Edited By Saurabh Pal, Updated: 10 Sep, 2023 09:16 PM

संयुक्त किसान मजदूर इंकलाब यूनियन ने किसानों से जुड़े मुद्दों जिनमें जुमला, मुश्तरका, मलकान व शामलात देह की जमीनों पर मालिकाना हक़ व इन जमीनों पर खड़ी फसलों के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किसान मजदूर पूर्ण कर्ज माफ़ी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट फसलों के मुआवजे...
चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): संयुक्त किसान मजदूर इंकलाब यूनियन ने किसानों से जुड़े मुद्दों जिनमें जुमला, मुश्तरका, मलकान व शामलात देह की जमीनों पर मालिकाना हक़ व इन जमीनों पर खड़ी फसलों के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किसान मजदूर पूर्ण कर्ज माफ़ी स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट फसलों के मुआवजे आवारा पशुओं व ट्यूबवेल बिजली कनेक्शन शाहित अनेक मुद्दों पर किसानों के साथ मीटिंग कर चर्चा की। संयुक्त किसान मजदूर इंकलाब यूनियन के संयोजक एडवोकेट धर्मवीर ढींडसा ने मौजूद किसानों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हरियाणा की गठबंधन सरकार का शायद नित नेम बन चुका है कि हर रोज कोई ना कोई तुगलकी फरमान जारी कर किसानों को परेशान करना है।
लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार सामलात, देह, जुमला, मुश्तरका, मलकान व अन्य इसी तरह की जमीनों पर काबिज किसानों को मालिकाना हक़ देने के लिए किए वायदे अनुसार कानून लेकर आए। काबिज किसानों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन शुरू करे। सरकार द्वारा पोर्टल पर इन जमीनों पर काबिज लोगो का रजिस्ट्रेशन बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योंकि हरियाणा में सरकार बिना पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के एक दाना भी फसल का नहीं खरीदती। मौजूदा समय में गठबंधन सरकार द्वारा पैदा की गई परिस्थितियों से नजर आता है कि हरियाणा प्रदेश की सरकार शायद किसानों व काश्तकारों को उजाड़ना चाहती है।
ढींडसा ने कहा कि सरकार किसानों मजदूरों की पूर्ण कर्ज माफ़ी पर विचार करे, क्योंकि यह किसानों व मजदूरों का हक़ है। अगर फसलों के पूरे दाम मिलते तो किसान कर्ज देना बंद नहीं होता। सरकार को चाहिए की किसानों की खराब फसलों का पिछले वर्ष फिजी वायरस के कारण हुई हो या इस वर्ष बाढ़ के कारण उनका तुरंत मुआवजा किसानों को दे देना चाहिए।
ढींडसा ने कहा कि हरियाणा में बड़े पैमाने पर किसानों की पुश्तैनी जमीन जो रिकॉर्ड में जुमला मलकान, मुश्तरका, शामलात, देह धोलिदार मुक़ररी दार बुटमी दार काश्तकार अबादकार के नाम से दर्ज हैं। उसको सरकार कानून में बदलाव के माध्यम से हड़पना चाहती है। जिसके कारण किसानों ने आंदोलन भी किया था और आंदोलन के बाद हरियाणा सरकार ने आश्वासन दिया था कि इन सभी जमीनों पर किसानों को मालिकाना हक दिया जाएगा। सरकार की तरफ से इस मामले में एक कमेटी बनाने बारे भी बार बार कहा जा रहा है, लेकिन दूसरी तरफ सरकार ने काश्तकारों की फसलों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया है। जिसके कारण काश्तकारों को बहुत नुकसान हो रहा है।
उत्तरी हरियांणा प्रभारी संजीव बख्तुआ ने कहा कि जब परिस्थितियों में जब हरियाणा सरकार द्वारा जारी पत्र को हाईकोर्ट ने निरस्त करने का काम किया हो। हरियाणा सरकार के कानूनी संशोधन को भी सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन के माध्यम से चुनौती दी गई हो और सरकार खुद भी किसानों को मलिकाना हक देने की बात कर रही है, तो ऐसे में पोर्टल पर किसानों का रजिस्ट्रेशन बंद करना दुर्भाग्यपूर्ण है। हरियाणा सरकार से अपील है कि तुरंत प्रभाव से पोर्टल पर किसानों का रजिस्ट्रेशन शुरू किया जाए। ताकि किसानों को फौरी तौर पर राहत मिल सके। इस अवसर पर काफी संख्या में किसान मजदूर मौजूद रहे।
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