Taiwan Pink Amrud ने किसान को बनाया मालामाल, महीने में कमा रहा लाखों रुपये, इसकी कीमत जानकर हो जाएंगे हैरान...

Edited By Deepak Kumar, Updated: 12 Aug, 2025 08:44 PM

taiwan pink amrud made farmer rich earning lakhs of rupees month

कुरुक्षेत्र के हाथिरा गांव के रहने वाले किसान सुरेंद्र 5 साल पहले ताइवान पिंक वैरायटी का अमरूद का बाग लगाया था। अब वह एक एकड़ से 1 साल में कई लाख रुपए कमा रहे हैं।

कुरुक्षेत्र (रणदीप रोर) :  बागवानी के क्षेत्र में अब किसान ऐसी फसलों की तरफ बढ़ रहे हैं जिसे किसानों को बंपर पैदावार हो रही है। किसान परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं और इसमें बागवानी की फसल लगाकर किसान मालोमाल बन रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मुनाफा किसानों को फलों के भाग लगाकर हो रहा है ऐसे ही एक किसान कुरुक्षेत्र के हाथिरा गांव के रहने वाले सुरेंद्र हैं जिन्होंने 5 साल पहले ताइवान पिंक वैरायटी का अमरूद का बाग लगाया था जिसे अब वह एक एकड़ से 1 साल में कई लाख रुपए कमा रहे हैं। 

किसान सुरेंद्र ढिल्लों ने कहा कि उन्होंने यूट्यूब पर अमरूद के बाकी की कई वीडियो देखी इसके बाद उन्होंने सोचा कि परंपरागत तरीके की खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके की खेती की जाए जिसके चलते उन्होंने अमरूद का बाग लगाने की सोची जिसे वह अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने खेत में ताइवान पिंक अमरूद की वैरायटी का बाग लगाया है जो ताइवान देश की वैरायटी है। उसने इसके पौधे आंध्र प्रदेश से मंगवाए थे और उसके बाद उन्होंने दो एकड़ में इसका बाग लगाया था। 

उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से इस अमरूद का नाम है उसे प्रकार से ही इसका स्वाद भी काफी लाजवाब होता है यह अंदर से पिंक कलर का होता है और खाने में भी काफी लाजवाब होता है। उन्होंने बताया कि इस वैरायटी की खास बात यह है कि यह 10 से 15 दिन तक आसानी से स्टोर किया जा सकता है जबकि अन्य दूसरी वैरायटी को इतने लंबे समय तक स्टोर करना मुश्किल होता है और वह खराब हो जाते हैं अगर किसान इसको अपने खेत से आज तोड़ता है तो करीब 10 से 15 दिन तक भी वह चुके तो रहते हैं ऐसे में ट्रांसपोर्ट में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आती। इसलिए यह दूसरी वैरायटी से अलग है और इसी के लिए इन्होंने इस वैरायटी को चुना था। 

किसान का कहना है कि उन्होंने अपने खेत में हाई डेंसिटी पर अमरूद का बाद लगाया था जिसमें उन्होंने एक एकड़ में 2000 पौधे लगाए थे और इस वैरायटी की खास बात यह होती है कि इसमें तीन-चार साल तक इंतजार नहीं करना होता इसमें पहले साल से ही फ्रूटिंग शुरू हो जाती है जिसके चलते किसान को अच्छा मुनाफा होता है। उन्होंने बताया कि पहले साल फ्रूटिंग काफी कम होती है लेकिन किसान अपनी खर्चा और थोड़ा उसे अलग मुनाफा आसानी से निकाल लेता है जिसके चलते किसान को कोई भी परेशानी नहीं होती। हाई डेंसिटी पर बाग लगाने का उसका मुख्य उद्देश्य यह था कि खेत में 600 पौधे की जगह 2000 पर लगाए गए हैं अगर शुरुआती 2 साल में उनके ऊपर 5 से 10 किलो फल भी आता है तब भी किसान का खर्चा आसानी से निकल जाता है। सभी पौधे जल्दी तैयार हो जाएंगे और जल्दी तैयार होने के बाद उन्होंने उसमें से पौधे निकाल कर तीन एकड़ में वही पौधे लगाए जिसे अब वह 5 एकड़ में ताइवान पिंक अमरूद की खेती कर रहे हैं।

किसान का कहना है कि उनके खेत में करीब अब 600 पौधे हैं और अगर एक पौधे की बात करें एक पौधे पर 50 किलो फल आता है से कम अगर ₹20 प्रति किलो के हिसाब से भी देखे तो एक एकड़ से 6 लाख रुपए सीधा कमाई हो रही है। हालांकि यह रेट उन्होंने सबसे कम बताया है मार्केट का रेट लगभग ₹50 के आसपास रहता है कई बार इससे भी ज्यादा होता है तो कई बार काम हो जाता है लेकिन एवरेज ₹50 प्रति किलो की आती है ऐसे में करीब 8 से 10 लाख रुपया वह है इससे शुद्ध मुनाफा एक एकड़ से ले रहे हैं।

साल में दो बार आता है फल दिल्ली होता है सप्लाई 

किसान ने बताया कि ताइवान पिंक वैरायटी में साल में दो बार फल आते हैं एक बार जुलाई में फ्रूटिंग शुरू होती है तो दूसरी बार नवंबर में सर्दियों की फ्रूटिंग शुरू हो जाती है। अगर मौसम थोड़ा अच्छा रहे तो मार्च अप्रैल में भी कुछ फ्रूटिंग बच जाती है जिसे बेचकर किसान अतिरिक्त लाभ ले लेता है होने कहा कि इस वैरायटी में 40 से ज्यादा तापमान नहीं होना चाहिए और ना ही ज्यादा कम तापमान होना चाहिए इसमें थोड़ा फ्रूट में दिक्कत हो जाती है लेकिन कुल मिलाकर हिसार से पैदा और अन्य वैरायटी से यह वैरायटी काफी अच्छी है जिसमें जल्दी फ्रूटिंग शुरू होती है और पैदावार भी काफी अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि जब शुरुआती समय में यह शुरू होता है तब थोड़ा फल होता है तब वह आसपास की सब्जी मंडी में ही उसको बेच देते हैं लेकिन जब सीजन पीक पर होता है तब वह इसको दिल्ली सप्लाई करते हैं और वहां से अलग-अलग राज्यों में उनका अमरुद जाता है हालांकि इसकी डिमांड इतनी होती है कि इसकी दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में भी काफी खपत है। 

किसान ने कहा कि जहां वह खुद अमरूद का बाग लगाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। तो वही गांव की महिलाओं को भी यहां पर रोजगार मिला हुआ है वह यहां पर निराई गुड़ाई और फ्रूट तोड़ने का काम करती है और पैकिंग का काम करती है ऐसे में उनके जरिए दर्शन पर महिलाओं के परिवार की रोजी रोटी यहां से चल रही है। किसान ने बताया कि वह अपने बाग में किसी भी प्रकार के पेस्टिसाइड का उपयोग नहीं करते हैं उन्होंने कहा कि अगर हम एक बार पौधे को पेस्टिसाइड देने लग जाए तो उसे बीमारियां भी काफी आनी शुरू हो जाती है जिसके चलते उन्होंने सिर्फ देसी खाद जो गोबर की होती है उसी को ही खेत में डाला है जिससे वह अच्छा प्रोडक्शन ले रहे हैं हालांकि फ्रूट फ्लाई की समस्या रहती है लेकिन उसके लिए उन्होंने फ्लाइ ट्रैप लगाया हुआ है जो काफी अच्छा काम करता है जिसके चलते वह लोगों को बिना दवाई का अमरूद खाने को दे रहे हैं। 

उन्होंने बताया कि जब उन्होंने 2019 में यह बाग लगाया था तब विभाग के द्वारा उनका ₹9000 प्रति एकड़ सहायता राशि दी गई थी लेकिन आज के समय में विभाग के द्वारा 43000 प्रति एकड़ सहायता राशि दी जाती है। और 75000 रूपए मेरा पानी मेरी विरासत के जरिए मिलते हैं ऐसे में किसानों को ₹50000 की सहायता मिल जाती है जो एक अच्छी बात है ऐसे में वह दूसरे किसानों को भी कहना चाहते हैं कि परंपरागत तरीके की खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके की खेती करें और खुद के अपने खेतों में कुछ ना कुछ ऐसा करें जिससे वह अच्छा मुनाफा ले सके क्योंकि खेती में ऐसे बहुत से ऑप्शन है। अलग-अलग प्रकार की खेती करके किसान खेती से ही अच्छा पैसा कमा सकता है।

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