Edited By Deepak Kumar, Updated: 07 Aug, 2025 02:05 PM

हरियाणा में प्राइवेट अस्पतालों ने इस योजना के तहत इलाज करना बंद कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा पिछले 5 महीनों से लंबित भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उन्हें यह कठिन निर्णय लेना पड़ा है।
यमुनानगर (परवेज खान) : केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक, आयुष्मान भारत योजना, अब हरियाणा में प्राइवेट अस्पतालों के लिए गले की फांस बनती जा रही है। हरियाणा में प्राइवेट अस्पतालों ने इस योजना के तहत इलाज करना बंद कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा पिछले 5 महीनों से लंबित भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उन्हें यह कठिन निर्णय लेना पड़ा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के आह्वान पर यह कदम उठाया गया है। IMA ने स्पष्ट किया है कि 14 अगस्त तक प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान योजना के अंतर्गत किसी भी मरीज का इलाज नहीं किया जाएगा। अगर इस दौरान कोई समाधान नहीं निकलता, तो 14 अगस्त के बाद और कड़ा फैसला लिया जा सकता है।
मरीजों की बढ़ी परेशानी
इस फैसले के चलते मरीजों और उनके परिजनों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई मरीज पहले से इस योजना के तहत इलाज करवा चुके थे, लेकिन अब उन्हें अस्पतालों से वापस लौटना पड़ रहा है। एक मरीज के परिजन ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, "हमने पहले आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराया था, लेकिन अब इलाज नहीं हो रहा। हमारे पास पैसे नहीं हैं, अब हम भगवान के भरोसे हैं।"
गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज हुए प्रभावित
यमुनानगर के कई प्राइवेट अस्पतालों में कैंसर, हर्निया और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज इलाज के लिए पहुंचे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। मरीजों और उनके तीमारदारों ने सरकार से गुहार लगाई है कि प्राइवेट अस्पतालों का बकाया भुगतान तुरंत किया जाए, ताकि आयुष्मान योजना के तहत इलाज दोबारा शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि यह योजना गरीबों के लिए वरदान है, लेकिन इलाज रुकने से भारी परेशानी हो रही है।
हरियाणा मेडिकल एसोसिएशन का बयान
हरियाणा मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. जे. के. गुलाटी ने बताया कि यमुनानगर में करीब 30 प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का इलाज करते हैं। लेकिन पिछले 5 महीनों से सरकार ने अस्पतालों का भुगतान नहीं किया है। उन्होंने कहा, "हमने कई बार सरकार और स्वास्थ्य मंत्री से भुगतान रिलीज करने की मांग की है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मजबूरन हमें योजना के तहत इलाज बंद करना पड़ा है। अगर सरकार 14 अगस्त तक कोई समाधान नहीं निकालती, तो हम बड़ा फैसला ले सकते हैं।"
डॉ. गुलाटी ने हरियाणा सरकार की "पहले आओ, पहले पाओ" नीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यदि योजना में पारदर्शिता नहीं होगी, तो प्राइवेट अस्पतालों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा, और अंततः नुकसान मरीजों को ही उठाना पड़ेगा।