Edited By Mohammad Kumail, Updated: 19 Jul, 2023 02:46 PM

जिले में एमडीबी कंपनी द्वारा पुस्तक विक्रेताओं को नमूने के तौर पर भेजी पुस्तकों को कंपनी की बिना अनुमति बेचने का मामला सामने आया है। इस संदर्भ में कैथल सिविल लाइन थाने में सात पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है...
कैथल (जयपाल रसूलपुर) : जिले में एमडीबी कंपनी द्वारा पुस्तक विक्रेताओं को नमूने के तौर पर भेजी पुस्तकों को कंपनी की बिना अनुमति बेचने का मामला सामने आया है। इस संदर्भ में कैथल सिविल लाइन थाने में सात पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है।
एमबीडी कंपनी के मैनेजर प्रदीप कुमार ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उनकी कंपनी मैसर्स मल्होत्रा बुक डिपो रजिस्ट्रार के साथ विधिवत पंजीकृत है जो छात्रों के लिए पुस्तकों का प्रकाशन का कार्य करती है।
एमबीडी ग्रुप की भारत में 37 शाखाएं हैं। ये पुस्तकें भारत के गहन लेखकों की तरफ से लिखी जाती हैं। एमबीडी ग्रुप इसके विज्ञापन और मार्केटिंग पर करोड़ों पर रुपये खर्च करती है। ग्रुप की तरफ से नमूना पुस्तकों को बेचने से रोकने के लिए अभियान चलाया हुआ है जिस बीच उन्हें गुप्त सूचना मिलने पर कंपनी की टीम द्वारा 23 मई को नरेश बुक डिपो कैथल, गर्ग बुक डिपो पूंडरी, विनय बुक शाप पूंडरी, नरेश बग्गा बुक डिपो पूंडरी, प्रिंस प्रो. दीक्षित बुक डिपो राजौंद, शीतल बुक डिपो पिहोवा कुरुक्षेत्र, सुरेंद्र मित्तल प्रो. मित्तल स्टेशनर महात्मा गांधी मार्केट कैथल इन सभी बुक डिपो का निरीक्षण किया था। इस दौरान पुस्तक विक्रेताओं के पास भारी मात्रा में पुस्तकें पाई गई थी। इसके बाद उन्होंने कंपनी के साथ धोखाधड़ी करने वाले उपरोक्त सभी पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ शिकायत दी थी। जिसके बाद अब पुलिस ने सभी डिपो धारकों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कर लिया है।
जांच के बाद उन्हें जानकारी मिली कि सभी डिपो के पास सुरेंद्र मित्तल ने नमूना पुस्तकें भेजी थी। सुरेंद्र मित्तल 2007 से कंपनी का वितरक है। सूचना के बाद टीम सुरेंद्र मित्तल की दुकान पर गई थी। टीम के पहुंचने से पहले ही सुरेंद्र ने किताबों का स्टॉक दूसरी जगह भेज दिया था। आरोप है कि आरोपित नमूना पुस्तकों को खरीदता है और उसके बाद नमूना पुस्तक वाला पेज हटा देता है। उसके बाद पुस्तकों को महंगे दामों में बेचा जाता है।
वहीं दूसरी तरफ मामला दर्ज होने के बाद नरेश बुक डिपो के मालिक नरेश का कहना है कि जो एमबीडी कंपनी के मैनेजर द्वारा उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है वह बिल्कुल झूठ है, उनके पास से कोई भी किताबें बरामद नहीं हुई है और जो वह नमूने की किताबें बेचने की बात कह रहे हैं उन किताबों के ऊपर कोई भी नमूने की मोहर नहीं लगी हुई है। जो किताबें वह लेकर गए हैं वह पुराने एडिशन की किताबें हैं। कंपनी के दो तीन कर्मचारी गैरकानूनी तरीके से उनकी शॉप पर आए थे जिनके साथ ना तो पुलिस ना ही जिला प्रशासन का कोई अधिकारी और कर्मचारी था। वह हमें डरा धमकाकर कुछ किताबें लेकर चले गए। उनके पास कोई भी सैंपल के लिए किताबें नहीं आती है। रेगुलर जो किताबें आती हैं वह उन्हीं की सेल करते हैं।
नरेश बुक डिपो का कहना है कि वह गाइड भेज सकते हैं परंतु कंपनी गाइडेंस स्कूलों में नहीं लगता सकती और ना ही स्कूल वाले बच्चों को गाइड लाने के लिए प्रेफर कर सकते हैं। नरेश का साफ तौर पर कहना है कि स्कूलों में सैंपल लगाना ही ज्ञान कानूनी है, जो कंपनी इसको बना रही है वह कंपनी खुद ही गलत है।
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