Edited By Deepak Kumar, Updated: 22 Aug, 2025 01:59 PM

हरियाणा के छोटे से शहर हांसी में स्थित समधा मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर विशेष रूप से आकर्षित करता है। यहाँ एक ऐसा बरगद का पेड़ है, जो जमीन से जुड़ा नहीं बल्कि हवा में झूलता हुआ प्रतीत होता है।
डेस्कः हरियाणा के छोटे से शहर हांसी में स्थित समधा मंदिर पर्यटकों को अपनी ओर विशेष रूप से आकर्षित करता है। यहाँ एक ऐसा बरगद का पेड़ है, जो जमीन से जुड़ा नहीं बल्कि हवा में झूलता हुआ प्रतीत होता है। इस पेड़ की खासियत यह है कि इसका कोई अन्य उदाहरण धरती पर नहीं मिलता। कहा जाता है कि इस पेड़ का इस्तेमाल अपराधियों को मौत की सजा देने के लिए फांसी के फंदे के रूप में किया जाता था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बाबा जगन्नाथपुरी जी इसी पेड़ के नीचे बैठकर तपस्या किया करते थे। 1586 ईस्वी में जब बाबा जगन्नाथपुरी जी महाराज ने हांसी में डेरा डाला, उस समय वहां कोई हिंदू नहीं बचा था। स्थानीय लोगों का मानना है कि उन्होंने इसी पेड़ के नीचे तपस्या की थी और यहीं समाधि ली थी। इस लटकते हुए पेड़ का आशीर्वाद लेने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं।
स्थानीय लोगों की इस पेड़ से गहरी आस्था जुड़ी हुई है। वे अक्सर प्रार्थना के लिए इसके चारों ओर नोट या रंगीन रिबन बांधते हैं। कुछ साल पहले कई टीवी चैनलों ने इस पेड़ की जांच भी की थी। जांच में पता चला कि पेड़ की जड़ें और तना अलग हो जाने के बाद भी इसकी जड़ें पेड़ को जीवित बनाए हुए हैं। पेड़ के बीच से टूटे हुए हिस्से के पास एक मजबूत शाखा जमीन से जुड़ी हुई है, जो टूटे हुए पेड़ को सहारा देती है।
कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार, जब बरगद के पेड़ की शाखा जमीन से जुड़ती है, तो उसकी जड़ों का विकास होता है, जिन्हें 'प्रोप रूट' कहा जाता है। ये जड़ें पेड़ की सभी शाखाओं तक पानी और पोषण पहुंचाती हैं। इतनी मजबूत होती हैं कि पेड़ की पुरानी शाखाएं टूटने के बाद भी ये जड़ें उनका भार संभालती हैं। इसलिए यह पेड़ आज भी जीवित और खड़ा हुआ है।
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