Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 09 Aug, 2025 06:09 PM

गुड़गांव के बहुचर्चित प्रिंस हत्याकांड मामले की जांच के दौरान गलत तरीके से बस कंडक्टर अशोक को आरोपी बनाकर जेल भेजने के मामले में पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
गुड़गांव, (ब्यूरो): गुड़गांव के बहुचर्चित प्रिंस हत्याकांड मामले की जांच के दौरान गलत तरीके से बस कंडक्टर अशोक को आरोपी बनाकर जेल भेजने के मामले में पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मामले की जांच करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीबीआई की सेशन कोर्ट में केस चलेगा। मामले में दो एसीपी सहित थाना प्रभारी व एक जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर के खिलाफ सीबीआई की निचली अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए केस को सेशन कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
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उधर, दूसरी और सीबीआई के निचली कोर्ट के आदेश को चार पुलिसकर्मियों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पुलिसकर्मियों ने याचिका में आवेदन किया था कि बिना सरकार की अनुमति के कोर्ट ने मामला चलाने के निर्देश दिए है। बता दें कि चार पुलिसकर्मियों पर मामला चलाने के लिए सरकार से भी अनुमति मिल चुकी है। अब इस मामले में 28 अगस्त को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है।
प्रिंस हत्याकांड में सुनवाई की धीमी गति पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। मामले की सुनवाई में तेजी लाने के लिए कोर्ट ने फैसला किया है कि अब इस केस की लिस्टिंग के दिन सुबह 9 बजे से शाम 4:30 बजे तक केवल इसी मामले की सुनवाई की जाएगी। यह आदेश सितंबर से लागू होगा। उम्मीद है कि इससे हर सुनवाई में ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए जा सकेंगे और ट्रायल तेजी से पूरा होगा।
आपको बता दें कि कई अड़चनों के बाद मामले का ट्रायल जनवरी 2023 में शुरू हुआ था, लेकिन दो साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सीबीआई द्वारा चार्जशीट में लिस्ट किए गए। 123 गवाहों में से अब तक सिर्फ 21 गवाहों के ही बयान दर्ज हो पाए हैं। पीड़ित के पिता के वकील सुशील टेकरीवाल ने बताया कि ट्रायल की धीमी गति पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। ट्रायल के पहले छह महीनों में 12 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जबकि अगले डेढ़ साल में सिर्फ नौ गवाहों के बयान ही रिकॉर्ड हो पाए।
ट्रायल में तेजी लाने के लिए यह केस अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अमित गौतम की कोर्ट से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुनीत अग्रवाल की कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है। अगली सुनवाई 12 सितंबर को होनी है, और उसी दिन से कोर्ट का नया आदेश लागू होगा। कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह सुनवाई की हर तारीख पर ज्यादा से ज्यादा गवाहों को पेश करे। कोर्ट का लक्ष्य है कि एक ही दिन में कम से कम चार गवाहों के बयान और उनकी क्रॉस-एग्जामिनेशन पूरी की जाए।
आपको बता दें कि मामला 8 सितंबर 2017 का है, जब गुड़गांव के एक नामी स्कूल में दूसरी कक्षा के छात्र प्रिंस की स्कूल के टॉयलेट में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में गुड़गांव के भोंडसी थाना पुलिस ने स्कूल बस के कंडक्टर अशोक को आरोपी बनाते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया था। मामले ने कई नेताओं ने स्कूल के बाहर पहुंचकर भड़काउ भाषण तक देने शुरू कर दिए थे। मामले ने इतना तूल पकड़ा कि अगले दिन स्कूल के बाहर एक शराब के ठेके को अभिभावकों ने आग लगा दी जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। वहीं परिजनों ने शुरूआत से ही साफ कर दिया था कि पुलिस की जांच गलत दिशा में चल रही है और पुलिस किसी को बचाने के लिए निर्दोष बस कंडक्टर को फंसा रही है। परिजनों ने मामले की जांच सीबीआई को देने की मांग की थी। परिजनों की मांग पर जब मामला सीबीआई को पहुंचा तो सीबीआई ने जांच में अशोक की गिरफ्तारी को गलत बताया और मामले में स्कूल के 11वीं कक्षा के एक छात्र भोलू को नवंबर 2017 में काबू किया था। इसके साथ ही सीबीआई ने अशोक को जेल से बाहर निकलवाते हुए क्लीन चिट दे दी थी।
वहीं, सीबीआई द्वारा पकड़े गए आरोपी भोलू की उम्र 16 साल 5 महीने थी। जिसके बाद परिजनों ने आरोपी भोलू पर व्यस्कों की तरह केस चलाने के लिए अदालत से गुहार लगाई थी। नाबालिग और व्यस्क के बीच यह मामला कई वर्षों तक गुड़गांव कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अटकता रहा, लेकिन बाद में आरोपी पर व्यस्कों की तरह केस चलाए जाने की अनुमति मिलने के बाद 24 जनवरी 2023 को आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत आरोप तय किए गए थे, जिसके बाद 20 फरवरी 2023 से गवाहों के बयान दर्ज करने का सिलसिला शुरू हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में आरोपी को जमानत दे दी थी और मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था। फिलहाल, आरोपी 23 साल का है। इस मामले में पांच पुलिस अधिकारियों के खिलाफ पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में एक अलग ट्रायल भी चल रहा है।
वहीं, सीबीआई ने जांच के दौरान उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी केस दर्ज करने की याचिका कोर्ट में दायर करने के साथ ही हरियाणा सरकार से भी केस की अनुमति मांगी थी। ताकि मामले में एक निर्दोष को फंसाने वाले आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई हाे सके। मामले में हरियाणा सरकार से अनुमति मिलने के बाद यह मामला अदालत में है। अब इस मामले को सीबीआई की निचली अदालत ने सेशल कोर्ट में भेज दिया है।