किसान आंदोलन को बदनाम, दो फाड़ करने के लिए रची गई साजिश: कुलदीप सिंह

Edited By Shivam, Updated: 26 Jan, 2021 09:04 PM

kuldeep singh said a conspiracy hatched to tear farmer movement

मैं समझता हूं कि किसान जत्थेबंदियों को बदनाम करने के लिए, लंबे समय से चल रहे आंदोलन मे रुकावट डालने के लिए यह माहौल क्रिएट किया गया। इंटेलिजेंस एजेंसी बहुत कुछ करवा सकती हैं और पहले भी ऐसे तत्वों पकड़े गए थे। यह बात दिल्ली में हुए घटनाक्रम पर बोलते...

चंडीगढ़ (धरणी): मैं समझता हूं कि किसान जत्थेबंदियों को बदनाम करने के लिए, लंबे समय से चल रहे आंदोलन मे रुकावट डालने के लिए यह माहौल क्रिएट किया गया। इंटेलिजेंस एजेंसी बहुत कुछ करवा सकती हैं और पहले भी ऐसे तत्वों पकड़े गए थे। यह बात दिल्ली में हुए घटनाक्रम पर बोलते हुए सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह काहलो ने कही। उन्होंने इसे इंटेलिजेंस का फेलियर बताया। 

कुलदीप सिंह ने कहा आंदोलन बिल्कुल शांतिप्रिय ढंग से चल रहा था। पूरी तरह से कंट्रोल्ड तरीके से चल रहा था। 10-11 मीटिंगों के बाद यह तय था कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। इजाजत नहीं मिली तो किसान रिंग रोड पर पहले निकालना चाहते थे, लेकिन बाद में जब परमिशन दी गई, तो 26 जत्थे बंदियों ने कॉमन तौर पर अपनी सहमति दिल्ली पुलिस द्वारा तय रूट्स पर चलने की दे दी थी। लेकिन उनमेंं से एक मजदूर-किसान जत्थेबंदी ने देर शाम ही रिंग रोड पर जाने की घोषणा कर दी थी। मैं समझता हूं यह अनुचित था। लेकिन पुलिस का इन से बातचीत करनेेे का फर्ज बनता था।

कुलदीप काहलो ने कहा कि कुछ जगह झड़पें हुई, आंसू गैस के गोलेे भी दागे गए, लाठी चार्ज भी हुआ मेरा मानना है कि कुुुछ शरारती तत्व जो किसान आंदोलन को दो फाड़ करने के लिए, इसमें घुस गए थे। इसमें रुकावट डालने के लिए, बदनाम करने के लिए साजिश रची गई है। मुझेेे लगता है मुद्दा सही है, मीटिंगे हुई ढंग सही था, लेकिन जो बिना परमिशन वाले रूटों पर गए वह सही नहीं था।

कुलदीप सिंह ने कहा बातचीत के दौरान सरकार ने बिना रजिस्ट्रेशन वाली जत्थेबंदियों से भी बातचीत करनी शुरू कर दी थी। यह बात सभी मान चुके हैंं कि इन कानूनों से कारपोरेट सेक्टर घरानों का हित होगा और छोटा किसान मजदूर बन जाएगा। मैं समझता हूं कि आने वाले फरवरी के बजट सेशन में पीएम मोदी को हठ छोड़कर, कानूनों को रद्द करना चाहिए। यही किसानों के और देश के हित में होगा। प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर अब तक किसानों की तरफ किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसी कारण 1997 से अब तक चार लाख किसान खुदकुशी करके अपनी जान गवा चुके हैं।
 

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