Edited By Manisha rana, Updated: 30 Jul, 2025 09:53 AM

हरियाणा में अब 1 अगस्त से जमीनों के दाम बढ़ जाएंगे। यह बढ़ौतरी 5 से 25 फीसदी तक हो सकती है। सरकार ने नए कलैक्टर रेट की फाइल को मंजूरी दे दी है।
चंडीगढ़ : हरियाणा में अब 1 अगस्त से जमीनों के दाम बढ़ जाएंगे। यह बढ़ौतरी 5 से 25 फीसदी तक हो सकती है। सरकार ने नए कलैक्टर रेट की फाइल को मंजूरी दे दी है। मंगलवार को मुख्यमंत्री से फाइल की मंजूरी के बाद सभी जिलों की तहसीलों में नए रजिस्ट्री के अप्वाइंटमेंट को भी फ्रीज कर दिया गया है। अब अगले 2 दिनों तक कोई भी नई रजिस्ट्री नहीं होगी। सिर्फ उन्हीं रजिस्ट्रियों को किया जाएगा जिनका पहले अप्वाइंटमैंट लिया जा चुका है। राजस्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि इसको लेकर सभी जिलों के डी.सी. को पत्र जारी करने को कहा गया है। इससे पहले राजस्व विभाग की तरफ से 24 जुलाई को सभी मंडलायुक्तों तथा जिला उपायुक्तों को इस संबंध में पत्र जारी किया गया था। नए कलेक्टर रेट के लिए विभिन्न स्थानों पर 5 से 25 फीसदी तक की बढ़ौतरी का प्रस्ताव दिया गया था।
दरअसल राज्य की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने गत दिनों पत्र जारी होने के बाद स्पष्ट किया था कि सरकार ने नए कलैक्टर रेट लागू करने का फैसला जरूर लिया है लेकिन इसे अंतिम रूप देने से पहले तय प्रक्रिया अपनानी होगी जिसमें कलैक्टर रेट की सूची को सार्वजनिक करना, उस पर आमजन से आपत्तियां और सुझाव मंगवाना जैसे चरण शामिल हैं। फिलहाल यह सूची सार्वजनिक नहीं की गई है जबकि नियमों के मुताबिक इसे कम से कम एक महीने पहले सार्वजनिक कर आपत्तियां मांगी जाती हैं। यह उनका बयान तब आया था जब नए रेट को लेकर विवाद शुरू हो गया था।
5 से 25 फीसदी तक हो सकती है बढ़ौतरी
प्रदेश भर के जिलों से आई रिपोर्ट के आधार पर इस बार कलैक्टर रेट में 5 से 25 फीसदी तक बढ़ौतरी हो सकती है जबकि पिछले साल जमीन के कलैक्टर रेट 12 से 32 प्रतिशत तक बढ़ाए गए थे। देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक होने के कारण एन.सी. आर. में जमीन बहुत अधिक महंगी है। इसलिए वहां कलैक्टर रेट बाकी जिलों से अधिक रखे गए थे और इस बार उसमें ज्यादा इजाफा हो सकता है। जमीनों की खरीद फरोख्त को लेकर कलैक्टर रेट बेहद अहम होता है। अलग-अलग स्थानों पर वहां के हालात और मार्कीट रिसर्च के बाद ही वैल्यू कमेटी अपनी रिपोर्ट देती है। इसके बाद ही रेट बढ़ाने का फैसला होता है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला राजस्व विभाग और राज्य सरकार ही लेती है।
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