गांधी टोपी व पगडियां रही हैं हरियाणा के नेताओं की खास पहचान, भगवत दयाल, बंसीलाल व बनारसी दास पहनते थे कैप

Edited By Ajay Kumar Sharma, Updated: 25 Aug, 2023 11:07 PM

gandhi caps and turbans have been the special identity of the leaders of haryana

हरियाणा की राजनीति का मिजाज बड़ा ही दिलचस्प और रोचक रहा है। यहां की सियासत लंबे समय तक तीन लालों चौ. देवीलाल, चौ. बंसीलाल एवं चौ. भजनलाल के इर्द-गिर्द घूमती रही है। ये तीनों ही लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के साथ-साथ केंद्र की सियासत में...

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा की राजनीति का मिजाज बड़ा ही दिलचस्प और रोचक रहा है। यहां की सियासत लंबे समय तक तीन लालों चौ. देवीलाल, चौ. बंसीलाल एवं चौ. भजनलाल के इर्द-गिर्द घूमती रही है। ये तीनों ही लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के साथ-साथ केंद्र की सियासत में प्रभावशाली भूमिका में रहे हैं। इन तीन लालों का एक खास तरह का लिबास भी रहा है। इसके साथ ही इन लालों के साथ हरियाणा में मुख्यमंत्री रहे राजनेताओं की एक खास वेशभूषा भी रही है। इन राजनेताओं में कुर्ते-पायजामे के अलावा पगड़ी एवं गांधी टोपी का अपना एक क्रेज रहा है।

हरियाणा के अधिकांश नेता खद्दर के अलावा लीलन के कुर्ते पायजामे पहनना पसंद करते हैं

इसके साथ ही हरियाणा के अधिकांश नेता खद्दर के अलावा लीलन के कुर्ते पायजामे पहनना पसंद करते रहे हैं। दो बार मुख्यमंत्री व दो बार उपप्रधानमंत्री रहे चौ. देवीलाल हरे रंग की पगड़ी पहनते थे, तो चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे चौ. बंसीलाल गांधी टोपी पहनते थे। इसी प्रकार से दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे बनारसी दास गुप्ता एवं हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा भी गांधी टोपी पहनते थे। एक बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राव बीरेंद्र सिंह एक खास किस्म की पगड़ी पहनना पसंद करते थे। एक बार मुख्यमंत्री रहे मास्टर हुकुम सिंह साधारण पैंट-शर्ट के अलावा धोत्ती-कुत्र्ता पहनते थे तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा कॉटन के कुत्र्ते पायजामे के साथ जाकेट डालना पसंद करते हैं।

हरियाणा के 10 मुख्यमंत्रियों का विशेष रहा है पहनावा

गौरतलब है कि हरियाणा के अब तक के दस मुख्यमंत्रियों के अलावा अन्य नेताओं का अपना एक विशेष तरह का पहनावा रहा है। 1966 और 1967 में दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पंडित भगवत दयाल शर्मा धोती-कुर्ते के साथ ही गांधी टोपी पहनते थे। इसी तरह से 1967 में 8 माह के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे राव बीरेंद्र सिंह अधिकांश समय पर कोट-पैट के अलावा धोत्ती-कुत्र्ता डालते थे और सिर पर खास किस्म की पगड़ी बांधते थे। इसी तरह से चौ. बंसीलाल जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो वे खुला पायजामा एवं कुत्र्ता डाला करते थे तो सिर पर गांधी टोपी धारण करते थे। दो बार देश के उपप्रधानमंत्री एवं दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चौ. देवीलाल हरे रंग की तुर्रे वाली पगड़ी पहनते थे और इस परंपरा का निर्वहन उनके बेटे एवं इनैलो सुप्रीमो चौ. ओमप्रकाश चौटाला आज भी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर चूड़ीदार पायजामा और कुर्ता पहनते हैं और इसके साथ ही मैच करती जॉकेट पहनना पसंद करते हैं।

भूपेंद्र हुड्डा कुर्ता व पायजामा पहनना पसंद करते हैं

इसी तरह से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा कुर्ता व पायजामा पहनना पसंद करते हैं। आज के अधिकांश राजनेता कॉटन और लीलन के कपड़े का पहनावा डालते हैं और कमीज-पायजामे के साथ जुराबें व जूते पहनना पसंद करते हैं। कभी एक समय हरियाणा की सियासत में ऐसा था जब चौधरी देवीलाल 80 के दशक में धोती कुर्ते के साथ लंबी जुराबें पहनते थे। लोग इसे अजीब मानते थे, मगर चौ. देवीलाल की ओर शुरू की गई यह रिवायत बाद में फैशन बन गया। दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे 6 फीट 3 इंच कदकाठी वाले चौधरी देवीलाल सफेद रंग का धोती कुत्र्ता पहना करते थे। यही नहीं 80 के दशक में देवीलाल धोती-कुत्र्ते के साथ सफेद रंग की लम्बी जुराबें और नीचे सफेद रंग की कपड़े के विशेष किस्म के जूते पहना करते थे। 

अपने पिता की तरह हरे रंग की पगड़ी पहनते हैं चौटाला

चौ. देवीलाल के सिर पर अक्सर हरे रंग की पगड़ी नजर आती थी और एक तरह से उन्होंने भी हरियाणवी पगड़ी को एक नई पहचान देने की रिवायत शुरू की जो बाद में उनके बड़े बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने भी निभाई। 1990 में चौटाला पहली बार मुख्यमंत्री बने और उस समय वे सिर पर पगड़ी नहीं बांधते थे। इसके कुछ बरस बाद चौटाला सिर पर हरी पगड़ी बांधने लगे। इसके बाद सार्वजनिक जीवन में कभी ऐसा नहीं रहा जब चौटाला ने सिर पर पगड़ी न बांधी हो। चौ. देवीलाल और चौटाला तो ऐसे नेता हुए हैं जिन्होंने हमेशा पगड़ी धारण की तो वहीं चौधरी बंसीलाल गांधी टोपी पहनते थे। चौधरी बंसीलाल हमेशा साधारण लिबास पहनना पसंद करते थे। अपने शुरूआती जीवन में जब वे वकालत करते थे तो वकील की ड्रेस पहनते थे।

बंसीलाल खुला पायजामा और साधारण कुर्ता पहना करते थे

50 के दशक में राजनीति में आ गए और 1968 में हरियाणा के मुख्यमंत्री बन गए। बंसीलाल खुला पायजामा और साधारण कुर्ता पहना करते थे। खास बात यह है कि बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए वे बहुत बार बिना प्रेस किए हुए कपड़े पहन लिया करते थे। कई बार उनके साथी राजनेता व मंत्री उन्हें इस बारे में बोलते थे तो वो अक्सर कहा करते थे कि अगर बिना प्रेस वाले कपड़े पहनूंगा तो क्यां आप मुझे चीफ मिनिस्टर नहीं मानेंगे? सफेद रंग का साधारण कुर्ता-पायजामा पहनने के अलावा बंसीलाल चमड़े के जूतों के अलावा कभी-कभार स्लीपर पहना करते थे। वे अक्सर सिर पर गांधी टोपी भी धारण करते थे। वहीं चौधरी भजनलाल का भी अपना एक खास पहनावा था। भजनलाल सफेद रंग की बजाय हलके छटक रंग का कुर्ता पहना करते थे। वे सूती कपड़े की बजाय सिल्क का कुर्ता पहनते थे। चूड़ीदार पायजामे के अलावा वे धोती पहनना पसंद करते थे। उनकी जूती भी खास तरह की होती थी। भजनलाल तिलेदार जूती पहनना पसंद करते थे और उनका धोती बांधने का स्टाइल भी थोड़ा अलग था।

महिला नेत्रियों का भी है खास पहनावा

इसी तरह से ही हरियाणा में महिला नेत्रियों का भी एक विशेष पहनावा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव कुमारी सैलजा व तोशाम की विधायक किरण चौधरी अक्सर साधारण सूट डालती हैं तो सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल साड़ी व सूट दोनों पहनती हैं। इसी प्रकार से पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल अक्सर साड़ी ही पहनती हैं। वर्तमान में हरियाणा के तमाम बड़े नेता लीलन और कॉटन का कपड़ा अधिक पसंद करते हैं। सफेद कलर करीब सभी नेताओं का पसंदीदा रंग है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा, अभय चौटाला, कुलदीप बिश्रोई, कैप्टन अजय यादव, रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा, कुलदीप शर्मा, रणजीत ङ्क्षसह, आप नेता डा. अशोक तंवर सहित तमाम बड़े नेता सफेद रंग के कॉटन या लीलन के कुर्ते पायजामे पहनना पसंद करते हैं। अब नीचे स्लीपर की बजाय बिना लेसेस वाले जूते पहनना आज के नेता पसंद करते हैं।

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