बड़ी खबर: PTI भर्ती में घोटाले की आशंका के चलते हुड्डा सरकार में HSSC के चेयरमैन पर FIR

Edited By Shivam, Updated: 01 Jul, 2020 08:25 PM

fir on hssc chairman in hooda government in pti recruitment

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के हुड्डा सरकार में तत्कालीन चैयरमैन व सदस्यों के खिलाफ पीटीआई भर्ती घोटाले की आशंका के चलते विजिलेंस ब्यूरो ने मुकद्दमा दर्ज किया है। गौरतलब है 2005 में भुपिंदर सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री थे व हरियाणा कर्मचारी आयोग...

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के हुड्डा सरकार में तत्कालीन चैयरमैन व सदस्यों के खिलाफ पीटीआई भर्ती घोटाले की आशंका के चलते विजिलेंस ब्यूरो ने मुकद्दमा दर्ज किया है। गौरतलब है 2005 में भुपिंदर सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री थे व हरियाणा कर्मचारी आयोग के चैयरमैन नंदलाल पुनिया सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर को 2005 में नियुक्ति दी गई थी। इनके कार्यकाल में पीटीआई भर्तियों को लेकर कार्रवाई शुरू हुई है। इस जांच की लपटें तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा तक भी पहुंच सकती हैं। पीटीआई घोटाले में एफआईआर दर्ज होने के बाद हुड्डा के लिए कानूनी परेशानियां और बढ़ सकती है।

डीएसपी शरीफ सिंह की शिकायत पर स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने पंचकूला में धारा 466, 468, 471, 193, 166 व 120 बी के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया है। एफआईआर में कहा गया है कि कर्मचारी चयन आयोग पंचकूला ने विज्ञापन संख्या 6 दिनांक 20 जुलाई 2006 को 1983 पीटीआई की भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। चयन के लिए 28 दिसंबर 2006 को चयन प्रक्रिया की घोषणा की गई थी, जिसकी अनुसार कुल 200 अंक की लिखित परीक्षा व 25 अंक के साक्षात्कार के आधार पर चयन किया जाना था। परंतु इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष व सदस्यों ने अपने पदों का दुरूपयोग करते हुए अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचाने के लिए चयन मानदंडों में बार-बार परिवर्तन किया।

एफआईआर में कहा गया है कि आयोग के अध्यक्ष द्वारा दिनांक 30 जून 2008, 11 जुलाई 2008 व 31 जुलाई 2008 को मनमाने तरीकों से चयन मानदंडों में फेरबदल किया। जिन पर आयोग के किसी अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर नहीं थे। 31 जुलाई 2008 के निर्णय के संबंध में चयन आयोग के कार्यालय टिप्पणी लेखन (ऑफिस नोट) में दिनांक 11 जुलाई 2008 द्वारा निर्धारित चयन प्रक्रिया के विरुद्ध मुख्यमंत्री निवास के सामने विरोध प्रदर्शन का हवाला दिया गया। दिनांक 31 जुलाई 2008 के निर्णय द्वारा आयोग के अध्यक्ष ने सभी योग्य उम्मीदवारों को साक्षात्कार हेतु बुलाने का निर्णय लिया। जिससे स्पष्ट है कि तत्कालीन अध्यक्ष राज्य कर्मचारी आयोग द्वारा किसी दवाब में बार-बार चयन में डंडों में बदलाव किया गया।

एफआईआर में कहा गया है कि माननीय उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के दौरान अपने उपरोक्त निर्णयों को सही ठहराने के लिए एक पृष्ठ प्रस्तुत किया गया, जिसमें 3 अगस्त 2008 को चयन मानदंड निर्धारित करने के बारे में आयोग के अन्य सभी सदस्यों के हस्ताक्षर युक्त निर्णय प्रस्तुत किया गया। जिसे माननीय उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के अधिकारों को समाप्त करने के लिए तैयार किया गया दस्तावेज माना। इस प्रकार तत्कालीन अध्यक्ष ने आयोग के सदस्यों के साथ मिल कर झूठा दस्तावेज तैयार किया।

एफआईआर में कहा गया है कि उपरोक्त चयन प्रक्रिया में आयोग ने अपने चहेते उम्मीदवारों को साक्षात्कार में अनुचित लाभ देते हुए अत्यधिक अंक कुल 30 अंक में से 20 से 27 अंक प्रदान किए। इसमें योग्य उम्मीदवारों को वंचित रखने के लिए कुल 30 अंक में से केवल 7 में से 9 अंक तक दिए हुए हैं। इस प्रकार राज्य कर्मचारी आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्य व अधिकारियों ने अपने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए, आपराधिक षडयंत्र रच कर कानून के हिसाब से कार्य न करके, झूठे साक्ष्य गढ़ कर, फर्जी दस्तावेज तैयार करके उन्हें असल के तौर पर इस्तेमाल करके, अयोग्य उम्मीदवारों को लाभ पहुंचा कर संगीन अपराध धारा 166, 193, 466, 468, 471, 120 बी व धारा -13/1 डी संगठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम 1988 के तहत किया है। डीएसपी सुरेश कुमार को इसकी जांच सौंपी गई है।

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