संतान की रक्षा व दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा अहोई अष्टमी का व्रत, सुनी कथा

Edited By Manisha rana, Updated: 09 Nov, 2020 09:46 AM

protection and longevity of the children women fasted ahoi ashtami suni katha

संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए रविवार को महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत रख माता पार्वती की पूजा अर्चना कर संतान की दीर्घायु की कामना की। महिलाओं ने प्रात: से ही व्रत की तैयारियां शुरु कर दी ...

गुडग़ांव : संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए रविवार को महिलाओं ने अहोई अष्टमी का व्रत रख माता पार्वती की पूजा अर्चना कर संतान की दीर्घायु की कामना की। महिलाओं ने प्रात: से ही व्रत की तैयारियां शुरु कर दी थी। जहां महिलाओं ने कथा सुनने के बाद सूर्य को अर्घ्य दिया, वहीं पूरे दिन व्रत रखने के बाद महिलाओं ने सायं के समय आसमान में तारा को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन किया। जो महिलाएं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते व्रत नहीं रख पाई उनके पतियों ने अपनी संतान की दीर्घायु के लिए व्रत रखा। व्रतियों ने बड़ी बुजुर्गों महिलाओं से अहोई माता की कथा भी सुनी।

अहोई माता की दीवार पर गेरु या लाल रंग से आकृति भी बनाई। चांदी के मोतियों की माला व जल से भरा हुआ कलश भी अहोई माता की आकृति के समक्ष रख कर अपने बच्चों की दीर्घायु की कामना की। अहोई पर्व को लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं। जहां स्याहू वाली किवदंती प्राचीन मानी जाती है, वहीं मध्यप्रदेश के दतिया नगर के सेठ चंद्रभान का प्रसंग भी इस पर्व में आता है। बड़ी बुजुर्ग महिलाओं ने कथा का वर्णन करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश के दतिया नगर में सेठ चंद्रभान नाम का व्यक्ति सपरिवार रहता था।

परिवार में कई संतानें हुई, लेकिन अल्पायु में ही उनकी अकाल मृत्यु हो गई। इन मौंतों के कारण परिवार में हताशा की भावना जागृत हो गई। चंद्रभान इस सबसे परेशान होकर अपना सबकुछ त्यागकर क्षेत्र के वन में चला गया और क्षेत्र के बद्रिका आश्रम के समीप बने कुण्ड के पास अन्न-जल त्यागकर बैठ गया। कहा जाता है कि वह इसी हालत में 6 दिन तक बैठा रहा। 7वें दिन आकाशवाणी हुई किंतु यह कष्ट पिछले जन्मों के कारण मिल रहा है। यदि इन कष्टों से छुटकारा पाना चाहते हो तो अहोई माता का व्रत रखो। अहोई माता तुमसे प्रसन्न होकर परिवार को संतान सुख और दीर्घायु होने का वर भी देगी।

कहा जाता है कि सेठ चंद्रभान वन से अपने घर लौट आया और उसने अपनी पत्नी सहित अहोई माता के विधि-विधान से व्रत किए और पूर्व जन्म में किए गए अपने कार्यों का पश्चाताप करते हुए अहोई माता से क्षमा-याचना भी की। दंपत्ति की पूजा भक्ति से प्रसन्न होकर अहोई माता ने उन्हें संतान होने एवं उनकी दीर्घायु होने का वरदान भी दिया। कहा जाता है कि उसके बाद सेठ चंद्रभान के कई संतानें हुई, जो दीर्घायु रही। इस कथा से भी प्रेरित होकर महिलाएं प्राचीन काल से अहोई माता का व्रत रखकर अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती आ रही हैं।

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