SKM ने फिर खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा; 11 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन, राष्ट्रपति और गृह सचिव के नाम सौंपेंगे ज्ञापन

Edited By Mohammad Kumail, Updated: 02 Dec, 2023 09:36 PM

skm s nationwide protest on 11 december

मोदी सरकार ने भले ही कृषि कानून वापस ले लिया हो, लेकिल किसान सरकार के रवैये से अभी खुश नहीं हैं...

नई दिल्ली  : मोदी सरकार ने भले ही कृषि कानून वापस ले लिया हो, लेकिल किसान सरकार के रवैये से अभी खुश नहीं हैं। सरकार द्वारा उनकी मांगें ना पूरी होने पर किसान एकबार फिर आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। बीते दिनों कई ऐसे मामले सामने आए जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है। किसान एक बार फिर दिल्ली को घेर सकते हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आज कुछ बिंदुओं पर सरकार को चेताया है और कार्यक्रम की घोषणा की है।

एसकेएम ने किसान नेताओं पर दमन के निम्नलिखित मामले उठाए हैं...

1. एसकेएम नेता और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के महासचिव युद्धवीर सिंह को 29 नवंबर 2023 को सुबह 2 बजे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इस आधार पर गिरफ्तार किया गया था कि वह दिल्ली में 2020-21 के किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में आरोपी हैं। इसके कारण अंतर्राष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया की उनकी उड़ान छूट गई। बाद में किसान आंदोलन के कड़े विरोध के कारण दिल्ली पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

2. हरियाणा, रोहतक के बीकेयू नेता वीरेंद्र सिंह हुडा को 22 नवंबर 2023 को दिल्ली पुलिस से नोटिस मिला, जिसमें उन्हें एफआईआर नंबर 522/2020 दिनांक 26.11.2020 से संबंधित एक मामले में पेश होने का निर्देश दिया गया था। फिर किसानों के दृढ़ विरोध के सामने, दिल्ली पुलिस को सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि नोटिस वापस ले लिया गया है।

3. 7 दिसंबर 2022 को बीकेयू के अर्जुन बलियान को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर नेपाल जाने से रोका गया।

4. पंजाब के एसकेएम नेता, सतनाम सिंह बेहरू और हरिंदर सिंह लोकोवाल दिल्ली किसान संघर्ष से संबंधित दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं।

एसकेएम ने यह भी सवाल उठाया है कि...

1. केंद्र सरकार ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र दिनांक 9 दिसंबर 2021 के माध्यम से स्पष्ट रूप से कहा था कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य सरकारें किसान संघर्ष से सम्बंधित सभी मामलों को तुरंत वापस लेने के लिए पूरी तरह सहमत हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार और इसकी एजेंसियां और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन भी किसानों के संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को वापस लेने पर सहमत हुए थे। केंद्र सरकार ने अन्य सभी राज्य सरकारों से भी किसान संघर्ष के खिलाफ मुकदमे वापस लेने का अनुरोध किया था।

2. राज्यसभा में उठाए गए प्रश्न संख्या 1158 दिनांक 19 दिसंबर 2022 के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया था कि गृह मंत्रालय में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार किसानों के खिलाफ 86 मामले वापस लेने का प्रस्ताव है और गृह मंत्रालय ने ऐसा करने की इजाजत दे दी है। इसके अलावा रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बल द्वारा किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामले वापस लेने का निर्देश दिया है।

संसद के माध्यम से एसकेएम और पूरे देश को दिए गए इन गंभीर लिखित वादों और आश्वासनों के बावजूद, एसकेएम को पता चला है कि मोदी सरकार ने किसान नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को तैनात कर दिया है और एनआईए ने दिल्ली में किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में एसकेएम नेताओं के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया है। एसकेएम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से पारदर्शी होने और सभी एलओसी को सार्वजनिक करने की मांग करती है।

किसान नेताओं को आपराधिक मामलों में फंसाने की मौजूदा कार्यप्रणाली मोदी सरकार द्वारा किए गए गंभीर वादे का घोर उल्लंघन है। एसकेएम इस तरह के कदम की कड़ी निंदा करता है और मांग करता है कि गृह मंत्री अमित शाह बताएं कि केंद्र सरकार द्वारा किए गए वादे का उल्लंघन करते हुए एनआईए और अन्य जांच एजेंसियों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है?

दिल्ली में किसानों का संघर्ष घरेलू और विदेशी कॉर्पोरेट पूंजी के तहत कृषि के कॉरपोरेटीकरण को लागू करने के खिलाफ किसानों और खेत मजदूरों और ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा के लिए एक जन विद्रोह था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संघर्ष के  समान एक देशभक्तिपूर्ण आंदोलन था। किसानों के संघर्ष को राष्ट्र-विरोधी या विदेशी वित्त पोषित या आतंकवादी ताकतों द्वारा समर्थित के रूप में चित्रित करने का मोदी सरकार का कोई भी प्रयास जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी है और सफल नहीं होगा। भारत के अन्नदाताओं का अपमान और उनके आंदोलनों के अपराधीकरण करने के ऐसे नापाक प्रयास को पूरा देश अस्वीकार करेगा।

एसकेएम का दावा है कि एसकेएम और ट्रेड यूनियनों द्वारा संयुक्त रूप से सभी राजभवनों के समक्ष हाल ही में राष्ट्रव्यापी विरोध-प्रदर्शन की महत्वपूर्ण सफलता से मोदी सरकार घबरा गई है। इसलिए किसान नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियों और दिल्ली पुलिस का अवैध इस्तेमाल किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा सी2+50% के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, व्यापक ऋण माफी, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करने, बिजली बिल 2022 को वापस लेने और निजीकरण को नहीं करने की मांगों सहित 21 सूत्री मांग पत्र पर चल रहे संघर्ष को और तेज करेगी और इसके लिए एसकेएम ने किसानों, खेत मजदूरों और ग्रामीण गरीबों से यथासंभव व्यापक तैयारी करने का आह्वान किया है। 

एसकेएम ने मोदी सरकार को दी चेतावनी है कि किसान आंदोलन के खिलाफ प्रतिशोध लेने के किसी भी कदम का पूरे भारत में बड़े पैमाने पर और शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिरोध किया जाएगा। लोकतंत्र में सर्वोच्च शक्ति जनता के पास होती है और प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमंडल देश के लोकतांत्रिक मानदंडों और परंपराओं के अनुसार कार्य करने के लिए बाध्य हैं।

एसकेएम की मांग है कि गृह मंत्री अमित शाह युद्धवीर सिंह सहित एसकेएम नेताओं को अपमानित और असुविधा पहुंचाने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगें और इस अवैध और प्रतिशोधी कृत्य को अंजाम देने वाले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

एसकेएम भारत के राष्ट्रपति से समय मांगेगा और केंद्र सरकार को निर्देश देने के लिए एक ज्ञापन सौंपेगा मांग करेगा कि एसकेएम को दी गई लिखित प्रतिबद्धताओं का सरकार उल्लंघन न करें और प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई से दूर रहें। एसकेएम गृह सचिव को भी एक ज्ञापन सौंपेगा, जिसमें उनसे एसकेएम नेताओं के खिलाफ एलओसी जारी किए जाने को सार्वजनिक करने और सभी लंबित मामलों को वापस लेने का आग्रह किया जाएगा।

एसकेएम इस गंभीर घटनाक्रम पर किसानों और खेत-मजदूरों के बीच एक अभियान चलाएगा और एसकेएम प्रतिनिधिमंडल 11 दिसंबर 2023 को जिला कलेक्टरों से मिलेंगे और भारत के राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें किसान आंदोलन के खिलाफ प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई की अनुमति नहीं देने की मांग की जाएगी।

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