मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने वाले मेदांता अस्पताल पर 25 लाख का जुर्माना

Edited By Pawan Kumar Sethi, Updated: 30 Nov, 2023 09:02 PM

consumer forum imposed fine on medanta hospital doctor

पूर्व विधायक राधे श्याम शर्मा की पत्नी के इलाज में लापरवाही बरतने के मामले की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने मेदांता अस्पताल के डॉक्टर पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही इलाज के दौरान अस्पताल द्वारा वसूले गए करीब 10 लाख...

गुड़गांव, (ब्यूरो): पूर्व विधायक राधे श्याम शर्मा की पत्नी के इलाज में लापरवाही बरतने के मामले की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने मेदांता अस्पताल के डॉक्टर पर 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। साथ ही इलाज के दौरान अस्पताल द्वारा वसूले गए करीब 10 लाख 28 हजार रुपए व केस खर्च 55 हजार रुपए भी दिए जाने के आदेश फोरम ने जारी किए हैं। फोरम ने अपने आदेशों में कहा है कि यह भुगतान अस्पताल प्रबंधन की ओर से 45 दिन में किया जाए। ऐसा न करने पर अस्पताल को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करना होगा।

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जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष संजीव जिंदल और सदस्य ज्योति सिवाच व खुशविंदर कौर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाते हुए टिप्पणी की है कि व्यक्ति के जीवन का मूल्य अनमोल है और इसे पैसे के संदर्भ में नहीं मापा जा सकता। वहीं, मेदांता अस्पताल के एमडी डॉ नरेश त्रेहान का कहना है कि उपभोक्ता फोरम के आदेशों की जानकारी उन्हें नहीं है। इसकी जानकारी लेकर वह कुछ बता पाएंगे। 

 

जानकारी के मुताबिक, नारनौल निवासी पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा की पत्नी 71 वर्षीय बर्फी देवी को छाती में दर्द होने की शिकायत होने पर 28 फरवरी 2020 को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां डॉ प्रवीण चंद्रा द्वारा उनकी पत्नी का इलाज किया गया। इसके बाद डॉ नीरज गुप्ता और डॉ नवीन गोयल समेत अन्य भी इलाज में शामिल हुए। फोरम में दायर याचिका में उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने जांच के उपरांत बताया कि उनकी पत्नी को हार्ट की दिक्कत है जो स्टेंट डालने से ठीक हो जाएगी। स्टेंट डालने के बाद भी मरीज को राहत नहीं मिली। आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही से अस्पताल में भर्ती होने के 9 दिन बाद उनकी पत्नी की मौत हो गई। कई बार मरीज की गंभीर हालत होने पर डॉक्टरों व अन्य स्टाफ ने इलाज में कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

 

आरोप है कि मरीज को हार्ट की दिक्कत के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उपचार को गैस्ट्रिक और किडनी सहित अन्य समस्याओं पर स्थानांतरित कर दिया गया। इस दौरान मरीज को गलत दिवा दे दी गई थी जिसके कारण 8 मार्च को उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें करीब 10 लाख 28 हजार रुपए का बिल दे दिया था जिसका उन्होंने भुगतान कर दिया। इसके बाद उन्होंने मामले को जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था। जिसके बाद फोरम ने यह फैसला दिया है।

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