Edited By Manisha rana, Updated: 07 Oct, 2024 09:05 AM
राजनीतिक गलियारों में हरियाणा की अब तक की सत्ता के इतिहास को लेकर चर्चाए चल रही है।
चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : हरियाणा में मतदान के बाद सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में बंद हो चुकी है। ऐसे में जहां हर किसी की निगाहें 8 अक्टूबर को होने वाली मतगणना पर टिकी है। वहीं राजनीतिक गलियारों में हरियाणा की अब तक की सत्ता के इतिहास को लेकर चर्चाए चल रही है। ऐसे में यदि हरियाणा की राजनीति के पुराने इतिहास पर नजर दौड़ाए तो पता चलता है कि अब तक के 58 साल के इतिहास में हरियाणा में भी उसी दल की सरकार बनी है, जिसकी केंद्र में सरकार रही है। 58 साल के इतिहास में दो साल की केंद्र और प्रदेश में अलग-अलग दल की सरकारें रही हैं, जबकि 56 साल दोनों जगह एक ही दल की सरकार बनती आई है।
आज तक नहीं बनी किसी दल की हैट्रिक
हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में आज तक कोई भी राजनीतिक दल सत्ता की हैट्रिक नहीं लगा पाया है। पुराने इतिहास को देखे तो बंसीलाल के बाद केवल भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मनोहर लाल ही दो बार लगातार सत्ता पर काबिज होने में सफल हो पाए है। 1972 में चौधरी बंसी लाल, 2009 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और 2019 में मनोहर लाल ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने लगातार दो बार हरियाणा में सरकार बनाई। हालांकि भारतीय जनता पार्टी की ओर से दावा किया जा रहा है कि वह इस बार केंद्र की तर्ज पर हरियाणा में भी सत्ता की हैट्रिक लगातार इतिहास बनाने का काम करेगी। ऐसे में अब सबकी निगाहें 8 अक्टूबर को होने वाली मतगणना के बाद घोषित होने वाले चुनावी परिणाम पर लगी है।
वोट प्रतिशत घटने-बढ़ने के साथ बदलती रहीं सरकारें
हरियाणा में मतदान के दौरान वोट प्रतिशत में कमी और बढ़ोतरी होने के साथ ही सरकारों के बदलने का क्रम भी जारी रहा है। इनमें 1967 में प्रदेश में 72.65 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसके बाद हरियाणा विशाल पार्टी की ओर से राव बीरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद अगले ही वर्ष 1968 में हुए चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होकर 57.26 पर पहुंच गया। ऐसे में कांग्रेस की ओर से चौधरी बंसी लाल को मुख्यमंत्री बनाया गया। 1972 में हुए चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़कर 70.46 प्रतिशत पर पहुंचा तो कांग्रेस ने फिर से चौधरी बंसी लाल को ही अपना मुख्यमंत्री बनाया। 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होकर 64.46 प्रतिशत पर पहुंचा तो जनता पार्टी की ओर से चौधरी देवी लाल मुख्यमंत्री बने। इसी प्रकार से 1982 में मतदान 69.87 प्रतिशत हुआ। इस बार कांग्रेस ने चौधरी भजन लाल को मुख्यमंत्री बनाया। 1987 में मतदान 71.24 प्रतिशत हुआ तो जनता दल की ओर से चौधरी देवी लाल मुख्यमंत्री बने।
इसी प्रकार से 1991 में 65.86 प्रतिशत मतदान होने पर कांग्रेस के चौधरी भजन लाल मुख्यमंत्री बने। 1996 में हुए मतदान में 70.54 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस पर भी हरियाणा में सत्ता परिवर्तन करते हुए बीजेपी के साथ गठबंधन में हरियाणा विकास पार्टी की सरकार बनी और चौधरी बंसी लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2000 में हुए चुनाव में मतदान 69.01 प्रतिशत हुआ। इस बार इनेलो ने ओमप्रकाश चौटाला को मुख्यमंत्री बनाया। 2005 में वोट प्रतिशत बढ़कर 71.96 प्रतिशत पर पहुंचा तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसी प्रकार से 2009 में 72.29 प्रतिशत मतदान हुआ तो फिर से कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा दोबारा प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 2014 के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़कर 76.13 पर पहुंचा तो बीजेपी ने पहली बार अकेले अपने दम पर प्रदेश में सरकार बनाई और मनोहर लाल मुख्यमंत्री बने। इसी प्रकार 2019 के चुनाव में मतदान प्रतिशत कम होकर 68.20 प्रतिशत पर पहुंचा तो बीजेपी ने जेजेपी और आजाद को अपने साथ मिलकर फिर से सूबे में अपनी पार्टी की सरकार बनाई।
भाजपा के ढाई प्रतिशत वोट बढ़ने पर भी कम हुए विधायक
वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 33.2 प्रतिशत वोट लेकर 47 सीटें जीती थी। 2019 में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 36.49 प्रतिशत हो गया, लेकिन सीटें घटकर 40 रह गईं। इसके उलट वर्ष 2014 में 20.6 प्रतिशत वोट के साथ 15 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 2019 में 28.08 प्रतिशत वोट लेकर 31 सीटें जीत गई। दोनों ही दलों ने इनेलो के वोटों में सेंधमारी की। इनेलो ने 2014 में 24.01 प्रतिशत वोट लेकर 19 सीटें जीती थी, जो 2019 में 2.44 प्रतिशत वोटों के साथ सिर्फ एक सीट पर सिमट गया। जजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में 14.80 प्रतिशत वोट लेते हुए 10 सीटें झटक ली। इसी तरह 2014 में 10.6 प्रतिशत वोट लेकर पांच निर्दलीय विधायक बने थे, लेकिन 2019 में 9.17 प्रतिशत वोट लेने के बावजूद सात निर्दलीय विधायक बनने में सफल रहे।
टूटेगा रिकॉर्ड या कायम रहेगा इतिहास
एक ओर जहां कांग्रेस एक दशक के बाद सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है। वहीं बीजेपी की ओर से अब तक के पुराने राजनीतिक इतिहास को देखते हुए केंद्र की तर्ज पर हरियाणा में भी तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने का दावा किया जा रहा है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या इस चुनाव में हरियाणा की राजनीति का अब तक का रिकॉर्ड टूटेगा या फिर इतिहास खुद को दोहराएगा।