Edited By Manisha rana, Updated: 15 Jul, 2020 08:46 AM

पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर पी.टी.आई. के समर्थन में हुंकार भरी है। उनका कहना है कि सरकार ...
चंडीगढ़ (बंसल) : पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर पी.टी.आई. के समर्थन में हुंकार भरी है। उनका कहना है कि सरकार तुरंत प्रभाव से 1983 बर्खास्त पी.टी.आई. को बहाल करे, नहीं तो कांग्रेस की सरकार बनते ही पिछले वित्तीय लाभ के साथ सबसे पहले इनकी बहाली की जाएगी। हुड्डा ने कहा कि पी.टी.आई. का रोजगार बचाने के लिए सरकार को विधायी शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए। विधानसभा में कोई विधेयक लाना पड़े तो विपक्ष पुरजोर समर्थन करेगा।
दिल्ली स्थित आवास पर समस्त कर्मचारी संघर्ष तालमेल कमेटी सर्व-कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा के नेतृत्व में पूर्व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने पहुंची। हुड्डा ने आश्वासन दिया कि सड़क से लेकर सदन तक कर्मचारियों की आजवा उठाई जाएगी। उन्होंने कहा कि बर्खास्त पी.टी.आई. में से 38 दिवंगत हो चुके हैं और 25 विधवा अध्यापक हैं। खुद सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 10 साल बाद नौकरी से निकाला जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को रोजगार बचाने का रास्ता दिया था।
सरकार 1983 की वैकेंसी दिखाकर रोजगार बचा सकती थी। सरकार को समझना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती को सिर्फ प्रक्रियागत वजहों के चलते रद्द किया है। इसमें पी.टी.आई. की कोई गलती नहीं है। भर्ती में भ्रष्टाचार, जालसाजी या आपराधिक षड्यंत्र का जिक्र नहीं है। दिवंगत हो चुके 38 पीटीआई के परिवारों को मिलने वाली वित्तीय सहायता भी बंद कर दी। ये पूरी तरह अमानवीय कार्य है।
हुड्डा ने बताया कि पहले भी रोजगार बचाने के लिए कई बार सरकारों ने विधायी शक्तियों का इस्तेमाल किया है। हमारी सरकार दौरान ही पिछली सरकार में नौकरी से हटाए 1800 पुलिसवालों और 4000 एम.आई.टी.सी. कर्मियों को बहाल किया था।