अब भाई-बहन की जोड़ी भाजपा को देगी टक्कर, शैलजा को बहन बताकर हुड्डा मांगते रहे हैं वोट

Edited By Isha, Updated: 05 Sep, 2019 10:55 AM

brother sister duo will now compete with bjp

आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस हाईकमान से विधानसभा चुनाव की कमान मिल ही गई और अब भाई-बहन की जोड़ी भाजपा को टक्कर देगी,क्योंकि हुड्डा पिछले चुनावों के दौरान शैलजा

चंडीगढ़ (बंसल): आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को कांग्रेस हाईकमान से विधानसभा चुनाव की कमान मिल ही गई और अब भाई-बहन की जोड़ी भाजपा को टक्कर देगी,क्योंकि हुड्डा पिछले चुनावों के दौरान शैलजा के लिए उन्हें अपनी बहन बताकर वोट मांगते रहे हैं। हुड्डा को विधायक दल के नेता के साथ-साथ चुनाव मैनेजमैंट कमेटी का अध्यक्ष तथा शैलजा को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। ऐसा नहीं है कि दोनों बहन-भाई के बीच कभी अलगाव नहीं हुआ लेकिन बीच-बीच में दोनों के बीच समझौते भी होते रहे हैं। अगर 2005 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो शैलजा खुलकर हुड्डा के साथ थीं लेकिन हुड्डा के सत्तासीन होने के कुछ समय बाद दोनों के रिश्तों में कुछ खटास आ गई थी। 

2009 के लोकसभा चुनाव में हुड्डा ने अंबाला संसदीय क्षेत्र में शैलजा को बहन बताकर उनके पक्ष में वोट मांगे थे। फिर बाद में दोनों के बीच रिश्तों में कुछ खटास की बातें सुनने में आती रहीं लेकिन 2014 में कांग्रेस की सत्ता से विदाई के बाद दोनों के बीच फिर मधुर संबंध कायम हो गए। माना जा रहा है कि तंवर का तख्ता पलटने में दोनों का रोल रहा है, तभी आज सोनिया गांधी ने हुड्डा से बातचीत करके प्रदेश में जातीय संतुलन साधते हुए शैलजा को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष तथा हुड्डा को विधानसभा चुनाव की कमान सौंप दी। इतना ही नहीं,किरण चौधरी की जगह हुड्डा को विधायक दल का नेता भी बना दिया। 

विश्लेषकों की मानें तो हाईकमान ने यह फैसला काफी देर से लिया, जबकि लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही हाईकमान को यह फैसला ेले लेना चाहिए था,क्योंकि कांग्रेस अब चुनावी रणनीति बनाएगी,जबकि भाजपा पूरी रणनीति के साथ चुनावी मैदान में बहुत पहले से उतरी हुई है और मुख्यमंत्री के रथ का पहिया प्रदेश में चारों तरफ घूम रहा है। विश्लेषकों का यह भी कहना है कि जो ताकत हुड्डा को विरोधी दलों के खिलाफ लगानी चाहिए थी, वह ताकत उन्होंने पार्टी के भीतर अपने विरोधियों को निपटाने में लगाई। दूसरी ओर हाईकमान के फैसले से कांग्रेस में हुड्डा विरोधी खेमों में मायूसी देखी जा रही है। 

सूत्रों की मानें तो हुड्डा अब जल्द ही प्रदेश की यात्रा की तैयारियों में जुट जाएंगे,ताकि मुख्यमंत्री की रथ यात्रा का जवाब दिया जा सके। हुड्डा समर्थक इसलिए खुश हैं कि उन्हें चुनाव की कमान मिल गई,इसलिए कांग्रेस के घोषणा पत्र से लेकर टिकट वितरण में उनका अहम रोल रहेगा। हालांकि हुड्डा ने अपना घोषणा पत्र रोहतक रैली में स्पष्ट कर दिया था और अब माना जा रहा है कि चुनाव दौरान कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में उन्हीं बातों को स्थान देगी। 

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