हरियाणा के अंतिम छोर में दलितों ने भरी हुंकार, वोट की चोट से कांग्रेस को संविधान का अपमान करने का बदला लेने लिया संकल्प

Edited By Isha, Updated: 21 Jul, 2024 03:56 PM

dalits in the farthest corners of haryana raised their voice

हरियाणा के अंतिम छोर महेंद्रगढ़ में दलितों ने हुंकार भरते हुए कांग्रेस से 10 साल में हुए अत्याचारों का हिसाब मांगा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राज में हुए अत्याचारों का दलित समाज ने वोट की चोट से बदला लेने का फैसला लिया। दलित...

चंडीगढ़(चंद्र शेखर धरणी ):  हरियाणा के अंतिम छोर महेंद्रगढ़ में दलितों ने हुंकार भरते हुए कांग्रेस से 10 साल में हुए अत्याचारों का हिसाब मांगा है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राज में हुए अत्याचारों का दलित समाज ने वोट की चोट से बदला लेने का फैसला लिया। दलित सम्मेलनों के जरिये हरियाणा मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया को-आर्डिनेटर सुदेश कटारिया दलितों को एकजुट करने और जागरूकता की अलख जगाने की कवायद में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में रविवार को महेंद्रगढ़ में आयोजित 8वें दलित सम्मेलन में दलित समाज ने वोट की चोट के जरिये कांग्रेस द्वारा संविधान अपमान करने का बदला लेने का संकल्प लिया।

दलित सम्मेलन की अध्यक्षता जिला परिषद चेयरमैन डॉ. राकेश ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के तौर पर सेवानिवृत खंड शिक्षा अधिकारी मान सिंह मौजूद रहे। सम्मेलन में पहुंचने पर सुदेश कटारिया का दलित सभाओं ने पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत और पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया।

दलित सम्मेलन को संबोधित करते हुए हरियाणा मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया को-आर्डिनेटर सुदेश कटारिया ने कहा कि अब दलितों को वोट बैंक की राजनीति का शिकार नहीं होना है बल्कि अपने हकों की लड़ाई मजबूती से लड़नी है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में दलितों का मान-सम्मान बढ़ा है। मनोहर लाल ने दलितों की पीड़ा को समझते हुए उन्हें अंतिम पंक्ति से अंत्योदय की ओर बढ़ाया। मनोहर लाल के राज में न केवल दलितों को पारदर्शिता व योग्यता के आधार पर नौकरियां मिली हैं, बल्कि दलितों पर हुड्डा राज में हुए अत्याचारों में भी कमी आई है। 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा दलित विरोधी रही है, जब 1952 में दलितों के रक्षक संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने चुनाव लड़ा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें धोखे से हराया। दलित अब कांग्रेस के बहकावे में नहीं आएगा, बल्कि उन पर हो रहे अत्याचारों का हिसाब मांगेगा। 

कांग्रेस को पहले देना चाहिए दलितों पर अत्याचार का जवाब 

मुख्यमंत्री के चीफ मीडिया को-आर्डिनेटर सुदेश कटारिया ने कांग्रेस द्वारा चलाए जा रहे हरियाणा मांगे हिसाब अभियान पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल में दलितों पर हुए अत्याचार का भी हिसाब देना चाहिए। मिर्चपुर कांड से लेकर मदीना और गोहाना कांड ने न केवल हरियाणा को शर्मसार किया, बल्कि कांग्रेस ने दलितों के प्रति सोच का स्पष्ट प्रमाण भी दिया। कांग्रेस राज में प्लाट आवंटन से लेकर नौकरियों में हेराफेरी सबसे अहम रही। कांग्रेस का इतिहास दलितों के अत्याचारों से सन्ना हुआ है। इसके साथ ही दलितों को पदोन्नति में आरक्षण की मांग को भी नजर अंदाज किया।  

 

मनोहर लाल ने समझी दलितों की पीड़ा

सुदेश कटारिया ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दलितों की पीड़ा समझते हुए उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया। दलित कृष्ण लाल पंवार को राज्यसभा में भेजने के साथ, उन्होंने अपना खुद का उदाहरण देते हुए बताया कि मनोहर लाल ने उन जैसे छोटे से कार्यकर्ता को मान-सम्मान दिया है। जबकि कांग्रेस में दलितों पर खूब अत्याचार हुए। दलित समुदाय से संबंध रखने वाले अशोक तंवर के साथ सरेआम मारपीट हुई और आखिर में उन्हें पार्टी ही छोड़नी पड़ी। इसके साथ ही कुमारी सैलजा के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए उन्हें भी अपमान सहना पड़ा। अब कांग्रेस की ओर से कहने को तो दलित प्रधान बनाया हुआ है, लेकिन वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कठपुतली है। दलितों को कठपुतली नहीं बनना है बल्कि अपने हक के लिए लड़ाई लड़नी है।

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