Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 25 Jul, 2025 01:12 PM

बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसे रोहिंग्या के खिलाफ देश भर में अभियान चलाया जा रहा है। एक विभाग ऐसा भी है जिस पर रोहिंग्या के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का इतना असर पड़ा कि न केवल विभाग के अधिकारी बल्कि गुड़गांव की आम जनता भी परेशान हो गई।
गुड़गांव, (ब्यूरो): बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसे रोहिंग्या के खिलाफ देश भर में अभियान चलाया जा रहा है। एक विभाग ऐसा भी है जिस पर रोहिंग्या के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का इतना असर पड़ा कि न केवल विभाग के अधिकारी बल्कि गुड़गांव की आम जनता भी परेशान हो गई। यह विभाग कोई और नहीं बल्कि नगर निगम गुड़गांव हैं। जिस दिन से गुड़गांव पुलिस ने रोहिंग्या की धर पकड़ शुरू की और गुड़गांव के बाहर से आकर यहां रह रहे लोगों की पुलिस वैरिफिकेशन कराने पर जोर दिया तो उसी दिन से ही नगर निगम की डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की योजना ठप हो गई। डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने के लिए चलाई जा रही गाड़ियों के ज्यादातर ड्राइवर और रैग पिकर भाग खड़े हुए और पुलिस वेरिफिकेशन कराए जाने का विरोध करने लगे।
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ज्यादातर ने तो अपना ठिकाना ही बदल लिया। ऐसे में गुड़गांव की ज्यादातर कॉलोनियों में कोई भी कूड़ा उठाने के लिए नहीं आ रहा है। लोग परेशान होकर कूड़े को सड़क किनारे फेंक रहे हैं। हाल ही में नगर निगम ने स्वच्छता सर्वेक्षण में 41वां रैंक हासिल किया है, लेकिन हैरत की बात यह है कि यह रैंक और सम्मान मिलने के तुरंत बाद ही पूरा शहर कूड़े के ढेर में तब्दील हो गया। गुड़गांव की हालत को देखते हुए फ्रांस की एक महिला ने गुड़गांव की तुलना पिग हाउस यानी सुअरों के रहने के स्थान से कर दी। फ्रांस की महिला का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिससे गुड़गांव नगर निगम की नहीं बल्कि जिला प्रशासन की भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हो रही है।
जानकारी यह भी मिली है कि पिछले कुछ दिनों से गुड़गांव पुलिस द्वारा शहर में अलग-अलग एरिया में बसी झुग्गियों में रोहिंग्या की तलाश में अभियान चलाया हुआ है। इस अभियान के दौरान कुछ की पहचान भी हो गई है और कुछ को शक के बिनाह पर पूछताछ भी की जा रही है। इनके पास से मिले दस्तावेजों की जांच भी की जा रही है। वहीं, गृह मंत्रालय से रोहिंग्या को लेकर आए आदेशों के बाद गुड़गांव जिला प्रशासन ने इनकी जानकारी गृह मंत्रालय से सांझा करनी शुरू कर दी है। ऐसे में अगले आदेश पर जिला उपायुक्त ने गुड़गांव में चार कैंप बना कर इन सभी रोहिंग्या को वहां भेज दिया है। इनके लिए भोजन सहित अन्य व्यवस्था कर दी गई है। जिला उपायुक्त की मानें तो गृह मंत्रालय द्वारा इन्हें वापस बांग्लादेश भेजने की तैयारी की जा रही है। ऐसे में अगले आदेशों तक इन्हें एक कैंप में भेज दिया गया है। गुड़गांव में अभियान को तेज कर दिया गया है।
वहीं, रोहिंग्या के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के बाद नगर निगम की योजना ठप होने से आम जनजीवन अस्त व्यस्त होता जा रहा है। वहीं, नगर निगम के अधिकारी भी इस मामले में कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। नगर निगम के जॉइंट कमिश्नर विशाल से जब डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने की योजना के ठप होने को लेकर जब बात करने का प्रयास किया गया तो वह लगातार इसकी जवाबदेही से बचते नजर आए। ऐसे में साफ है कि नगर निगम में अंदरखाने अधिकारियों को यह डर सता रहा है कि जिस तरह से रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई से योजना ठप हो रही है उससे आला अधिकारियों की गाज उन पर न गिर जाए। हालांकि डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने का जिम्मा कांट्रेक्ट पर दिया गया है। अधिकारियों की मानें तो ड्राइवरों और रैग पिकर के न होने के कारण ठेकेदार ने भी अपने हाथ इस कांट्रेक्ट से पीछे खींच लिए हैं जिससे एक बार फिर गुड़गांव की सफाई व्यवस्था चरमराने को तैयार है।