Paris Olympic: रीतिका का क्वार्टर फाइनल 1-1 से 'ड्रॉ', फिर भी क्यों हारीं हरियाणा की पहलवान... अब भी मेडल का मौका

Edited By Nitish Jamwal, Updated: 10 Aug, 2024 05:30 PM

the country s last hope of a medal from the olympics was shattered haryana

हरियाणा की पहलवान रीतिका हुड्‌डा ने पेरिस ओलंपिक में 76 किलो वेट कैटेगरी में भारत का प्रतिनिधित्व किया और Technical Superiority में जीत गई थी। जिसके बाद क्वार्टर फाइनल में रितिका किर्गिज़स्तानी की पहलवान ऐपेरी मेडेट क्यज़ी से हार गई। रितिका देश को...

हरियाणा डेस्क: हरियाणा की पहलवान रीतिका हुड्‌डा ने पेरिस ओलंपिक में 76 किलो वेट कैटेगरी में भारत का प्रतिनिधित्व किया और Technical Superiority में जीत गई थी। जिसके बाद क्वार्टर फाइनल में रितिका किर्गिज़स्तानी की पहलवान ऐपेरी मेडेट क्यज़ी से हार गई। रितिका देश को गोल्ड मेडल दिलाने से चूक गईं हैं।

बता दें कि मैच बराबरी (1-1) पर खत्म हुआ। वहीं रितिका ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पहले ही 1 पवाइंट कमा लिया था, लेकिन मैच खत्म होने कसे पहले आखिरी अंक पहलवान ऐपेरी मेडेट क्यज़ी जो कि विश्व की नंबर एक रैंक की पहलवान हैं, ने कमाया। रितिका रिपेचार्ज खेलेगी अगर किर्गिस्तान की खिलाड़ी फाइनल में गई। यानि किर्गिस्तान की खिलाड़ी अगर फाइनल्स में जाती है, तो रितिका कांस्य पदक के लिए खेलेगी।

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इससे पहले पहलवान ने हंगरी की बेर्नाडेट नागी को 12-2 से हरा दिया है। अब वो शाम 4 बजे रितिका क्वार्टर फाइनल खेलेंगी और फिर सेमीफाइनल का मुकाबला खेलेंगी। सेमीफाइनल जीतने पर वो देश के लिए पदक ला सकती हैं। रितिका का ये पहला ओलंपिक मैच था, और पहले ओलंपिक में ही रितिका मे बाजी मार ली है। 

वहीं बाउट शुरू होने से पहले ही रोहतक स्थित रितिका हुड्डा के घर पर रितिक की बाउट देखने के लिए उनके परिजन और उनके चाहने वाले काफी संख्या में इकठ्ठे हुए और उनका हौसला बढ़ाते रहे मैच हारने के बाद परिजनों का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है कि उनका पहला ओलंपिक था और उसी में उसने बहुत बढ़िया कुश्ती दिखाई है। पहले बाउट उसने बहुत अच्छी तरीके से जीती लेकिन क्वार्टर फाइनल में अपने से सीनियर खिलाड़ी से वह पैसिविटी अंक के कारण हार गई, हालांकि उनकी मां नीलम हुड्डा किर्गिज़स्तान की खिलाड़ी को पैसिविटी अंक देना गलत मानती है।

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उन्होंने कहा है की किर्गिस्तान  की खिलाड़ी का पैसिविटी अंक बनता ही नहीं था लेकिन फिर भी उनकी बेटी बहुत अच्छा खेली है 8 साल लगातार मेहनत करने के बाद वह पहली बार ओलंपिक में पहुंची थी और उसने बहुत बढ़िया कुश्ती दिखाई है अभी उसका लंबा सफर है पिता जगबीर हुड्डा भी अपनी बेटी की अच्छी कुश्ती लड़ने पर काफी खुश नजर आ रहे हैं उन्हें इस बात का मलाल है कि अगर वह  किर्गिस्तान की खिलाड़ी को हरा देती तो रितिक गोल्ड जरूर लेकर आती है। लेकिन कुछ किस्मत का खेल ही कहिए कि रितिका हार गई लेकिन अभी भी उन्हें रितिका से ब्रांच मेडल की उम्मीद है।

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9 साल की उम्र में कुश्ती खेलना की शुरू

बता दें कि रीतिका ने 9 साल की उम्र में कुश्ती खेलनी शुरू की थी। उनका कहना है कि ओलिंपिक में गोल्ड जीतने के लिए उसने डेली 7 घंटे पसीना बहाया है। रीतिका ने पेरिस जाने से पहले कहा था, 'जब उसका सिलेक्शन कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में नहीं हुआ तो कुश्ती छोड़ने का फैसला कर लिया था। माता-पिता ने उसे कुश्ती खेलने के लिए प्रेरित किया।

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रीतिका हुड्डा वर्ल्ड चैंपियनशिप के अंडर-23 वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं। उन्होंने दिसंबर 2023 में अल्बानिया की राजधानी तिराना में आयोजित चैंपियनशिप में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता था। इससे पहले भारत की ओर से सिर्फ एक पुरुष पहलवान ने अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था।

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