Edited By Isha, Updated: 29 Jan, 2025 07:15 PM
देश की सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही कांग्रेस का पंजाब एवं हरियाणा की शरण में जाना क्या उनके आरोपो पर मोहर लगाएगा या फिर यह आरोप केवल आरोप ही बनकर रह जाएंगे यह पंजाब ए
चंडीगढ़(:चंद्र शेखर धरणी): देश की सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रही कांग्रेस का पंजाब एवं हरियाणा की शरण में जाना क्या उनके आरोपो पर मोहर लगाएगा या फिर यह आरोप केवल आरोप ही बनकर रह जाएंगे यह पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के बाद ही साफ हो पाएगा। दरअसल, हरियाणा के राजनीतिक हालातो तथा मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक किसी भी तरह से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनना असंभव सा दिख रहा था जिससे कांग्रेस पार्टी काफी उत्साहित थी और भारतीय जनता पार्टी काफी उदासीन। बावजूद इसके नतीजे बिल्कुल उलट आए और प्रचंड बहुमत से भाजपा की सरकार बनी थी।
90 में से 46 विधायकों की जरूरत भाजपा को सरकार बनाने के लिए थी, लेकिन उससे भी दो विधायक अधिक यानी 48 उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश में जीत हासिल करने में सफल रहे। जिससे राजनीतिक पंडित पूरी तरह से हैरान थे और कांग्रेस पूरी तरह से परेशान। कांग्रेस पार्टी ने खूब आरोप प्रत्यारोप करते हुए चुनाव के दौरान धांधली की बात कही एवं ईवीएम पर दोष मंडा गया। सरकारी एजेंसियों के दरवाजों पर भी खूब कांग्रेस पार्टी ने दस्तक दी। लेकिन किसी प्रकार की मदद ना होते देख आखिरकार अब यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की शरण में है। जिसमें कुल 23 विधायकों की जीत पर सवालिया निशान लगाए गए है।
जिसमें से सबसे अधिक विधायक भारतीय जनता पार्टी के 18 है। इन 18 विधायकों में से चार कैबिनेट स्तर के मंत्री हैं। अगर इन आरोपों में सच्चाई पाई तो फिर इन 18 विधायकों की सदस्यता जा सकती है। इस पूरे चुनाव को लेकर माननीय हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। चुनाव आयोग, पुलिस प्रशासन व सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप वाली इस याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा सहमति देने को भी विपक्ष की जीत कहीं हद तक माना जा रहा है। याचिका कर्ता के अधिवक्ता के अनुसार जिन बिंदुओं पर उन्होंने माननीय हाईकोर्ट का ध्यान केंद्रित करवाया है और जो सबूत पेश किया जाएंगे उन्हें आधार पर यह मामला हाई कोर्ट द्वारा स्वीकार किया गया है। इसमें चुनाव आयोग व अन्य सरकारी एजेंटीयों व इलेक्ट्रॉन ऑफिसर्स सभी ने भाजपा के पक्ष में काम किया। इसके एविडेंस प्रमुखता से पेश किए जाएंगे। किस प्रकार से विपक्षी खेमे के वोटरस को रोका गया और भाजपा के पक्ष में बोगस वोटिंग करवा कर धांधली की गई है, याचिका कर्ता के अनुसार 3:00 से 5:00 तक की हुई वोटिंग में काफी बड़ी मात्रा में बोगस वोटिंग थी, जिसे लेकर चुनाव आयोग से सीसीटीवी की भी मांग की गई थी, लेकिन चुनाव आयोग इसे देने को तैयार नहीं हुआ। किस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी के द्वारा धन बल का प्रयोग किया गया आयोग द्वारा सुनिश्चित की गई राशि से 10 -20 -100 गुना तक पैसों का खर्च किया गया. सरकारी सहूलियतों के दम पर वोटिंग अपने पक्ष में करवाई गई। याचिका कर्ता के अनुसार इन बिंदुओं के डाक्यूमेंट्स माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में लगाए गए हैं, अगर याचिका कर्ता के सबूतों में दम हुआ और हाई कोर्ट का फैसला भारतीय जनता पार्टी के कुछ भी विधायकों के खिलाफ गया तो हरियाणा सरकार क्या वास्तव में मुश्किलों में आ जाएगी।
दरअसल इस याचिका को पूर्व चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनने के काबिल नहीं समझा था और इस याचिका को खारिज कर दिया गया था इन कानूनी दाव पेच में अगर यह चुनाव फस गया तो 23 विधायकों जिनमें चार मंत्री हैं इनमें से कुछ विधायकों के सदस्यता भी रद्द की जा सकती है यानी विधायकों की विधायकी जा सकती है इस वक्त की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत से केवल दो विधायक ही अधिक है। 90 में से 46 विधायकों की जरूरत सरकार बनाने के लिए होती है और भाजपा के पास 48 विधायक हैं यानी अगर कुछ विधायकों पर कार्रवाई हुई तो यह माना जा सकता है कि हरियाणा की सरकार पर खतरा मंडरा सकता है।
ऐसे में इन सीटों पर क्या उपचुनाव होगा या फिर कुछ और फैसला होगा यह देखने योग्य बात रहेगी। निष्पक्ष चुनाव करवाने की जिम्मेदारी वाले आयोग चुनाव आयोग के भी जवाब दे ही इसमें तय हो सकती है इस पर अब सभी की नजर रहेगी। ऐसे में अब इन विधायकों के राजनीतिक भविष्य का फैसला हाई कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा।
कोर्ट ने मांगा चुनाव आयोग से जवाब
हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में से कुछ पर सुनवाई शुरू हो चुकी है तो कुछ पर सुनवाई होनी बाकी है। अधिकतर याचिकाओं में सुनवाई के लिए अगली तारीख फरवरी माह की लगी है। कुछ मामलों में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं तो कुछ में चुनाव आयोग से जवाब मांगा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि किसी भी चुनाव के बाद हारने वाले उम्मीदवारों द्वारा याचिकाएं हाई कोर्ट में डालने की परंपरा बन गई है, जो कई-कई सालों तक चलती रहती हैं। कई मामलों आरोपी अपना दूसरा चुनाव भी जीत जाते हैं और हाईकोर्ट में पहली याचिका पर सुनवाई जारी रहती है। फिलहाल हरियाणा में पहली बार इतनी बड़ी तादाद में नव निर्वाचित विधायकों के खिलाफ याचिकाएं दायर हुई हैं।
इन मंत्रियों के चुनाव को चुनौती
हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं में जिन जिन मंत्रियों के चुनाव को चुनौती दी गई है, अटेली की विधायक और स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव, फरीदाबाद से विधायक और शहरी निकाय मंत्री विपुल गोयल, पानीपत ग्रामीण से विधायक और शिक्षा मंत्री महीपाल ढांडा के साथ पलवल से विधायक व खेल राज्य मंत्री गौरव गौतम शामिल हैं। इनमें अटेली की विधायक आरती सिंह राव के खिलाफ अतर लाल, फरीदाबाद के विधायक विपुल गोयल के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार रहे लखन सिंगला, पानीपत के विधायक महीपाल ढांडा के खिलाफ कांग्रेस नेता सचिन और पलवल के विधायक गौरव गौतम के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार रहे और पूर्व मंत्री करण दलाल ने याचिका दायर की है।
बीजेपी के इन विधायकों के खिलाफ याचिका
हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में भाजपा के विधायकों पर चुनाव के दौरान सत्ता और सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के साथ ईवीएम में गड़बड़ी कराने का आरोप है। साथ ही प्रचार के दौरान तय सीमा से अधिक राशि खर्च करने का भी जिक्र याचिका में किया गया है। बीजेपी के जिन विधायकों के खिलाफ कांग्रेस नेताओं की ओर से याचिका दायर की गई है, उनमें उचाना के विधायक देवेंद्र अत्री, बड़खल के विधायक धनेश अदलखा, होडल के विधायक हरिंदर सिंह, नलवा के विधायक रणधीर पनिहार, फरीदाबाद एनआइटी के विधायक सतीश कुमार, दादरी के विधायक सुनील सांगवान, बावल के विधायक कृष्ण कुमार रंगा, राई की विधायक कृष्णा गहलावत, नीलोखेड़ी के विधायक भगवान दास कबीरपंथी, इंद्री के विधायक रामकुमार कश्यप, सोनीपत के विधायक निखिल मदान, सफीदो के विधायक रामकुमार गौतम और खरखौदा के विधायक पवन खरखौदा शामिल हैं।
कांग्रेस और इनेलो विधायकों के खिलाफ भी याचिका
हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं में केवल सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के खिलाफ ही याचिकाएं दायर नहीं की गई है, बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस और इनेलो के विधायकों के खिलाफ भी याचिकाएं दायर की गई है। इनमें थानेसर के कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा, पंचकूला से कांग्रेस विधायक चंद्रमोहन बिश्नोई, लोहारू के कांग्रेस विधायक राजबीर फरटिया और डबवाली के इनेलो विधायक आदित्य देवीलाल के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका डाली गई है।
निर्दलीय के चुनाव के भी चुनौती
राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय रूप से जीत हासिल करने वाले एक विधायक के खिलाफ भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। बहादुरगढ़ के निर्दलीय विधायक राजेश जून के चुनाव को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
हरियाणा विधानसभा का गणित
आठ अक्टूबर 2024 को घोषित हुए हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम में भारतीय जनता पार्टी 48, कांग्रेस 37, इनेलो 2 और निर्दलीय 3 सीट पर चुनाव जीते थे। ऐसे में 48 सीट जीतकर भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।