अटकलों के विपरीत सभी ने दंगल में उतारे चुनावी ‘योद्धा’, भाजपा व इनैलो ने पुराने खिलाडिय़ों पर खेला दांव

Edited By Shivam, Updated: 17 Oct, 2020 10:36 PM

contrary to speculation in baroda byelection

बरोदा विधानसभा सीट के 3 नवम्बर को होने जा रहे उपचुनाव के लिए शुक्रवार को नामांकन करने के आखिरी दिन जहां सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए तो वहीं सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन के साथ साथ कांग्रेस व इनैलो द्वारा तमाम कयासों...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): बरोदा विधानसभा सीट के 3 नवम्बर को होने जा रहे उपचुनाव के लिए शुक्रवार को नामांकन करने के आखिरी दिन जहां सभी प्रमुख दलों के उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र दाखिल किए तो वहीं सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन के साथ साथ कांग्रेस व इनैलो द्वारा तमाम कयासों के विपरीत उम्मीदवार मैदान में उतार कर जहां सभी को चौंका दिया है तो वहीं उपरोक्त दलों द्वारा मैदान में उतारे गए उम्मीदवारों को लेकर पूरी तरह से जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया गया। 

भाजपा ने फिर से अपने पुराने खिलाड़ी पर दांव लगाया तो इनैलो ने भी आम चुनाव में उतारे गए उम्मीदवार पर ही इस मर्तबा उपचुनाव में भरोसा जताया है। कांग्रेस ने तमाम अटकलों को खारिज करते हुए नए चेहरे को मैदान में उतारा है। सत्ता दल की ओर से पिछले विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी जाट लैंड बरोदा में गैरजाट को अपना उम्मीदवार बनाया गया है तो कांग्रेस व इनैलो ने जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। सभी दलों के उम्मीदवारों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किए जाने के साथ ही इन दलों के नेताओं ने चुनावी कमान संभाल ली है और अपने अपने उम्मीदवारों को विजयी बनाने के लिए शुक्रवार सांय से ही अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। 

भाजपा उम्मीदवार के लिए पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ व चुनाव प्रभारी जे.पी. दलाल, सांसद रमेश कौशिक व संजय भाटिया सरीखे बड़े नेता चुनावी जंग में उतर गए हैं और आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित पार्टी के स्टार प्रचारकों की टीम चुनावी दंगल में दस्तक देती दिखाई देगी। दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रचार की कमान पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा व उनके पुत्र सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने संभाल ली है और कांग्रेस की ओर से पार्टी की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा भी चुनावी प्रचार में जुटेंगी, जबकि इनैलो की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला पूरे दमखम के साथ मैदान में उतर आए हैं और आने वाले दिनों में इनैलो सुप्रीमो एवं पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला भी अपने उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करते नजर आएंगे। 

चर्चाओं के विपरीत मैदान में उतरे उम्मीदवार
गौरतलब है कि बरोदा उपचुनाव की घोषणा से काफी पहले ही जहां सभी दलों के बड़े नेताओं ने इस क्षेत्र में मतदाताओं की नब्ज टटोलने के साथ साथ उम्मीदवारों का चयन करने को लेकर दस्तक देनी शुरू कर दी थी तो वहीं सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन, कांग्रेस व इनैलो के संभावित उम्मीदवारों को लेकर सियासी गलियारों में कई नाम चर्चा में आने शुरू हो गए थे और कई चेहरों को तो लगभग पक्का उम्मीदवार माना जाने लगा था। मगर नामांकन दाखिल करने से ऐन पहले जिस तरह से सभी दलों ने ही जातीय समीकरणों को देखने के साथ साथ पूरे सियासी गणित का आंकलन करने के बाद उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, उससे सियासी पर्यवेक्षकों के साथ साथ आम लोगों के लिए भी चौंकाने जैसी स्थिति है। 

उल्लेखनीय है कि भाजपा की ओर से पहले कपूर नरवाल का नाम कई दिनों तक चर्चा में रहा तो वहीं गठबंधन उम्मीदवार के तौर पर जजपा के दो नेताओं के.सी. बांगड़ व भूपेंद्र मलिक के नाम चर्चित रहे। इसी प्रकार कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के तौर पर भी कपूर नरवाल व स्व. श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे जीता हुड्डा अथवा उनकी पत्नी का नाम सामने आया। इसी प्रकार इनैलो की ओर से भी इस बार नया चेहरा मैदान में उतारे जाने की अटकलें थीं। मगर सभी दलों ने सियासी कयासों से हटकर उम्मीदवार सामने लाते हुए नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है। 

पिछली बार हुआ था 68 प्रतिशत तो इस बार टूट सकता है रिकार्ड
सत्ताधारी दल भाजपा, कांग्रेस व इनैलो द्वारा चुनावी जंग में उतारे गए योद्धाओं में से भाजपा व इनैलो ने पुराने उम्मीदवारों पर ही भरोसा किया है। अक्तूबर 2019 के विधानसभा चुनाव में बरोदा सीट से भाजपा के योगेश्वर दत्त को कुल 37226 वोट हासिल हुए थे और उन्हें कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा ने 42566 वोट हासिल करते हुए 5340 वोटों से हराया था। उस वक्त इनैलो के उम्मीदवार जोगेंद्र मलिक को मात्र 3145 वोट हासिल हुए थे। जजपा उम्मीदवार के तौर पर उस चुनाव में भूपेंद्र मलिक मैदान में उतरे थे और वे 32480 वोट हासिल करते हुए तीसरे स्थान पर रहे थे। बसपा के नरेश को 3281 वोट हासिल हुए थे। उस चुनाव में कुल 1 लाख 77 हजार 994 मतदाताओं में से 1 लाख 22 हजार 780 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और तब कुल 68 प्रतिशत मतदान हुआ। सियासी पर्यवेक्षकों के अनुसार इस सीट पर हो रहा उपचुनाव जिस तरह से सभी दलों व कुछ नेताओं के लिए व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है, उसे देखते हुए ऐसा अनुमान है कि इस बार मतदान प्रतिशत पिछला रिकार्ड तोड़ सकता है।

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