Edited By Rakhi Yadav, Updated: 14 Sep, 2018 11:18 AM
हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेशउपाध्यक्ष व पूर्व चेयरमैन विजय बंसल ने बताया कि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने मोरनी नौतौड मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिए है कि फारेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर नियुक्त ....
चंडीगढ़(धरणी): हरियाणा किसान कांग्रेस के प्रदेशउपाध्यक्ष व पूर्व चेयरमैन विजय बंसल ने बताया कि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने मोरनी नौतौड मामले में सुनवाई करते हुए आदेश दिए है कि फारेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर नियुक्त कर दिया है। उसको सारा संबंधित समान उपलब्ध करवा दिया गया है। सेटलमेंट ऑफिसर को दफ्तर आदि जरूरतमंद चीजे भी मिल गई है। ऐसे में नौतोड़ की समस्या का समाधान वन विभाग द्वारा आसानी से किया जा सकता है।
विजय बंसल के प्रयासों से मोरनी के 40 हजार किसानों को नौतौड का मालिकाना हक़ मिल जाएगा जिससे किसानों में खुशी है। हरियाणा सरकार ने न्यायालय में शपथ पत्र देकर कहा था कि नौतोड़ समस्या के समाधान के लिए श्री एमपी शर्मा आईपीएस को 2 वर्ष की अवधि के लिए फारेस्ट सेटलमेंट अफसर नियुक्त किया है। जिनकी नियुक्ति 1 अगस्त 2018 से मानी जाएगी। इससे पूर्व सरकार ने कोर्ट में एक पत्र जारी करते हुए कहा था कि 24 अकटुबर 2017 से फारेस्ट सेटलमेंट अफसर का पद रिक्त है व जैसे ही पद पर नियुक्ति कर दी जाएगी कोर्ट को सूचित किया जाएगा।
दरअसल , 24 अकटुबर 2017 को राजबीर सिंह बॉंडवाल ने अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को सूचित करते हुए कहा था कि उन्हें पदासीन हुए 8 महीने हो चुके है व उन्हें आवश्यक साधन सरकार व विभाग द्वारा उपलब्ध नही किए गए। यह बहुत ही निराशाजनक है कि उनके कार्यकाल में कुछ भी कार्य नही किया गया। जबकि 24 अक्टूबर 2017 के बाद उनका कार्यकाल लगभग 3 माह का रह जाता है। यदि सरकार तब भी शुरू करती तब भी यह कार्य पूरा न किया जाता व उन्होंने पत्र में कहा कि अब कार्य करना का कोई औचित्य नही बनता। क्योंकि वह निर्धारित कार्य को पूरा नही कर पाएंगे।
बंसल ने बताया कि उन्होंने मोरनी के किसानों की नौतौड की समस्या का हल करवाने के लिए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करी थी। जिसमें वन विभाग ने जवाब देते हुए शपथ पत्र द्वारा बताया कि विभाग द्वारा इस समस्या के समाधान हेतु 7 फ़रवरी 2017 को ऑएक वर्ष की अवधि के लिए सेटलमेंट ओफिसर श्री राजवीर बोडवाल पूर्व आईएफएस को नियुक्त कर दिया है। इस संदर्भ में विजय बंसल ने 15 अक्टूबर 2017 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक से आरटीआई एक्ट के तहत चार प्रश्न पूछे थे जिसमें विभाग ने 27 नवम्बर 2017 को जवाब दिया जोकि निराशाजनक है।
बंसल ने कहा कि इससे पूर्व वन मंडल अधिकारी मोरनी ने कहा कि हमारे पास इस संदर्भ में सूचना नहीं है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने भी निराशाजनक जवाब देते हुए सूचना ना होने का हवाला दिया। जिससे पता लगता है कि सरकार व विभाग इस विषय को लेकर कितना गम्भीर है। इससे पूर्व भी विभाग द्वारा समस्या के समाधान हेतु 1987 ,2000 ,2010 में भी कमीशन नियुक्त किए थे। परंतु इस विषय में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। इससे पूर्व वन विभाग ने कर्मचारियों को 1 करोड़ 64 लाख अदा किए परंतु काम शून्य रहा।