कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने की जजपा कार्यकर्त्ताओं से पार्टी छोडऩे की अपील

Edited By Manisha rana, Updated: 10 Mar, 2021 09:16 AM

congress general secretary randeep surjewala appeals to jjp workers

किसान आंदोलन को अब 104 दिन हो गए हैं। आंदोलन की इस अवधि के दौरान जहां किसानों द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ अनेक दफा मोर्चा खोला गया तो वहीं सियासत भी काफी गर्म रही है। दिनों दिन किसानों के ...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : किसान आंदोलन को अब 104 दिन हो गए हैं। आंदोलन की इस अवधि के दौरान जहां किसानों द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ अनेक दफा मोर्चा खोला गया तो वहीं सियासत भी काफी गर्म रही है। दिनों दिन किसानों के समर्थन में तमाम विपक्षीदल सरकार को घेरने के प्रयास में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस ने भी इस आंदोलन के दृष्टिगत मोदी सरकार पर हमला बोलने के साथ साथ हरियाणा में भाजपा के सहयोगी दल जजपा को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने जहां जजपा नेताओं को सत्ता का लोलुप करार दिया है तो वहीं उन्होंने जजपा कार्यकत्र्ताओं से किसानों का साथ देने का आह्वान करते हुए जजपा कार्यकर्त्ताओं को पार्टी छोडऩे की सलाह दी है। 

कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने अपने ट्विटर हैंडल से भी कई संदेश पोस्ट कर साफ कहा है कि एक तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर सड़क पर हैं तो वहीं जजपा नेता सत्ता के सुख में किसानों से ही मुंह मोड़ रहे हैं, ऐसे में इन नेताओं को सबक सिखाने के लिए जजपा कार्यकर्त्ताओं को आगे आना चाहिए और किसानों का साथ देना चाहिए। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस द्वारा प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 10 मार्च बुधवार को विधानसभा में होने वाली वोटिंग को लेकर जजपा ने अपने विधायकों के लिए व्हीप जारी किया है और इसी व्हीप को लेकर ही सुर्जेवाला ने जजपा को किसान विरोधी होने की संज्ञा देते हुए उन्हीं के कार्यकत्र्ताओं से पार्टी छोडऩे की अपील की है।

सत्ता के अंहकार का नतीजा है आंदोलन
कांग्रेस नेता रणदीप ने कहा कि किसानों ने हरसंभव कोशिश की कि वे आंदोलन की राह की अपेक्षा वार्ता से प्रधानमंत्री मोदी की मनमानी का समाधान निकालें इसलिए दिल्ली कूच करने से पहले 13 नवंबर, 2020 को किसानों ने देश के कृषि मंत्री से 7 घंटे चर्चा की, मगर ‘हम दो हमारे दो’ की नीति पर चलने वाली सरकार किसानों की कहां सुनने वाली थी। अंतत: किसान 26 नवंबर, 2020 को दिल्ली कूच करने को मजबूर हुए। वे गांधीवादी तरीके से अपनी बात रखना चाहते थे मगर निर्दयी मोदी सरकार ने किसानों के जत्थों को घेर कर सोनीपत के बॉर्डर पर, सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर, सिरसा, जींद, फतेहाबाद, दिल्ली की लगभग सभी सीमाओं पर कड़कड़ाती ठंड में पानी की बौछारों से व आंसू गैस के गोलों से प्रहार प्रारंभ किए, बर्बरता से लाठियों डंडों से मारा गया। यहां तक कि नैशनल हाइवे खोदे गए। मगर किसानों के फौलादी इरादों के आगे सत्ता की प्रताडऩा परास्त हुई और किसानों ने दिल्ली के दरवाजे पर धरना प्रारंभ किया और 104 दिनों से लगातार चल रहा यह आंदोलन मोदी सरकार के अहंकार का ही नतीजा है।

किसानों को परेशान करने का प्लान
सुर्जेवाला ने कहा कि सरकार चाहती थी कि इतने लंबे समय तक बैठकें की जाएं कि किसानों के संसाधन खत्म हो जाएं और किसान थक कर भाग जाएं। प्रताडि़त करो-परास्त करो की नीति के अनुरूप ही किसानों को अलग अलग तरह से प्रताडि़त किया गया। कभी इन्कम टैक्स के छापे, कभी छापों के नोटिस दिए गए। उत्तर प्रदेश में 50-50 लाख के नोटिस दिए गए। मध्यप्रदेश में वन विभाग के छापे डलवाकर फर्जी मुकदमे लगवाए गए। इतना ही नहीं, किसानों के आंदोलन पर पथराव तक किया गया। उनकी राहों में कील और कांटे बिछाए गए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के प्रभावशाली नेताओं व मंत्रियों ने किसानों को सार्वजनिक रूप से पाकिस्तानी, खालिस्तानी, माओवादी तक कहा। आंदोलन में विदेशी फंडिंग के आरोप लगाए गए। 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली में तो सरकार प्रायोजित कार्यक्रम के तहत नियोजित रूप से लाल किले की प्राचीर से भारत की अस्मिता को तार तार किया गया और उसका आरोप किसानों पर मढऩे की कोशिश की गई ताकि किसानों के आंदोलन की छवि धूमिल की जा सके। 

एक कॉल की दूरी ही क्यों?
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दोषारोपण करते हुए कहा कि मोदी सरकार हमेशा अपने पूंजीपति मित्रों के ‘कवरेज एरिया’ में रहती है, किसानों को ‘आउट ऑफ कवरेज’ एरिया किए रहती है और किसानों को ‘एक काल दूर’ का झांसा देती है। मोदी भली भांति जानते हैं कि इन काले कृषि विरोधी क्रूर कानूनों के क्या दुष्प्रभाव किसानों पर पडऩे वाले हैं। सरकारी मंडियां बंद हो जाएंगी, समर्थन मूल्य पर खरीदी बंद हो जाएगी, जमाखोर असीमित मात्रा में अनाज जमा करके बाजार में फसलों के दाम तोड़ देंगे, किसानों की जमीनें हड़पी जाएंगी, मगर वे तो चाहते ही ये हैं कि 14 करोड़ 65 लाख किसानों से उनकी आजीविका छीनकर 25 लाख करोड़ का खेती का व्यापार अपने पूंजीपति मित्रों को दे दें।

चुनावों में हार का मुंह देखगी भाजपा
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार अपने बहुमत के अहंकार में अंधी हो गई है। उसे सत्ता के स्वार्थ के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता है। प्रजातंत्र ‘मनमाने’ नहीं ‘जनमाने’ तरीके से चलाया जाता है। पांच राज्यों में होने वाले इन विधानसभा चुनावों में मोदी सरकार की पराजय किसानों की निजी क्षेत्र में समर्थन मूल्य दिए जाने और किसान विरोधी काले कानूनों को वापस लिए जाने की जीत का रास्ता खोलेगी। 

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