उपभोक्ता अदालत ने बैंक ग्राहक की शिकायत पर बैंक ऑफ इंडिया पर लगाया एक लाख का जुर्माना

Edited By Manisha rana, Updated: 08 Apr, 2021 01:17 PM

fine of one lakh on bank of india on complaint of bank customer

नारायणगढ़  क्षेत्र के लोगों में आजकल उपभोक्ता फोरम अंबाला का एक फैसला अहम चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि गांव दनोरा निवासी चंद्र शेखर पुनिया  की शिकायत पर बैंक ऑफ इंडिया पर उपभोक्ता...

चंडीगढ़ (धरणी) : नारायणगढ़  क्षेत्र के लोगों में आजकल उपभोक्ता फोरम अंबाला का एक फैसला अहम चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि गांव दनोरा निवासी चंद्र शेखर पुनिया  की शिकायत पर बैंक ऑफ इंडिया पर उपभोक्ता फोर्म ने 100000 का जुर्माना लगाकर 45 दिन में चंद्रशेखर पुनिया को यह राशि अदा करने के निर्देश जारी किए है।

क्या है मामला शेखर पुनिया जो क्षेत्र के गांव दनोरा के रहने वाले हैं वह बैंक ऑफ इंडिया के एक नियमित ग्राहक थे और बैंक ऑफ इंडिया में उनके बचत खाते थे जिनमें 1 नियमित रूप से लेनदेन करते रहे और किसी भी तरह से बैंक के प्रति उनकी कोई देनदारी नहीं शेखर पुनिया का कहना है कि जब उन्होंने ठेकेदारी के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया तो संबंधित विभाग ने उनसे बैंक से उनके खाते में लेनदेन व उनकी आर्थिक स्थिति बारे एक सर्टिफिकेट जारी करवाकर दस्तावेजों के साथ संलग्न करने के लिए कहा। और उन्होंने अपने बैंक जिसमें उनके बचत खाता थे।  बैंक मैनेजर रामपाल से संपर्क कर आग्रह किया कि उनके खातों के आधार पर उनको उनको प्रमाण पत्र जारी किया जाए।

लेकिन उस समय शाखा प्रबंधक रामपाल  न केवल प्रमाण पत्र शेखर पुनिया को जारी करने से इंकार कर दिया बल्कि उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया शेखर पुनिया का कहना है कि उनके आग्रह को जब बैंक मैनेजर ने जानबूझकर अनसुनी कर दी तो उन्होंने अपने वकील जाहर सिंह के माध्यम से जिला उपभोक्ता फोरम अंबाला में केस दायर कर गुहार लगाई कि वह बैंक के नियमित ग्राहक हैं और बैंक मैनेजर के द्वारा उनके खातों में उचित लेन देन होने वह बैंक प्रबंधक की कानूनी दायित्व होने के बाद भी उनको प्रमाण पत्र नहीं दिया गया जिसके कारण न केवल उनका आर्थिक नुकसान हुआ बल्कि वह ठेकेदारी का लाइसेंस भी नहीं ले पाए उपभोक्ता अदालत में बैंक और शेखर पुनिया की सुनवाई करने के बाद 10.03.2021 को फैसला सुनाया और फैसले में व्यवस्था दी कि बैंक ऑफ इंडिया ने सेवा में कोताही किया है जिससे बैंक के नियमित ग्राहक शेखर पूनिया को नुकसान  हुआ है और बैंक के द्वारा  प्रमाण पत्र जारी करने के लिए तयशुदा प्रक्रिया का भी पालन नहीं किया गया और इन हालातों में बैंक सीधे तौर पर सेवाओं में त्रुटि के लिए जिम्मेवार है और बैंक ऑफ इंडिया को शेखर पुनिया को 100000 रुपये 45 दिन के भीतर देने होंगे यह क्षेत्र का अपने आप में एक अनोखा फैसला है जिससे न केवल वित्तीय संस्थान बल्कि दूसरे सस्थान  जो ग्राहक के अनदेखी बेवजह किसी भी रूप में करते हैं उनके लिए भी एक सबक साबित होगा।

क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ 
शेखर पुनिया की तरफ से मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता जाहर सिंह का कहना है कि सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए यह कानून बनाया और एक जागरूक उपभोक्ता का यह न केवल अधिकार है बल्कि दायित्व भी बनता है कि जहां उसके अधिकार का हनन हो वह सीधे तौर पर संबंधित अधिकारियों या विभाग के खिलाफ उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया शेखर पुनिया का मामला ऐसे लोगों के लिए जिन के अधिकारों का हनन किया जाता है एक मिसाल है बल्कि उन अधिकारियों और संस्थाओं के लिए जो उपभोक्ताओं के अधिकारों का जानबूझकर हनन करते हैं उनके लिए यह एक सबक है।

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