जिला सचिवालय में गरजे ग्राम सचिव तथा BDPO, भ्रष्टाचार दर्ज हुए मामलों को लेकर रोष

Edited By Vivek Rai, Updated: 24 May, 2022 09:07 PM

village secretary and bdpo protest in the district secretariat

हरियाणा में ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ पर भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज हो रहे मामलों के खिलाफ आज कैथल जिले के सभी ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ पंचायती राज्य प्रशासनिक सेवा संघ हरियाणा के बैनर तले रोष निकालते हुए जिला लघु सचिवालय पहुंचे। इस बीच उन्होंने मुख्यमंत्री...

कैथल(जयपाल): हरियाणा में ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ पर भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज हो रहे मामलों के खिलाफ आज कैथल जिले के सभी ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ पंचायती राज्य प्रशासनिक सेवा संघ हरियाणा के बैनर तले रोष निकालते हुए जिला लघु सचिवालय पहुंचे। इस बीच उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम कैथल डीसी को ज्ञापन सौंपा।

डीसी को ज्ञापन सौंपने आए बीडीपीओ नरेंद्र कुमार ने बताया कि आज पूरे हरियाणा में सभी ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ की यूनियनों द्वारा सभी जिलों में मुख्यमंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा गया है। इस बीच उनकी मुख्य मांग है कि किसी भी छोटी मोटी मिस्टेक के लिए बीडीपीओ तथा ग्राम सचिव पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर दिया जाता है।

जबकि विकास कार्यों का एस्टीमेट बनाना तथा उसे वेरीफाई करना टेक्निकल विंग के SDO तथा JE का कार्य होता है। जिस बीच यह दोनों अधिकारी भी बराबर के जिम्मेदार होते हैं परंतु अनियमितता मिलने वाले मामले में केवल ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ पर ही मामला दर्ज किया जाता है। इसीलिए वह अब वित्तीय शक्ति को छोड़ना चाहते हैं।

ग्राम सचिव विकास कुमार व सुनील गोयत जिला प्रधान ने बताया कि ग्राम सचिवों द्वारा अगर कोई छोटी मोटी गलती हो जाती है तो उसका खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ता है। इसलिए आज उन्होंने डीसी के जरिए मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर हरियाणा के मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि वह ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ से पंचायती कार्यों की जो वित्तीय शक्ति है उसको वापस ले तथा तकनीकी विभाग के एसडीओ और JE को पंचायत के सभी कार्यों की फाइनेंसलि पावर दे दें।

अगर देखा जाए तो ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ की जो मांग है वह जायज है क्योंकि जब भी इसी विकास कार्य में अनियमितता मिलती है तो उस मामले में केवल ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ लेवल तक की कार्यवाही की जाती है जबकि असली जिम्मेवारी उस कार्य को करवाने तथा उसकी देखरेख की जो तकनीकी विभाग के एसडीओ तथा JE की भी होती है। इसके बावजूद भी बहुत कम मामलों में उन पर कार्रवाई होती है ज्यादातर मामलों में ग्राम सचिव तथा बीडीपीओ पर ही गाज गिरती है।

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