Edited By Punjab Kesari, Updated: 29 Dec, 2017 01:36 PM
हरियाणा मंत्री समूह की अनौपचारिक बैठक में पंचकूला व अम्बाला नगर निगम को भंग करने पर सहमति बन गई। माना जा रहा है कि इस फैसले को जल्द ही अमलीजामा पहना दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज जहां अम्बाला नगर निगम को भंग करने के पक्षधर रहे हैं तो वहीं...
चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा मंत्री समूह की अनौपचारिक बैठक में पंचकूला व अम्बाला नगर निगम को भंग करने पर सहमति बन गई। माना जा रहा है कि इस फैसले को जल्द ही अमलीजामा पहना दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज जहां अम्बाला नगर निगम को भंग करने के पक्षधर रहे हैं तो वहीं पंचकूला व कालका के विधायक भी नगर निगम को भंग करने की मांग कर रहे हैं। पहले ही भांति अम्बाला कैंट, अम्बाला शहर तथा कालका व पिंजौर में नगर परिषद बनेगी। इसके अलावा बैठक में प्रदेश के नगर निगमों में शामिल किए गए गांवों को निगमों से बाहर निकाला जाने पर भी मंथन हुआ।
सूत्रों की मानें तो निगमों के भंग होने की स्थिति में गांवों को एक बार से पंचायतों के हवाले किया जाएगा। हालांकि निगम भंग करने के बाद नए सिरे से वार्डबंदी की जाएगी, जिसमें गांवों के आस-पास की कॉलोनियों को नगर परिषद के दायरे में लाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि हुड्डा सरकार के दौरान पंचकूला तथा अम्बाला नगर निगम बनाए जाने का फैसला लिया गया था। विज सहित कई विधायकों ने इस फैसले का विरोध किया था। सूत्रों की मानें तो पंचकूला नगर निगम तो बरकरार रहेगा लेकिन कालका तथा पिंजौर को पंचकूला निगम से निकालकर पुराना दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। इसी तरह से अम्बाला नगर निगम को भंग कर अम्बाला शहर और छावनी को फिर से नगर परिषद का रूप दिया जाएगा। हुड्डा सरकार के दौरान 7 शहरों में नगर निगम बने थे।
इनमें रोहतक, पानीपत, करनाल, हिसार, पंचकूला, अम्बाला व यमुनानगर शामिल हैं। खट्टर सरकार ने सत्ता में आने के बाद सोनीपत को निगम का दर्जा दिया। नए निगमों में पास लगते गांवों को शामिल किया गया था। गांवों की सम्पत्ति भी निगमों के दायरे में आ गई। ऐसे में गांवों में विकास कार्यों को लेकर कई बार यह स्वर उठे कि गांवों को निगमों से बाहर किया जाए।