कुमारी शैलजा चुनी गई हरियाणा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, हुड्डा को मिली बड़ी जिम्मेदारी

Edited By Shivam, Updated: 04 Sep, 2019 06:06 PM

kumari selja selected as state president haryana congress

हरियाणा कांग्रेस में चल रही उथल-पुथल आज दिल्ली में हुई प्रमुख नेताओं की बैठक के बाद खत्म हो गई। बैठक के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी...

नई दिल्ली: हरियाणा कांग्रेस में चल रही उथल-पुथल आज दिल्ली में हुई प्रमुख नेताओं की बैठक के बाद खत्म हो गई। बैठक के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि कुमारी सैलजा को पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चुना गया है। वहीं पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को सीएलपी लीडर बनाया गया है, इसके साथ उन्हें इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बता दें कि कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं काफी दिनों से चल रही थी, जिनपर आज विराम लग गया हैं। सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को बड़ा झटका लगा है।

गौरतलब है कि 18 अगस्त को भूपेंद्र हुड्डा द्वारा रोहतक में रैली की थी। इस रैली में हुड्डा ने कांग्रेस के खिलाफ तीखी बयानबाजी की थी। उन्होंने कहा था कि अब की कांग्रेस पहले वाली नहीं रही। इसलिए वे सभी बंधन तोड़कर पहुंचे हैं। उन्होंने कहा था कि वे कांग्रेस में रहेंगे या नहीं इसका निर्णय 36 सदस्यों की एक कमेटी करेगी। 

इस रैली के बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हुड्डा से दिल्ली में बात की थी। बताया जा रहा था कि सोनिया उनके बयानों से नाराज थी लेकिन हुड्डा ने अपनी चुनावी रणनीति इस तरह बनाई थी की उनकी मांग मानना कांग्रेस के लिए मजबूरी हो गया था।

हुड्डा चाहते थे कि कांग्रेस तंवर को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाए और कमान उन्हें सौंपे। कांग्रेस ने इलेक्शन कमेटी का चेयरमैन उन्हें बनाकर चुनाव की कमान पूरी तरह हुड्डा को सौंप दी है। अब विधानसभा चुनाव में टिकटों का बंटवारा, लगभग वही करने वाले हैं। 

मंगलवार को हुड्डा द्वारा बनाई गई 36 सदस्यों की कमेटी ने दिल्ली में बैठक की थी। इस बैठक में फैसला लिया गया था कि भूपेंद्र हुड्डा जो फैसला लेंगे वे उन्हें मान्य होगा। नेताओं का कहना था कि यदि हुड्डा कांग्रेस में रहेंगे तो वे कांग्रेस में उनका साथ देंगे। यदि हुड्डा अपनी पार्टी बनाएंगे तो वे हुड्डा के साथ नई पार्टी में जाने को तैयार हैं। जानकारों का कहना है कि हुड्डा ने जानबूझकर मंगलवार को इस पर फैसला नहीं लिया था। क्योंकि वे आला कमान पर दबाव बनाना चाहते थे कि वे उनके पक्ष मेंं निर्णय लें। 

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