलावा 1995 की बाढ़ ने रेवाड़ी के साथ महेंद्रगढ़ के कुछ इलाकों में तबाही मचाई थी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल का भी भिवानी शहर का मकान पानी में डूब गया था। बरसात ऐसी थी कि बंसीलाल भी बेबस हो गए। भिवानी बी.एन. चक्रवर्ती रोड पर बंसीलाल का घर डूब गया। भिवानी शहर में पूर्व मुख्यमंत्री बनारसी दास गुप्ता मकान भी बाढ़ की चपेट में आ गए। दादरी की तत्कालीन विधायक चंद्रावती के घर में कई दिनों तक पानी खड़ा रहा। चंद्रावती ने तो विधानसभा के सैशन में भी बाढ़ से हुए नुक्सान को लेकर अपना दुखड़ा रोया था।

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