Edited By Shivam, Updated: 18 May, 2020 02:20 PM
लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को राशन व खाना पहुंचाने में पशासन विफल नजर आ रहा है, क्योंकि बार-बार फोन करने के बावजूद 125 परिवारों के लिए खाना या राशन नहीं मिल रहा, मिल रहा है तो सिर्फ आश्वासन। मजदूरों का गुहार लगाने और प्रशासन द्वारा फोन पर ही...
पानीपत (सचिन): लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों को राशन व खाना पहुंचाने में प्रशासन विफल नजर आ रहा है, क्योंकि बार-बार फोन करने के बावजूद 125 परिवारों के लिए खाना या राशन नहीं मिल रहा, मिल रहा है तो सिर्फ आश्वासन। मजदूरों का गुहार लगाने और प्रशासन द्वारा फोन पर ही आश्वासन देने का सिलसिला तीन दिन से लगातार ऐसा ही चलता रहा। अब आश्वासन से तो पेट भरेगा नहीं, इसलिए इन मजदूरों को भूखे पेट ही सोना पड़ा। वहीं मजदूरों की यह लाचारी देख एक परिवार ने इनका पेट भरने का जिम्मा उठा लिया और अपनी जमा पूंजी से मजदूरों की सेवा शुरू कर दी है।
राकेश वर्मा के परिवार ने 100 रोटियों बनानी शुरू की और अब 1000 से अधिक रोटियां बनाकर लगभग 145 परिवारों को सोने से पहले उन्हें भर पेट खाना दे रहे हैं। प्रशासन का नारा है कि किसी को भूखा नहीं सोने दिया जाएगा, जिसे वह तो पूरा नहीं कर पा रहा है, लेकिन राकेश के परिवार ने यह कर दिखाया है। राकेश वर्मा मध्यमवर्गीय परिवार से सम्बन्ध रखते हैं, जो पेशे से वकील हैं। इस परोपकार में राकेश के साथ उनकी 3 बच्चियां, माता और पत्नी भी जी-तोड़ जुटी हुई हैं।
राकेश ने बताया कि उन्होंने प्रशासन से 125 परिवार के लिए राशन या खाना भेजने की बात कही, लेकिन बार-बार फोन करने पर केवल आश्वासन देते रहे। प्रशासन के इस रवैये से तंग आकर खुद ही शुरु सेवा कर दी। राकेश अब अपनी माता, 3 बेटियों, पत्नी और पड़ोस की 2 महिलाओं के सहयोग से हजारों रोटियां बना रहे हैं। अब लगभग 145 परिवारों को हम रात को खाना देते हैं। राकेश ने सभी परिवार के लोगों का रजिस्टर बना रखा है जिसमें हर रोज एंट्री करते हैं किसे खाना पहुंचा और किसे नहीं।
उधर प्रवासी मजदूरों का भी कहना है कि प्रशासन से कोई सहयोग नहीं मिला। अगर ये लोग हमें खाना नहीं देते हम शायद वापस गांव चले जाते, लेकिन यह भी कब तक करेंगे। अगर हमें खाना मिलना बंद हो गया तो मजबूरन वापिस जाना पड़ेगा।