Edited By Manisha rana, Updated: 01 Oct, 2024 12:47 PM
पानीपत समेत हरियाणा के विभिन्न जिलों में धान की कटाई का कार्य जोर पकड़ता जा रहा है। सरकार द्वारा कृषि विभाग के साथ साथ जिला प्रशासन को भी हर हाल में पराली में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
पानीपत : पानीपत समेत हरियाणा के विभिन्न जिलों में धान की कटाई का कार्य जोर पकड़ता जा रहा है। सरकार द्वारा कृषि विभाग के साथ साथ जिला प्रशासन को भी हर हाल में पराली में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बावजूद कुछ किसान देर सवेर पराली में आग लगाने की घटनाओं को अंजाम दे देते हैं।
अब पर्यावरण वन एवं जलवायू परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के अधीन केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सी.पी.सी.बी. द्वारा पंजाब तथा हरियाणा के धान उत्पादक जिलों को चिन्हित करते हुए फ्लाइंग स्क्वायड गठित कर दी है। यह फ्लाइंग स्क्वायड हरियाणा में करनाल के अलावा अम्बाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, कुरूक्षेत्र, सिरसा, सोनीपत व यमुनानगर में एक अक्तूबर से अपनी निगरानी शुरू कर देगी तथा 30 नवम्बर तक निगरानी रखेगी।
सी.पी.सी.बी. की ओर से जारी आदेशों के अनुसार यह फ्लाइंग स्क्वायड अपने से संबंधित जिले के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जिला नोडल अधिकारी से तालमेल करते हुए पराली जलाने के घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यकत कदम उठाएगी तथा पराली जलाने से संबंधित मामलों के बारे में अपनी दैनिक रिपोर्ट केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वायु गुणवता प्रबंधन आयोग को भेजेगी।
गौरतलब है कि वायु गुणवता प्रबंधन आयोग द्वारा अपने पत्र पांच सितम्बर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली के चेयरमेन को पत्र लिखकर हरियाणा तथा पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने हेतू फ्लाइंग स्क्वायड गठित करने का अनुरोध किया था जिस पर सी.पी.सी.बी. द्वारा फ्लाइंग स्क्वायड गठित कर दी है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार प्रशासनिक अधिकारियों के दिशा निर्देश पर विभाग द्वारा गठित ब्लॉक व गांव स्तरीय कमेटियों के माध्यम से पराली में आग लगाने की घटनाओं पर काबू पाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। चूंकि कुछ किसानों द्वारा अवकाश के दिन पराली में आग लगाने का प्रयास किया जाता है इसलिए अवकाश के दिनों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। अब केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जो फ्लाइंग स्क्वायड के माध्यम से इस दिशा में कदम उठाया है उससे पराली में आग की घटनाओं को रोकने में काफी मदद मिलेगी।
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