Pradhan Mantri Awas Yojana Urban 2.0: ऑनलाइन आवेदन कैसे करें, अब शहरी आवास में आएगी तेजी

Edited By Isha, Updated: 29 Jan, 2025 05:26 PM

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हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 (पीएमएवाई-यू 2.0) के कार्यान्वयन के साथ ही शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को  किफायती आवास उपलब्ध करवाने की दिशा बड़ा कदम उठाया है।

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 (पीएमएवाई-यू 2.0) के कार्यान्वयन के साथ ही शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को  किफायती आवास उपलब्ध करवाने की दिशा बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हर परिवार के सिर पर छत के सपने को साकार करने की दिशा में  केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में देशभर में शहरी गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को किफायती आवास उपलब्ध करवाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के विजन के अनुरूप, हरियाणा ने पीएमएवाई-यू 2.0 का सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं।

 

हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने आज यहां प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के लिए राज्य स्तरीय स्वीकृति और निगरानी समिति (एसएलएसएमसी) की 17वीं बैठक और प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 (पीएमएवाई-यू 2.0) के लिए एसएलएसएमसी की पहली बैठक की अध्यक्षता की।

 

डॉ. जोशी ने फंड वितरण में खामियों को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया और  किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता को रोकने के लिए अधिकारियों को ओटीपी-आधारित सत्यापन प्रणाली लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने लाभार्थियों की वास्तविकता का आकलन करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत नमूना सर्वेक्षण करने पर भी बल दिया कि ऋण वितरण में बैंक उन्हें कुशलतापूर्वक सहायता कर रहे हैं। योजना की कार्यान्वयन प्रक्रिया में सख्त निगरानी और जवाबदेही की आवश्यकता पर बल देते हुए, मुख्य सचिव ने कहा कि इस योजना का लाभ बिना किसी लीकेज के गरीबों तक पहुंचना चाहिए।

 

मुख्य सचिव ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से योजना के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।   बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना के तहत 15,256 आवेदकों को पक्के मकान बनाने के लिए एक मरला प्लॉट आवंटित किए गए हैं। इन सभी लाभार्थियों को पीएमएवाई-यू 2.0 के बेनेफिशरी लेड कंस्ट्रक्शन (बीएलसी) वर्टिकल के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

 

पीएमएवाई-यू 2.0 शहरी क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस), निम्न आय वर्ग (एलआईजी) और मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) की आवास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करती है। लाभार्थी परिवार को पति, पत्नी, अविवाहित बेटे और/या अविवाहित बेटियों के रूप में परिभाषित किया गया है। इस योजना के तहत पात्र होने के लिए परिवार के पास देश में कहीं भी पक्का मकान (स्थायी आवास इकाई) नहीं होना चाहिए। पीएमएवाई-यू 2.0 ईडब्ल्यूएस परिवारों (वार्षिक आय 3 लाख रुपये तक), एल परिवारों (3 लाख से 6 लाख रुपये तक) और एमआईजी परिवारों (6 लाख से 9 लाख तक) को किफायती आवास के अवसर प्रदान करता है। योजना के तहत विधवाओं, एकल महिलाओं, दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों, ट्रांसजेंडरों, अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों के व्यक्तियों और स्ट्रीट वेंडर्स और निर्माण श्रमिकों जैसे अन्य कमजोर वर्गों सहित कमजोर समूहों को प्राथमिकता दी जाती है।

 

योजना का दायरा 2011 की जनगणना के अनुसार सभी वैधानिक शहरों और बाद में अधिसूचित शहरों तक है, जिसमें निर्दिष्ट प्लानिंग एरिया भी शामिल हैं। यह योजना 30 वर्ग मीटर के न्यूनतम कारपेट एरिया वाले मकानों के निर्माण का समर्थन करती है, जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता के स्तर को कायम रखते हुए इसे 45 वर्ग मीटर तक बढ़ाने का लचीलापन प्रदान करती है।  योजना के तहत चार अलग-अलग घटकों : बेनेफिशरी लाइट कंस्ट्रक्शन  (बीएलसी), अफॉर्डेबल हाउसिंग इन पार्टनरशिप (एएचपी), अफॉर्डेबल रेंटल हाउसिंग (एआरएच), और इंटरेस्ट सब्सिडी स्कीम (आईएसएस) के माध्यम से लाभ प्रदान किया जाएगा।

 

हरियाणा ने पीएमएवाई-यू 2.0 का सुचारू कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं। प्रशासनिक प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए 'सभी के लिए आवास' विभाग को राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। राज्य ने परियोजना अनुमोदन और कार्यान्वयन की देखरेख के लिए राज्य स्तरीय मूल्यांकन समिति (एसएलएसी) और राज्य स्तरीय मंजूरी और निगरानी समिति (एसएलएसएमसी) की स्थापना की है। योजना के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को मजबूत करते हुए आवास और शहरी मामले मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। केंद्रीय मंजूरी और निगरानी समिति (सीएसएमसी) जैसी समर्पित समितियों के माध्यम से तीन स्तरों- शहर, राज्य और केंद्र स्तर पर निगरानी की जाएगी।

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