Edited By vinod kumar, Updated: 28 Jun, 2020 08:44 PM
रियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ के बायो-केमिस्ट्री विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नीलम सांगवान को भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण समिति का सदस्य चुना गया है। यह समिति देशभर में पेड़-पौधों व फसलों की तकनीकी...
चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ के बायो-केमिस्ट्री विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नीलम सांगवान को भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की महत्वपूर्ण समिति का सदस्य चुना गया है। यह समिति देशभर में पेड़-पौधों व फसलों की तकनीकी रूप से उन्नत किस्मों के मूल्यांकन और उसके पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का आंकलन करती है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. सी.कुहाड़ ने प्रो.नीलम सांगवान को मिली इस जिम्मेदारी के लिए शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा है कि प्रो. सांगवान इस समिति के सदस्य के रूप में पेड़-पौधों व फसलों की उन्नत तकनीक के विकास में योगदान देंगी।
वहीं प्रो. नीलम सांगवान ने बताया कि इस समिति के सदस्य के रूप में उन्हें देशभर में विभिन्न इंडस्ट्रीज, संस्थानों, कृषि क्षेत्र में कार्यरत विशेषज्ञों द्वारा विकसित उन्नत किस्मों का बायोटेक्नोलॉजी और जेनेटिक इंजीनियरिंग के स्तर पर मूल्यांकन करने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में इस मोर्चे पर लगातार कार्य हो रहा है और आज यह जरूरी भी है कि हम तकनीक की मदद से कृषि क्षेत्र में उपलब्ध चुनौतियों का हल निकालें।
प्रो. सांगवान ने बताया कि उनकी समिति प्रारंभिक स्तर पर उन्नत किस्मों का मूल्यांकन करती है और फिर यह किस्में उच्च स्तरीय समिति के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। इस समिति की मंजूरी के बाद ही किसी भी उन्नत किस्म को ट्रॉयल की अनुमति दी जाती हैं। प्रो. सांगवान ने बताया कि तकनीक व जेनेटिक इंजीनियरिंग के साथ-साथ इस प्रक्रिया में नई किस्म की उत्पादकता, उसके लिए पानी की आवश्यकता और नई किस्म के पर्यावरणीय प्रभावों का भी बारीकी से मूल्यांकन किया जाता है। यहां बता दें कि प्रो सांगवान प्लांट बायो केमिस्ट्री, प्लांट सेकण्डरी मेटाबोलिटेस, फंगशनल जीनोमिक्स, मेडिसन एंड एरोमेटिक प्लांट के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त है।