Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 16 Aug, 2025 08:53 PM

पति पर दहेज के लिए परेशान करने का केस दायर करना एक महिला को भारी पड़ गया। दहेज मांगने के आरोपों में कोर्ट से दो बार बरी होने के बाद अब पति ने पत्नी पर केस दायर कर 1.80 करोड़ का हर्जाना मांगा है।
गुड़गांव, (ब्यूरो): पति पर दहेज के लिए परेशान करने का केस दायर करना एक महिला को भारी पड़ गया। दहेज मांगने के आरोपों में कोर्ट से दो बार बरी होने के बाद अब पति ने पत्नी पर केस दायर कर 1.80 करोड़ का हर्जाना मांगा है। हालांकि जब पति ने केस दायर किया तो पत्नी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से इसका विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने याचिका में पाए गए तथ्यों को सही पाया जिसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने मामले में बयान दर्ज करने के लिए सुनवाई की अगली तारीख 20 नवंबर 2025 निश्चित की है।
हर्जाने के रूप में मांगे 1.80 करोड़
गुरशरण ने बताया कि सेशन कोर्ट ने उन्हें दहेज के मामले में बरी कर दिया है। ऐसे में उन्होंने अब हर्जाने के रूप में 1.80 करोड़ रुपए की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की। सिविल जज (सीनियर डिविजन) मनीष कुमार की अदालत ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया। हालांकि इस याचिका का विरोध किया गया और दलील दी गई कि सेशन कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इस पर अदालत ने इस दलील को याचिका अस्वीकार करने के लिए कोई ठोस कारण नहीं माना। अदालत ने हर्जाने की मांग वाली याचिका को स्वीकार करते हुए इसकी सुनवाई की अगली तारीख 20 नवंबर 2025 निश्चित की है।
ये है पूरा मामला
गुरशरण लाल अवस्थी ने बताया कि वह ब्रिटिश नागरिक हैं। उन्होंने साल 2005-06 में शादी के लिए एक विज्ञापन दिया था। उनसे एक एडवोकेट ने संपर्क किया और अपने ही कार्यालय में काम करने वाली सेक्टर-56 निवासी एक युवती के बारे में बताया। दोनों में बातचीत हुई और बात शादी तक पहुंच गई। लंदन से मुंबई अपने परिवार के पास आकर गुरशरण लाल ने युवती के परिवार से मुलाकात की और सगाई कर ली। एक सप्ताह में दोनों की शादी हो गई। गुरशरण ने बताया कि 27 अप्रैल 2008 को शादी होने के कुछ ही दिनों बाद साल 2009 में उनकी पत्नी ने उन पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का सेक्टर-56 थाने में केस दर्ज करा दिया।
40 दिन तक जेल में रहे
गुरशरण ने बताया कि उन्हें जब केस के बारे में पता लगा तो वह लंदन से गुड़गांव आ गए। जब तक वह गुड़गांव आते तब तक उन्हें केस में भगोड़ा घोषित करा दिया गया। उन्हें भगोड़ा होने और दहेज प्रताड़ना सहित अन्य केसों में करीब 40 दिन तक जेल में रहना पड़ा। मजबूरन उन्हें लंदन में अपने कारोबार को छोड़कर गुड़गांव में शिफ्ट होना पड़ा और चार साल तक उन्होंने गुड़गांव में रहकर अपने केस की पैरवी की। उन्होंने बताया कि जब उन्हें थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उन्हें सात दिन के रिमांड पर लिया गया। इस रिमांड के दौरान उन्हें बेहद टॉर्चर भी किया गया। ब्रिटिश एंबेसी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने अपना रवैया बदला। उनका 3 साल तक पासपोर्ट भी कोर्ट में जमा रहा। केस जीतने के बाद उनका पासपोर्ट रिलीज किया गया।
कोर्ट में बिताई रात, चाय वाले ने दिया साथ
गुरशरण ने बताया कि केस के सिलसिले में उन्हें गुड़गांव में रहना पड़ा। ऐसे में उनका लंदन में कारोबार ठप हो गया। उनकी सेविंग्स भी खत्म हो गई। रहने के लिए कोई पैसे न होने के कारण उन्हें कोर्ट में भी रहना पड़ा। रात को वह कोर्ट परिसर में बैंच पर सो जाते थे। एक दिन चाय वाले की नजर उन पर पड़ी तो उसने मदद का हाथ बढ़ाया और वह अपने साथ उन्हें अपने घर ले गया जहां उसकी मदद से वह अपना जीवन यापन करने लगे।
दो बार केस में हुए बरी फिर भी रहे परेशान
गुरशरण ने बताया कि दहेज प्रताड़ना के साथ-साथ उन पर व उनके परिवार पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज कराया गया था। उन्हें लोअर कोर्ट ने मामले में बरी कर दिया था, लेकिन इस आदेशों के खिलाफ अपील दायर की गई। सेशन कोर्ट ने भी मामले में उनके पक्ष में फैसला दिया। हालांकि इस केस के दौरान उन्हें एक लाख रुपए का मेंटीनेंस देने के आदेश दिए गए थे जिसकी उन्होंने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की तो कोर्ट ने संज्ञान लेकर इस पर भी उनके पक्ष में फैसला दिया। हालांकि सेशन कोर्ट के इस फैसले को उनकी पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इस पूरे प्रकरण में युवती ने न केवल उन पर झूठे आरोप लगाए थे बल्कि उनके परिवार के सदस्यों पर भी केस किया था। इस सदमें को उनके पिता बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनका देहांत हो गया।
ब्रिटेन में लिया तलाक
गुरशरण ने बताया कि वह ब्रिटेन के नागरिक हैं। ऐसे में उन्होंने ब्रिटेन में ही अपने तलाक की याचिका दायर की थी। इस याचिका पर कोर्ट ने युवती को नोटिस भी भिजवाया था। यह नोटिस अपने आर्मी के साथियों के जरिए उन्होंने युवती को रिसीव कराया था और इसकी एक फोटो भी उन्होंने ले ली थी। इस नोटिस के बावजूद भी वह कोर्ट में पेश नहीं हुई जिसके बाद कोर्ट ने उनकी तलाक की याचिका को स्वीकार करते हुए उन्हें तलाक दे दिया।
एनजीओ ने की पीड़ित की मदद
एकम न्याय फाउंडेशन गुड़गांव की संस्थापक दीपिका नारायण भारद्वाज ने कहा कि ऐसे उनके पास बहुत मामले आते हैं जिनमें NRI पुरुषों को झूठ बोलकर शादी के बंधन में फंसा लिया जाता है और उसके बाद जब वीज़ा लगाने के समय पर लड़की का झूठ उजागर होता है तो उल्टा लड़के और उसके परिवार को फर्जी दहेज, घरेलू हिंसा के मामले में फंसा दिया जाता है। इस मामले पर वो कहती हैं कि यह केस उन सब भारतीय परिवारों के लिए चेतावनी है जो दूसरे देशों में रहते हैं और शादी भारत में करना चाहते हैं। आज बहुत से परिवार हैं जो या सिर्फ़ बाहर सेटल होने के लिए या पैसे की उगाही के लिए ऐसी शादियां कर रहे हैं। आंख मूंदे बिना किसी जांच के शादी नहीं करनी चाहिए। कम से काम कागजात तो देख ही लेने चाहिएं कि लड़की और उसका परिवार कहीं धोखाधड़ी तो नहीं कर रहा। गुरु अवस्थी का केस उदाहरण है कि अगर आप गलत परिवार से रिश्ता जोड़ लें तो कैसे पूरी ज़िंदगी बर्बाद हो सकती है। 16 साल बहुत लंबा समय है। इनका नुकसान तो 5 करोड़ से भी नहीं पूरा हो सकता। लेकिन धन्याद देना चाहूंगी सिविल जज साहब का जिन्होंने इस मुआवजे के केस की नींव रख दी है। मुझे यकीन है कि गुड़गांव के न्यायालय अंततः इनके साथ न्याय करेंगे।