विधानसभा चुनावों में वापसी की चुनौती से जूझेंगे क्षेत्रीय दल

Edited By kamal, Updated: 30 May, 2019 08:27 AM

regional parties will be facing the challenge of returning

प्रदेश में क्षेत्रीय दलों ने राष्ट्रीय दलों के हाथों चुनावी दंगल में अपनी बुरी तरह हुई हार के बाद कई बार दमदार वापसी...

जींद(जसमेर): प्रदेश में क्षेत्रीय दलों ने राष्ट्रीय दलों के हाथों चुनावी दंगल में अपनी बुरी तरह हुई हार के बाद कई बार दमदार वापसी की है। हरियाणा विधानसभा चुनावों में प्रदेश के क्षेत्रीय दलों, खासतौर पर जजपा के सामने इसी तरह की वापसी की चुनौती रहेगी। लोकसभा व विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय दल कई बार राष्ट्रीय दलों के हाथों चुनाव हारे लेकिन बाद में उन्होंने दमदार वापसी भी की। 1984 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के हाथों प्रदेश में क्षेत्रीय दलों का पूरी तरह से सफाया हुआ था।

तब कांग्रेस ने प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन 1987 में हुए विधानसभा चुनावों में पूर्व उप-प्रधानमंत्री चौ.देवीलाल की क्षेत्रीय पार्टी लोकदल-ब ने इतनी जबरदस्त वापसी की थी कि कांग्रेस को 90 में से केवल 5 सीटें ही मिल पाई थीं और 85 सीटों पर चौ.देवीलाल की लोकदल-ब तथा उसके सहयोगी दलों के विधायक बने थे। 1989 के लोकसभा चुनावों में भी चौ.देवीलाल के जनता दल ने 10 में से 6 सीटों पर जीत हासिल कर हरियाणा की राजनीति में दमदार वापसी की थी।

1991 के लोकसभा चुनावों के साथ हरियाणा विधानसभा के चुनाव भी हुए थे तब कांग्रेस ने प्रदेश की 9 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी और पूर्ण बहुमत से प्रदेश में चौ.भजनलाल के नेतृत्व में अपनी सरकार बनाई थी। उस समय यह माना गया था कि चौ.देवीलाल व पूर्व मुख्यमंत्री चौ.बंसीलाल के क्षेत्रीय दलों के लिए वापसी की राह इतनी आसान नहीं होगी लेकिन 1996 के लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को प्रदेश में करारी हार का सामना करना पड़ा था।

कांग्रेस केवल 9 विधानसभा सीटों पर ही जीत पाई थी। पूर्व मुख्यमंत्री चौ.बंसीलाल की हविपा व भाजपा गठबंधन ने हरियाणा में सत्ता हासिल की थी और लोकसभा की भी 7 सीटों पर इस गठबंधन के प्रत्याशी विजयी हुए थे। चौ.देवीलाल की लोकदल को हरियाणा विधानसभा की 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 1998 के लोकसभा चुनावों में प्रदेश में चौ.देवीलाल की इनैलो और बसपा के गठबंधन ने 10 में से 5 सीटों पर जीत हासिल कर प्रदेश की राजनीति में जोरदार वापसी की थी।

1999 के लोकसभा चुनावों में ओमप्रकाश चौटाला की इनैलो ने भाजपा के साथ गठबंधन कर प्रदेश की सभी 10 लोकसभा सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। 2004 के लोकसभा चुनावों में सत्ता में होते हुए क्षेत्रीय दल इनैलो सभी 10 सीटों पर हार गई थी। तब लगा था कि इनैलो के लिए वापसी इतनी आसान नहीं होगी लेकिन 2009 के विधानसभा चुनावों में ओमप्रकाश चौटाला की इनैलो ने 32 सीटों पर जीत हासिल कर दमदार वापसी की थी।
 
इस बार क्षेत्रीय दलों के लिए फिर वापसी की चुनौती

12 मई को हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने प्रदेश में सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर राष्ट्रीय दल कांग्रेस समेत क्षेत्रीय दलों जजपा, आप,इनैलो,बसपा और लोसुपा सभी का पूरी तरह से सफाया कर दिया। अब अक्तूबर में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनावों में क्षेत्रीय दलों के सामने प्रदेश में वापसी की बहुत बड़ी चुनौती रहेगी।

जजपा और दुष्यंत चौटाला के सामने 1996 में चौ.बंसीलाल की हविपा और चौ.देवीलाल की लोकदल की तरह वापसी का इतिहास दोहराने की चुनौती रहेगी। साथ ही लोसुपा और इनैलो को भी हरियाणा में वापसी की चुनौती से जूझना होगा। इनैलो के लिए तो पूर्व सी.एम.ओमप्रकाश चौटाला जेल से फरलो पर आते ही इस काम में जुट गए हैं।
 
दुष्यंत ने कहा - इतिहास दोहराएंगे, हारे हैं थके नहीं 
जजपा संस्थापक व पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला का कहना है कि उनकी पार्टी चुनाव हारी है लेकिन वह और कार्यकर्ता थके नहीं हैं। क्षेत्रीय दलों ने प्रदेश में पहले भी वापसी की है और जजपा इसी पुराने इतिहास को दोहराते हुए हरियाणा विधानसभा के चुनावों में जोरदार वापसी करेगी। वजह यह है कि लोकसभा चुनाव पी.एम.मोदी के नाम पर हुए और विधानसभा चुनाव प्रदेश का सी.एम. चुनने को लेकर होंगे। 

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