Edited By Manisha rana, Updated: 28 Jan, 2023 09:58 AM

अगर हौसले बुलंद व आत्मविश्वास मजबूत हो तो विकट परिस्थितियां भी घुटने टेकने को विवश हो जाती हैं। इसका उदाहरण सिरसा जिले के ओढां क्षेत्र के गांव नुहियांवाली में देखा...
सिरसा : अगर हौसले बुलंद व आत्मविश्वास मजबूत हो तो विकट परिस्थितियां भी घुटने टेकने को विवश हो जाती हैं। इसका उदाहरण सिरसा जिले के ओढां क्षेत्र के गांव नुहियांवाली में देखा गया। जहां महिला ने कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानते हुए एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया कि अब वह लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन रही है।
जानकारी के मुताबिक गांव फेफाना निवासी राजबाला की शादी गांव नुहियांवाली निवासी मदन लाल से हुई थी। मदन लाल पेशे से फर्नीचर का एक अच्छा कारीगर था। उसके दो लड़के हैं। घर का पूरा खर्च मदन लाल के कंधों पर ही था। करीब 17 साल पहले मदन लाल सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था। उसका स्वास्थ्य इस कद्र बिगड़ा कि इलाज के बाद भी उसकी तबीयत ठीक नहीं और वह हाथों-पैरों से दिव्यांग हो गया। जिसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित हुई। घर व पति को संभालना राजबाला के लिए चुनौती बन गया।
वहीं राजबाला ने बताया कि पति की दिव्यांगता व घर का खर्च उठाना उसके लिए बड़ी चुनौती बन गया, लेकिन उसने इन परिस्थितियों में भी हौसला न खोते हुए अपने परिवार को संभाला। राजबाला ने अपने दोनों बेटों को पढ़ाया ही नहीं अपितु उन्हें अच्छे संस्कार भी दिए।
आर्मी में है राजबाला के दोनों बेटे
राजबाला ने कहा कि उसने हार न मानते हुए पशुओं का दूध बेचकर व लोगों के खेतों में मजदूरी कर बेटों की पढ़ाई व घर का खर्च चलाया। उसकेे दोनों बेटों प्रवीण व सोनू की इच्छा थी कि वे आर्मी में जाएं। अपने बेटों के इस सपने को पूरा करने के लिए राजबाला ने जान लगा दी। उसके दोनों बेटों का एक ही दिन फौज में सिलेक्शन हो गया। जब ये सूचना गांव में फैली तो हर कोई राजबाला की मेहनत व हौसले की प्रशंसा करता नजर आया। राजबाला के दोनों बेटे इस समय आर्मी में हैं।
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